हैदरबाद: अबीर- गुलाल और रंगों से भरा त्यौहार होली मन में उमंग और उत्साह भर देता है, लेकिन कई बार यह रंग ही लोगों के लिए कई समस्याएं भी बढ़ा देता है. होली पर लोग कई तरह के रंगों का उपयोग करते हैं, उनमें से कई Holi Colors ऐसे भी होते हैं जिन्हे बनाने में कुछ ऐसे तत्वों व रसायनों का उपयोग होता है जो बालों और त्वचा पर काफी नुकसानदायक प्रभाव दिखाते हैं. विशेषतौर पर बालों की बात करें तो आमतौर पर Holi के बाद कई लोगों में बालों से जुड़ी कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं तथा कई बार कुछ गंभीर संक्रमणों के मामले भी देखने में आते हैं.
हानिकारक प्रभाव देते हैं रसायन मिले रंग :डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ आशा सकलानी बताती हैं कि होली पर लोग गुलाल के साथ सुखी डाई, पेन्ट तथा गीले पक्के रंगों का भी इस्तेमाल करते हैं. इनमें गुलाल या पक्के रंगों की ही बात करें तो उनमें गहरे रंग वाले या तेज खुशबू वाले रंगों में अच्छे खासे रसायनों का इस्तेमाल होता है. वहीं चूंकि यह कीमत में ज्यादा सस्ते होते हैं, इसलिए उन्हें खरीदा भी ज्यादा जाता है. वहीं पेन्ट, डाई व पक्के- गीले रंगों में तो हानिकारक रसायनों की मात्रा काफी ज्यादा होती ही होती है. ऐसे Holi Colors त्वचा और बालों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं.
सामान्य त्वचा व सेहतमंद बालों वाले लोगों में भी आमतौर पर होली के रंगों का प्रभाव कम या ज्यादा मात्रा में देखने में आता ही है. लेकिन ऐसे लोग जिनकी त्वचा ज्यादा संवेदनशील होती हैं उनके लिए होली में ऐसे रंगों से खेलना संक्रमण या त्वचा रोग का कारण भी बन सकता है. होली के बाद सिर की त्वचा या स्कैल्प में चकत्ते, दानें , जलन, ड्राइ स्कैल्प , बालों का कमजोर होना, ज्यादा संख्या में टूटना या दोमुंहे होना तथा बालों में डैंड्रफ की समस्या बढ़ने के मामले काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं.
वह बताती हैं कि अगर होली पर फूलों और खाद्य पदार्थों से बने जैविक और प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाए तो उससे बेहतर कुछ नहीं है, लेकिन आमतौर पर ऐसा होता नहीं है. अगर आप सुरक्षित रंगों का उपयोग कर रहें हैं तो भी जरूरी नहीं है कि सामने वाला भी ऐसे ही Holi Colors का उपयोग करें. वैसे तो एक बार रसायन युक्त रंग बालों पर लग जाए तो उसका असर बालों की सेहत पर पड़ता ही है, लेकिन कुछ उपाय है जिन्हे अपनाकर कुछ बालों पर रंगों मे मिले रसायन के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
कैसे करें तैयारी :होली खेलने से पहले बालों पर सिर की जड़ों में व बालों की पूरी लेंथ पर नारियल या जैतून के तेल से हल्के हाथ से मालिश करें. इससे बालों पर चिकनाई की एक कोटिंग लग जाती है और बालों या सिर की जड़ों में रंग कम चिपकता है. इसके अलावा रंग खेलते समय यदि सिर पर टोपी या स्कार्फ पहन लिया जाय तो भी बाल व सिर की त्वचा सीधे तौर हानिकारक रंगों के संपर्क में नहीं आ पाती हैं. वहीं वे महिलायें या लड़कियां जिनके बाल ज्यादा लंबे हों वे बालों में तेल लगाने के बाद उन्हे ऊंची छोटी या जुड़े में भी बांध सकती है, जिससे Holi Colors कम से कम मात्रा में सिर की त्वचा तक पहुंचे.