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जानें क्यों और कैसे फैल सकती है ये स्किन की बीमारी, इस वायरस ने अबतक लाखों मवेशियों की ले चुका है जान - Lumpy Skin Disease - LUMPY SKIN DISEASE

Lumpy Skin Disease: लम्पी स्किन डिजीज (LSD) एक वायरल रोग है. यह वायरस पॉक्स परिवार का है. लम्पी स्किन बीमारी मूल रूप से अफ्रीकी बीमारी है और अधिकांश अफ्रीकी देशों में है. माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत जाम्बिया देश में हुई थी. पढ़ें इस खबर में की क्या यह बीमारी इंसानों में फैलती है या नहीं...

Skin Disease
लम्पी स्किन डिजीज (CANVA)

By ETV Bharat Health Team

Published : Sep 24, 2024, 5:16 PM IST

लम्पी वायरस यानी गांठदार त्वचा रोग (LSD) मवेशियों में होने वाला एक इनफेक्शियस डिजीज है. यह पॉक्सविरिडे फैमिली के एक वायरस के चलते होता है. बता दें, लम्पी स्किन डिजीज लम्पी स्किन डिजीज वायरस (LSDV) के कारण होता है, जो कैप्रीपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है, जो पॉक्सविरिडे परिवार का एक हिस्सा है (चेचक और मंकीपॉक्स वायरस भी इसी परिवार का हिस्सा हैं).

मनुष्यों में नहीं फैल सकती है यह बीमारी
LSDV में शीपपॉक्स वायरस (SPPV) और गोटपॉक्स वायरस (GTPV) के साथ एंटीजेनिक समानताएं हैं या उन वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में समान है. यह एक जूनोटिक वायरस नहीं है, जिसका अर्थ है कि यह बीमारी मनुष्यों में नहीं फैल सकती है. यह एक संक्रामक वेक्टर जनित बीमारी हैजो मच्छरों, कुछ काटने वाली मक्खियों और टिक्स जैसे वेक्टरों द्वारा फैलती है और आमतौर पर गायों और भैंसों जैसे मेजबान जानवरों को प्रभावित करती है.

मवेशियों में ऐसे फैलती है यह बीमारी
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, संक्रमित जानवर मौखिक और नाक के स्राव के माध्यम से वायरस छोड़ते हैं जो आम फ़ीड और पानी के कुंडों को दूषित कर सकते हैं. इस प्रकार, यह बीमारी या तो वेक्टरों के सीधे संपर्क से या दूषित फ़ीड और पानी के माध्यम से फैल सकती है. अध्ययनों से यह भी पता चला है कि यह कृत्रिम गर्भाधान के दौरान जानवरों के वीर्य के माध्यम से फैल सकता है.

लक्षण
लम्पी एक वायरल स्किन डिजीज है इस बीमारी के चलते पशुओं में तेज बुखार के लक्षण देखें जा सकते है. इसके साथ ही आंख नाक से पानी गिरना, पैरो में सूजन, कठोर और चपटी गांठ से पूरा शरीर का ढक जाना या सांस लेने में समस्या हो सकती है. पशुओं में नेक्रोटिक घाव, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, गर्भपात या दूध काफी कम होना लम्पी बीमारी के लक्षण होते हैं. पशु चिकित्सकों के मुताबिक गोवंश में इस बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत इसका इलाज कराना चाहिए.

नेशनल रिसर्च सेंटर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नवीन कुमार के अनुसार,लम्पी स्किन डिजीज बीमारी के लक्षण मिलते जुलते पशुओं में देखने को मिल रहे हैं. ज्यादातर यह बीमारी गाय में आती है लेकिन यह बीमारी भैंस में भी आ सकती है. इस बीमारी के लक्षण बुखार तेज हो जाना और पूरे शरीर पर फोड़े निकलना है. फोड़े जैसे-जैसे बड़े होते हैं वह फूट भी जाते हैं और पशु के मुंह में से लार गिरती रहती है.

लम्पी स्किन डिजीज (ETV Bharat)

इस स्थिति में जब पशु बीमार होगा तो वह खाना भी कम कर देता है. इससे अन्य समस्या भी पशु में बढ़ सकती है. इसके प्रभाव से पशुओं का गर्भपात हो जाता है, साथ ही पशुओं की मौत भी हो जाती है. कुछ मामलों में यह बीमारी नर व मादा पशुओं में लंगड़ापन, निमोनिया और बांझपन का कारण बन सकता है. लम्पी बीमारी से सबसे ज्यादा यूपी, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अंडमान निकोबार जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रभावित होते रहे हैं. साल 2022 में इस बीमारी के प्रकोप के कारण डेयरी किसानों को काफी संकट का सामना करना पड़ा था.

कारण
लम्पी स्किन डिजीज (LSD) मवेशियों या भैंसों में पॉक्सवायरस लम्पी स्किन डिजीज वायरस (LSDV) के संक्रमण के कारण होता है. यह वायरस कैप्रिपॉक्सवायरस जीनस के भीतर तीन निकट से संबंधित प्रजातियों में से एक है, अन्य दो प्रजातियां शीपॉक्स वायरस और गोटपॉक्स वायरस हैं.

भारत में कब इस बीमारी का कहर बरपनाशुरू हुआ था
LSDV सबसे पहले 1931 में जाम्बिया में पाया गया था और 1989 तक उप-अफ्रीकी क्षेत्र तक ही सीमित रहा, जिसके बाद यह दक्षिण एशिया में फैलने से पहले मध्य पूर्व, रूस और अन्य दक्षिण-पूर्वी यूरोपीय देशों में फैलने लगा. भारत में इस बीमारी के दो बड़े प्रकोप हुए हैं, पहला 2019 में और दूसरा 2022 में अधिक गंभीर प्रकोप, जिसमें दो मिलियन से अधिक मवेशी संक्रमित हुए थे.

लम्पी स्किन डिजीज (ETV Bharat)

भारत में लम्पी वायरस से साल 2022 में लगभग 1 लाख 55 हजार से अधिक मवेशियों की मौत हो गई थी. इसमें से 50 फीसदी यानी लगभग 75 हजार मौतें केवल राजस्थान में हुई थी. सितंबर, 2022 में भारत में लम्पी वायरस इन्फेक्शन के मामले सुर्खियों में था.

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