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विलुप्ति की कगार पर हिमालय का 'बरमोला', जानें इस औषधीय पौधे की खासियत, इन बीमारियों में देता है राहत

हिमालय का औषधीय पौधा बरमोला कई प्रकार की बीमारियों के मर्ज का काम करता है, लेकिन अत्यधिक दोहन के कारण खतरे में है.

Megacarpaea Polyandra
बरमोला की खासियत (फोटो साभार- Ankit Rawat)

By ETV Bharat Health Team

Published : Nov 14, 2024, 4:24 PM IST

श्रीनगर गढ़वाल (उत्तराखंड): हिमालय अपनी गोद में हजारों प्रकार की औषधीय पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियों को समाए हुए हैं. आज हम आपको ऐसे ही मेडिसनल प्लांट से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जो अब अत्यधिक दोहन की वजह से विलुप्ति की कगार पर पहुंच गया है. यह औषधीय पौधा बरमोला (Megacarpaea Polyandra) हैं. ये प्लांट सिर्फ पश्चिमी हिमालय के राज्यों उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में पाया जाता है. इसके पत्तों, तने और जड़ से लेकर हर चीज में औषधीय गुण पाए जाते हैं.

बुग्याल वाले क्षेत्रों में पाया जाता है बरमोला:बता दें कि, हिमालय में कई बेशकीमती जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जो कई रोगों के निदान में इस्तेमाल की जाती है. एक ऐसा ही पौधा बरमोला है. यह पौधा हिमालय में समुद्रतल से 2500 से 3000 फीट की ऊंचाई पर बुग्याल वाले क्षेत्रों में पाया जाता है. उत्तराखंड की बात करें तो यह पौधा उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ में पाया जाता है, जिसका इस्तेमाल कुछ रोगों में किया जाता है.

औषधीय पौधे बरमोला की खासियत (वीडियो- Ankit Rawat/ETV Bharat)

गढ़वाल विवि के हैप्रेक के गेस्ट फैकल्टी अंकित रावत ने दी ये जानकारी:हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के हैप्रेक (उच्च शिखरीय पादप शोध केंद्र) में गेस्ट फैकल्टी के तौर पर कार्यरत डॉ. अंकित रावत ने ईटीवी भारत पर बरमोला (मैगाकार्पिया पाॅलीएंड्रा) की अहम जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह पौधा केवल पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पाया जाता है. उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र के स्थानीय लोग इसके पत्तों का इस्तेमाल सब्जी के रूप में भी करते हैं.

बरमोला का पौधा (फोटो साभार- Ankit Rawat)

इन बीमारियों को दूर करता है बरमोला: डॉ. अंकित बताते हैं कि इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल बुखार, पेट संबंधी किसी भी प्रकार के रोग में किया जा सकता है. इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति को गैस की समस्या हो तो वो इसका इस्तेमाल कर सकता है क्योंकि, यह पौधा इस समस्या से भी निजात दिलाने में मदद करता है. इसके साथ ही 5 साल से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को बुखार, पेट दर्द या पेट में मरोड़ होने पर बरमोला के पौधे की जड़ों का सेवन करने से राहत मिलती है.

बरमोला के पौधे पर खिले फूल (फोटो साभार- Ankit Rawat)

हालांकि, डॉ. अंकित बताते हैं कि बरमोला के पौधे की जड़ों का सेवन निश्चित मात्रा में ही करना होता है. यह बच्चों के लिए एक इम्यूनिटी बूस्टर की तरह काम करता है और कई रोगों से लड़ने में मदद करता है. डॉ. अंकित ने बताया कि दमे से जूझ रहे मरीज यदि इस पौधे की जड़ और पत्तियों का सेवन करें तो धीरे-धीरे दमे को भी ठीक करता है, जिससे मरीज को राहत मिलने लगती है.

औषधीय पौधा बरमोला (फोटो साभार- Ankit Rawat)

अत्यधिक दोहन से बरमोला पर मंडराया खतरा:इसके साथ ही निमोनिया के तेज बुखार को भी यह ठीक करता है. अगर निमोनिया से पीड़ित मरीज बरमोला का लगातार सेवन करें तो धीरे-धीरे उसे आराम मिलने लगता है. हालांकि, हिमालय क्षेत्र में इसके अत्यधिक दोहन के कारण अब पौधा धीरे-धीरे विलुप्त हो रहा है. अगर इसका दोहन कम नहीं किया गया तो आने वाले समय में इस औषधीय पौधे पर संकट मंडरा जाएगा.

इसका इस्तेमाल बुखार, पेट संबंधी बीमारी और बच्चों के रोगों में किया जाता है. जब अन्य जड़ी-बूटी कड़वी और अतीश भी काम नहीं करते हैं तो इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसकी ताशिर ठंडी होती है. इसकी जड़ें मूली की तरह नजर आती है, इस वजह से बरमोला कहा जाता है. बारह मूली के बराबर इसकी जड़ें लंबी होती है. बुग्याल क्षेत्र में यह पौधा मिलता है, लेकिन अत्यधिक दोहन और क्लाइमेंट चेंज की वजह यह कम हो रहा है. इसकी कोंपलों से सब्जी बनाई जाती है तो जड़ों से औषधी बना सकते हैं. -डॉ. अंकित रावत, गेस्ट फैकल्टी, हैप्रेक, एचएनबी गढ़वाल विवि श्रीनगर

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