हैदराबाद: मौजूदा समय में खान-पान की बदलती आदतों, मानसिक तनाव और गतिहीन जीवनशैली के कारण कई लोगों को कम उम्र में ही दिल का दौरा पड़ रहा है. अनहेल्दी हैबिट्स और तनाव के चलते महिलाओं में इन दिनों हार्ट संबंधी समस्याएं सबसे ज्यादा देखने को मिल रही हैं. 30 और 40 की उम्र की महिलाओं में अचानक दिल का दौरा और कार्डियक अरेस्ट सहित गंभीर हृदय संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. शुरुआती हस्तक्षेप और रोकथाम के लिए यूनिक रिस्क फैक्टर और चेतावनी संकेतों को समझना महत्वपूर्ण है.
कम उम्र की महिलाओं में बढ़ रहे हृदय संबंधी खतरे
हार्ट संबंधी समस्याएं केवल वृद्ध व्यक्तियों के लिए चिंता का विषय नहीं हैं. कंजेस्टिव हार्ट फेलियर अब 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में अचानक मृत्यु का एक महत्वपूर्ण कारण है. इस बीमारी के अक्सर शुरुआती संकेत जैसे कि सीने में दर्द, थकान, मतली और चक्कर आना काफी कॉमन होते हैं. जिसे आसानी से अनदेखा किया जा सकता है. पुरुषों के विपरीत, महिलाओं को आमतौर पर सीने में दर्द होता रहता है, हालांकि,हार्ट संबंधी समस्याएं के चलते महिलाओं को अत्यधिक थकान या पाचन संबंधी परेशानी जैसे अधिक अस्पष्ट लक्षण हो सकते हैं. इन चेतावनी संकेतों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि समय पर इस बीमारी की पहचान ज्याद गंभीर परिणामों को रोकने की कुंजी है.
जीवनशैली में बदलाव महत्वपूर्ण हैं
हार्ट डिजीज के खतरों को कम करने के लिए, महिलाओं को व्यस्त जीवनशैली के बावजूद अपने हेल्थ को प्राथमिकता देनी चाहिए. हेल्दी लाइफस्टाइल में मुख्य यह बातें शामिल हैं:-
बैलेंस डाइट: विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों और साबुत अनाज का सेवन करने पर ध्यान दें. अनहेल्दी फैट्स और चीनी का सेवन कम करने के लिए प्रोसेस्ड और फास्ट फूड को सीमित करें.
नियमित व्यायाम: अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधि को शामिल करें. व्यायाम के रूप में केवल घर का काम ही पर्याप्त नहीं है. प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम का लक्ष्य रखें.
हानिकारक आदतों से बचें:धूम्रपान और शराब का सेवन कम करें या खत्म करें. ये दोनों आदतें हृदय रोग में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं.
तनाव का प्रबंधन करें: पुराना तनाव और चिंता हृदय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए योग और ध्यान जैसे तनाव कम करने वाले अभ्यास करें.