रोहित सोनी, देहरादून: आयुर्वेद चिकित्सा एक प्राचीन भारतीय पद्धति है. इसका उपयोग प्राचीन समय से ही स्वास्थ्य और लोगों के कल्याण के लिए किया जाता रहा है. पिछले कुछ सालों में आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है. आयुर्वेद चिकित्सा में इलाज संबंधित तमाम तरह की विधाएं हैं. इन विधाओं का इस्तेमाल अलग-अलग रोगों के उपचार के लिए किया जाता है. पंचकर्म आयुर्वेद चिकित्सा की ऐसी ही एक पद्धति है.
भारत के केरल राज्य समेत साउथ के तमाम राज्यों में आज भी पंचकर्म पद्धति का काफी अधिक इस्तेमाल किया जाता है. देश के अन्य राज्यों और तमाम देशों में इसका अधिक प्रचलन नहीं है. कोरोना काल के बाद से ही भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दिया जा रहा है. केरल में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले आयुर्वेद चिकित्सा की पंचकर्म पद्धति देश दुनिया में काफी प्रचलित है. पंचकर्म पद्धति काफी आसान प्रक्रिया है. जिसके जरिए शरीर को शुद्ध करते हुए सभी दोषों को दूर किया जाता है. जिससे लोगों को स्वस्थ किया जाता है.
पंचकर्म का अर्थ पांच क्रियाएं: आयुर्वेद के अनुसार पंचकर्म पद्धति शरीर को शुद्ध और विषहरण करने का सबसे आसान तरीका है. शरीर को डिटॉक्सिफाई करने की एक प्रणाली पंचकर्म है. पंचकर्म में पांच चरण होते हैं. इनका उद्देश्य शरीर को शुद्ध करना, दोषों को संतुलित करना और समग्र कल्याण को बढ़ावा देना है. आयुर्वेदिक पंचकर्म आयुर्वेद में शुद्धिकरण और विषहरण उपचारों की एक व्यापक प्रणाली है. पंचकर्म का अर्थ पांच क्रियाएं है. लिहाजा पंचकर्म में पांच चरणों के जरिये शरीर के विशुद्ध पदार्थों को खत्म किया जाता है. पंचकर्म चिकित्सा में पांच क्रियाएं हैं. जिसमें वामन, विरेचन, बस्ती, नास्या और रक्तमोक्षण कर्म शामिल हैं.
देहरादून स्थित परेड ग्राउंड में विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो का आयोजन किया गया है. इस चार दिवसीय सम्मेलन का आयोजन 12 दिसंबर से 15 दिसंबर तक किया जा रहा है. इस सम्मेलन में भारत देश ही नहीं बल्कि 54 विदेश से करीब 350 डेलिगेट्स शामिल हो रहे हैं. इसके साथ ही इस सम्मेलन में देश के तमाम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़ी कंपनियों की एग्जीबिशन भी लगाई गई है. जिसमें कंपनियां अपनी आयुर्वेद दवाइयों का प्रचार प्रसार कर रही हैं. इसके साथ ही आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से जुड़े तमाम विधाओं मैं इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट के भी स्टॉल लगाए गए हैं.
LIVE: देहरादून में 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो का शुभारम्भ
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) December 12, 2024
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पंचकर्म आयुर्वेद चिकित्सा का हिस्सा: विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो में पंचकर्म चिकित्सा वैद्य अभय कसले भी शामिल हुये. उन्होंने ईटीवी भारत के संवाददाता रोहित कुमार सोनी से एक्सक्लूसिव बातचीत की. बातचीत करते हुए पंचकर्म चिकित्सा वैद्य अभय ने बताया पंचकर्म एक आयुर्वेद चिकित्सा का हिस्सा है. आयुर्वेद में चिकित्सा के तमाम प्रणाली है. उन्होंने बताया शास्त्र में पंचकर्म को एक कर्म बताया गया है. पंचकर्म विद्या को करने के लिए अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट भी इस्तेमाल किए जाते हैं. अब प्राचीन समय में इस्तेमाल होने वाले इंस्ट्रूमेंट को आधुनिक तकनीकी के साथ जोड़ दिया गया है.
आधुनिक इंस्ट्रूमेंट पंचकर्म में कारगर: पहले पंचकर्म की विधाओं को करने के लिए अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल किया जाता था. अब इस आधुनिकता के दौर में ऐसे इंस्ट्रूमेंट डेवलप किया जा चुके हैं. जिसके जरिए पंचकर्म की सारी विधाएं एक ही इंस्ट्रूमेंट से की जा सकती हैं. यानी एक इंस्ट्रूमेंट के जरिए ही पूरी बॉडी को मसाज दी जा सकती है. बॉडी को इससे ही स्टीम भी दिया जा सकता है. पंचकर्म में अलग-अलग धाराएं भी शामिल हैं. जिसमें शिरोधारा, सर्वांग धारा शामिल हैं. अगर तेल की धारा सिर पर गिराई जा रही है तो उसे शिरोधारा और अगर पूरे शरीर पर तेल की धारा गिराई जाती है तो उसे सर्वांग धारा कहते हैं.
खास है पंचकर्म थेरेपी: वैद्य अभय ने बताया आयुर्वेद में पंचकर्म को सिर्फ चिकित्सा के लिए नहीं बताया गया है बल्कि व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए भी बताया गया है. यानी अगर किसी व्यक्ति को कोई बीमारी नहीं है तो वह भी पंचकर्म की थेरेपी ले सकता है. उन्होंने बताया पंचकर्म से शरीर की शुद्धि होती है. पंचकर्म थैरेपी का खर्च, रोग के आधार पर तय किया जाता है. सामान्य तौर पर पंचकर्म थेरेपी तीन से आठ दिनों की होती है. जिसमें करीब चार से लेकर 12 हजार रुपए तक का खर्च आता है.