लम्पी वायरस यानी गांठदार त्वचा रोग (LSD) मवेशियों में होने वाला एक इनफेक्शियस डिजीज है. यह पॉक्सविरिडे फैमिली के एक वायरस के चलते होता है. बता दें, लम्पी स्किन डिजीज लम्पी स्किन डिजीज वायरस (LSDV) के कारण होता है, जो कैप्रीपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है, जो पॉक्सविरिडे परिवार का एक हिस्सा है (चेचक और मंकीपॉक्स वायरस भी इसी परिवार का हिस्सा हैं).
मनुष्यों में नहीं फैल सकती है यह बीमारी
LSDV में शीपपॉक्स वायरस (SPPV) और गोटपॉक्स वायरस (GTPV) के साथ एंटीजेनिक समानताएं हैं या उन वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में समान है. यह एक जूनोटिक वायरस नहीं है, जिसका अर्थ है कि यह बीमारी मनुष्यों में नहीं फैल सकती है. यह एक संक्रामक वेक्टर जनित बीमारी हैजो मच्छरों, कुछ काटने वाली मक्खियों और टिक्स जैसे वेक्टरों द्वारा फैलती है और आमतौर पर गायों और भैंसों जैसे मेजबान जानवरों को प्रभावित करती है.
मवेशियों में ऐसे फैलती है यह बीमारी
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, संक्रमित जानवर मौखिक और नाक के स्राव के माध्यम से वायरस छोड़ते हैं जो आम फ़ीड और पानी के कुंडों को दूषित कर सकते हैं. इस प्रकार, यह बीमारी या तो वेक्टरों के सीधे संपर्क से या दूषित फ़ीड और पानी के माध्यम से फैल सकती है. अध्ययनों से यह भी पता चला है कि यह कृत्रिम गर्भाधान के दौरान जानवरों के वीर्य के माध्यम से फैल सकता है.
लक्षण
लम्पी एक वायरल स्किन डिजीज है इस बीमारी के चलते पशुओं में तेज बुखार के लक्षण देखें जा सकते है. इसके साथ ही आंख नाक से पानी गिरना, पैरो में सूजन, कठोर और चपटी गांठ से पूरा शरीर का ढक जाना या सांस लेने में समस्या हो सकती है. पशुओं में नेक्रोटिक घाव, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, गर्भपात या दूध काफी कम होना लम्पी बीमारी के लक्षण होते हैं. पशु चिकित्सकों के मुताबिक गोवंश में इस बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत इसका इलाज कराना चाहिए.
नेशनल रिसर्च सेंटर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नवीन कुमार के अनुसार,लम्पी स्किन डिजीज बीमारी के लक्षण मिलते जुलते पशुओं में देखने को मिल रहे हैं. ज्यादातर यह बीमारी गाय में आती है लेकिन यह बीमारी भैंस में भी आ सकती है. इस बीमारी के लक्षण बुखार तेज हो जाना और पूरे शरीर पर फोड़े निकलना है. फोड़े जैसे-जैसे बड़े होते हैं वह फूट भी जाते हैं और पशु के मुंह में से लार गिरती रहती है.