हैदराबाद: निम्स अस्पताल और सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) के डॉक्टरों ने एक अभूतपूर्व अध्ययन में एक नए आनुवंशिक दोष (Genetic defects) की पहचान की है, जो भ्रूण में हार्ट फेलियर और फेफड़ों की विफलता का कारण बनता है. यह डिफेक्ट सर्पिना 11 जीन से जुड़ा है. सर्पिना 11 जीन से जुड़े इस दोष की रिपोर्ट दुनिया में पहली बार की गई है, जो जेनेटिक रिसर्च में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
इस स्टडी का नेतृत्व निम्स में जेनेटिक्स की प्रमुख डॉ शगुन अग्रवाल ने किया, साथ ही सीडीएफडी से डॉ रशना भंडारी और डॉ अश्विन दलाल ने भी किया. उनके निष्कर्षों को प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ क्लिनिकल जेनेटिक्स में प्रकाशित किया गया है, जिससे घातक सर्पिनोपैथी के रूप में जानी जाने वाली इस दुर्लभ और घातक आनुवंशिक विसंगति की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित हुआ है.
यह खोज कैसे हुई
यह खोज हैदराबाद के एक दंपत्ति के दुखद मामले की डिटेल जांच के दौरान की गई. दंपत्ति का पहला बच्चा स्वस्थ पैदा हुआ, लेकिन उनका दूसरा बच्चा जन्म के कुछ ही घंटों बाद मर गया. बाद की गर्भावस्थाओं में भी इसी तरह की जटिलताएं देखी गई थी, जिसमें मां को पांचवें महीने तक दो बार गर्भपात का सामना करना पड़ा था. गर्भावस्था के 5वें और 8वें महीने में स्कैन के दौरान फेफड़ों और हृदय संबंधी समस्याओं की लगातार मौजूदगी ने आनुवंशिक दोष का संदेह पैदा किया.
कारण का पता लगाने के लिए, भ्रूण को आगे के विश्लेषण के लिए NIMS के आनुवंशिकी विभाग में भेजा गया. व्यापक डीएनए और अन्य आनुवंशिक परीक्षण करने के बाद, डॉक्टरों ने सर्पेन्टाइन 11 जीन में एक दोष की पहचान की. जिसमें यह पता चला कि यह दोष भ्रूण में हृदय और फेफड़ों के विकास के लिए महत्वपूर्ण एंजाइमों के उत्पादन में बाधा डालता है.