नई दिल्ली: एक नये शोध से अब तक लाइलाज मानी जाने वाली किडनी की बीमारी के इलाज की उम्मीद जगी है. अमेरिका के वैज्ञानिकों ने जानवरों पर किए गये एक अध्ययन में पाया कि कुछ दिनों के लिए खाने में नमक की मात्रा और शरीर में फ्लूड्स (तरल पदार्थ) की मात्रा कम करने से गुर्दे (किडनी) में कुछ कोशिकाओं की मरम्मत और यहां तक कि उनके दोबारा बनने में भी मदद मिल सकती है.
दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के केक स्कूल ऑफ मेडिसिन के स्टेम सेल वैज्ञानिक जैनोस पेटी-पेटर्डी के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि चूहों में नमक और शरीर के तरल पदार्थ की कमी से गुर्दे की कोशिकाओं की मरम्मत और उनके दोबारा बनने की संभावना बढ़ जाती है.
जर्नल ऑफ क्लिनिकल इंवेस्टिगेशन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यह कोशिकाओं का दोबारा बनना मैक्युला डेंसा (एमडी) नामक क्षेत्र में गुर्दे की कोशिकाओं की एक छोटी आबादी पर निर्भर करता है, जो नमक की उपस्थिति को महसूस करती है. इस महत्वपूर्ण अंग के फिल्टरिंग, हार्मोन स्राव और अन्य प्रमुख कार्यों पर नियंत्रण रखती है.
वर्तमान में किडनी की बीमारी का कोई इलाज नहीं है. जब तक इसका पता चलता है, तब तक किडनी इतनी खराब हो चुकी होती है कि उसे ठीक नहीं किया जा सकता है. इसके बाद डायलिसिस और अंत में प्रत्यारोपण के विकल्प ही बचते हैं.
इस बीमारी खोजने के लिए पेटी-पेटर्डी, अध्ययन की प्रथम लेखिका जॉर्जिना ग्यारमती और उनके सहयोगियों ने गैर-पारंपरिक दृष्टिकोण अपनाया है. वैज्ञानिकों ने बात पर फोकस करने की बजाय कि 'रोगग्रस्त गुर्दे किस कारण से दोबारा ठीक नहीं हो पाते' इस बात पर ध्यान दिया कि स्वस्थ किडनी प्रकार विकसित होती है.