हैदराबाद : कीटो आहार अल्जाइमर के लक्षणों में कमी करने में मदद कर सकता है. हाल ही में चूहों पर हुए एक प्रयोग में पाया गया था कि केटोजेनिक आहार (बहुत कम कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ) रक्त में टाउ प्रोटीन के स्तर को काफी कम कर सकता है. जिसे डिमेंशिया में वृद्धि के जोखिम से जोड़ कर देखा जाता है. जर्नल एजिंग में प्रकाशित हुआ यह शोध कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय डेविस के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था.
शोध का उद्देश्य :आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ सालों में विश्व भर में अल्जाइमर्स रोग और अन्य प्रकार के डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या काफी बढ़ी है. वहीं एक अनुमान के मुताबिक यह संख्या 2050 तक तीन गुना होने की संभावना है. ऐसे में अल्जाइमर रोग के लक्षणों को कम करने, उसके प्रबंधन तथा उसके इलाज को और बेहतर करने के लिए किया जा रहे प्रयासों के तहत कई शोध किए जा रहे हैं. उन्हीं में एक, इस शोध में भी शोधकर्ताओं ने पीड़ितों के ऐसे मानसिक व्यवहार, मोटर कार्य, और रक्त लिपिड को सुधारने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया, जो अल्जाइमर्स रोग विकास में भूमिका निभा सकते हैं.
इस शोध के नतीजों में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के स्कूल ऑफ वेटरनरी मेडिसिन के मॉलेक्युलर बायोसाइंसेस विभाग में सहायक प्रोजेक्ट साइंटिस्ट तथा इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ जेनिफर रुटकोव्स्की ने बताया है कि "रक्त में उच्च स्तर के वसा और कोलेस्ट्रॉल अल्जाइमर्स रोग के पैथोलॉजिकल विकास के साथ जुड़े होते हैं. ऐसे में इस शोध में अल्जाइमर्स रोग में पीड़ित के मानसिक व्यवहार, मोटर कार्य, और रक्त लिपिड को सुधारने तथा इनसे जुड़े संभावित उपायों की पहचान के लिए प्रयास किया गया था. उन्होंने बताया है कि इस शोध में शोधकर्ताओं की टीम ने यह जानने का प्रयास किया कि कीटो आहार के लगातार या कम मात्रा में ही सही लेकिन नियमित रूप से लेने से क्या प्रभाव मिलते हैं.
कैसे हुआ शोध
"इस अध्ययन में मादा चूहों के अलग-अलग समूहों को सुबह और शाम कीटोजेनिक आहार, एक समय कीटोजेनिक तथा एक समय सामान्य आहार तथा पूरी तरह से सामान्य आहार दिया गया था. गौरतलब है कि इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने टीजीएफ 344-एडी चूहे मॉडल का उपयोग किया था. दरअसल इन चूहों को विशिष्ट जेनेटिक म्यूटेशन के साथ प्रजनन किया जाता है जो अल्जाइमर्स रोग से जुड़े होते हैं. इन चूहों पर छः महीने तक प्रयोग किया गया था. इस प्रयोग मे 12 महीनों के बाद जांच में सामने आया कि सामान्य आहार वाले चूहों में किसी भी प्रकार की बेहतर स्थानिक लर्निंग मेमोरी या मोटर समन्वय में कोई सुधार नहीं दिखाई दिया था . वहीं दिन में एक समय और लगातार केटोजेनिक आहार लेने वाले चूहों में कोलेस्ट्रॉल स्तरों में कमी तथा रक्त में टाउ प्रोटीन के स्तर में काफी कमी पाई गई थी.