नमक और चीनी के साथ हर भारतीय खा रहा माइक्रोप्लास्टिक, नए शोध में हुआ खुलासा, जानें - Microplastics in Sugar and Salt
नमक और चीनी, ये दो ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनका इस्तेमाल हम रोजमर्रा के जीवन में करते हैं. इनके बिना हमारा भोजन पूरा नहीं होता है. लेकिन ताजा शोध में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसमें बताया गया है कि मौजूदा समय में बेचे जा रहे नमक और चीनी के ब्रांड्स में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है.
हर ब्रांड के नमक-चीनी में मिला माइक्रोप्लास्टिक (फोटो - Getty Images)
हैदराबाद: लोगों द्वारा अक्सर कहा जाता है कि आज के समय में कोई भी खाने की चीज शुद्ध नहीं है. नमक और चीनी हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा हैं और भोजन में इनका इस्तेमाल रोजमर्रा किया जाता है. लेकिन हाल ही में सामने आई एक स्टडी में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इस स्टडी के अनुसार भारत में बिकने वाले नमक और चीनी के टॉप ब्रांड्स और छोटे ब्रांड्स, चाहे वे पैक्ड हों या अनपैक्ड, सभी में माइक्रोप्लास्टिक पाए गए हैं.
पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक्स लिंक जारी की गई "नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक्स" नाम की रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 प्रकार के नमक - जिसमें टेबल नमक, सेंधा नमक, समुद्री नमक और स्थानीय कच्चा नमक भी शामिल है, का परीक्षण किया गया है. इसके अलावा ऑनलाइन और स्थानीय बाजारों से खरीदी गई, पांच प्रकार की चीनी का भी परीक्षण किया गया.
हर ब्रांड के नमक-चीनी में मिला माइक्रोप्लास्टिक (फोटो - Getty Images)
इस अध्ययन में पाया गया कि सभी नमक और चीनी के नमूनों में फाइबर, छर्रे, फिल्म और टुकड़ों सहित विभिन्न रूपों में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति होती है. इन माइक्रोप्लास्टिक्स का आकार 0.1 मिमी से 5 मिमी तक होता है. ध्यान देने वाली बात यह है कि आयोडीन युक्त नमक में सबसे अधिक मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक पाए गए, जो बहुरंगी पतले रेशों और फिल्मों के रूप में पाए गए.
टॉक्सिक्स लिंक के संस्थापक-निदेशक रवि अग्रवाल ने इस रिपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "हमारे अध्ययन का उद्देश्य माइक्रोप्लास्टिक पर मौजूदा वैज्ञानिक डेटाबेस में योगदान देना था, ताकि वैश्विक प्लास्टिक संधि इस मुद्दे को ठोस और केंद्रित तरीके से संबोधित कर सके." उन्होंने माइक्रोप्लास्टिक जोखिम को कम करने के लिए नीतिगत कार्रवाई और तकनीकी हस्तक्षेप पर शोध की आवश्यकता पर जोर दिया.
हर ब्रांड के नमक-चीनी में मिला माइक्रोप्लास्टिक (फोटो - Getty Images)
वहीं टॉक्सिक्स लिंक के एसोसिएट डायरेक्टर, सतीश सिन्हा ने इस मुद्दे को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "हमारे अध्ययन में सभी नमक और चीनी के नमूनों में पर्याप्त मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक पाया जाना बेहद चिंताजनक है और मानव स्वास्थ्य पर माइक्रोप्लास्टिक के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों पर तत्काल, व्यापक शोध की भी आवश्यकता है."
एक किलोग्राम में कितना माइक्रोप्लास्टिक शोध के दौरान जांच के लिए लाए गए नमक के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता 6.71 से 89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक थी. आयोडीन युक्त नमक में सबसे अधिक सांद्रता 89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम थी, जबकि जैविक सेंधा नमक में सबसे कम 6.70 टुकड़े प्रति किलोग्राम थी. चीनी के नमूनों में, सांद्रता 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक थी, जिसमें गैर-जैविक चीनी में माइक्रोप्लास्टिक का उच्चतम स्तर पाया गया.
हर ब्रांड के नमक-चीनी में मिला माइक्रोप्लास्टिक (फोटो - Getty Images)
नमक और चीनी के दैनिक सेवन से होने वाले नुकसान पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि औसत भारतीय प्रतिदिन 10.98 ग्राम नमक और लगभग 10 चम्मच चीनी का सेवन करता है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसित सीमा से काफी अधिक है. ऐसे आम तौर पर उपभोग किए जाने वाले उत्पादों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में और अधिक चिंताएं पैदा करती है.