गयाः करौंदा, एक छोटा और कटु-मीठा फल, भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी विशेषता और उपयोगिता के लिए प्रसिद्ध है. इस झाड़ीदार और कांटेदार पौधे के गहरे लाल या काले रंग के फलों का स्वाद खट्टा-मीठा होता है, जो विभिन्न व्यंजनों में प्रयोग किए जाते हैं. पंजाब, उत्तराखंड व अन्य कुछ राज्यों में मूल रूप से उपजने वाला फल करौंदा की खेती बिहार के गया में हो रही है. किसान इसकी खेती कर खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बना रहे हैं. इस छोटे फल के फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे.
सेहत की कुंजी हैः करौंदा की खेती बिहार के गिने चुने इलाकों में ही होती है. गया जिले के टिकारी में इसकी खेती हो रही है. करौंदा की डिमांड कितनी है, कि किसान इसकी आपूर्ति नहीं कर पाते. बाजार में यह 100 से लेकर 160 रुपए किलो तक में बिकता है. आयुर्वेद में करौंदा को त्रिदोष नाशक के रूप में जाना जाता है. करौंदा को अचार और गुरम्मा की तरह बनाकर खाने से भी इसके फायदे हैं.
रामबाण जैसा कारगरः करौंदा कई बीमारियों में तो रामबाण की तरह काम करता है. छोटा सा यह फल किडनी, हार्ट, कैंसर, मानसिक रोग समेत दर्जन भर बीमारियों में लाभप्रद है. इसके उपयोग से मोटापा भी कम होता है. कब्ज में यह रामबाण की तरह काम करता है. करौंदा में विटामिन सी, विटामिन ए, कैल्शियम, फाइबर की मात्रा काफी होती है. बाल यदि झड़ते हैं, तो उसमें भी यह फायदेमंद है. इस तरह दर्जन भर बीमारियों में करौंदा फायदेमंद है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी इससे मदद मिलती है.
फसलों की करता है रक्षाः जानकार की मानें तो करौंदा निरापद है. करौंदा को औषधि के तौर पर उपयोग किया जाए तो अपवाद छोड़कर इसका साइड इफेक्ट नहीं होता है. यह गुलाबी रंग में काफी खूबसूरत दिखता है. करौदा लगभग 7 फीट लंबा होता है. यह कांटेदार पतों के बीच उपजता है. किसान इसे खेत के किनारे पर चारों ओर से लगाते हैं. इस तरह करौंदा, खेत की फसलों के साथ-साथ मनुष्य के स्वास्थ्य की भी रक्षा करता है.