पटनाःदेश में लिवर संबंधित बीमारी बढ़ रही है. कई बार तो ऐसा होता है कि लिवर ट्रांसप्लांट करना होता है, जो काफी खर्चिला होता है. लिवर से संबंधित बीमारी, लिवर का ख्याल और ट्रांसप्लांट में कितना खर्च आता है. इन सभी सवालों को लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने देश के प्रख्यात लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ विनियेंद्र पमेचा से खास बातचीत की. डॉ विनियेंद्र पमेचा देश के सबसे ज्यादा लिवर ट्रांसप्लांट का सर्जरी कर चुके हैं.
लिवर ट्रांसप्लांट क्या है?:ईटीवी से बातचीत में डॉक्टर विनियेंद्र पमेचा ने कहा कि देश में लिवर संबंधित बीमारी लोगों में बढ़ रही है. इसके पीछे बदलती जीवन शैली प्रमुख कारण है. जिन लोगों के लिवर खराब हो गए हैं और पेट में पानी बन रहा है. दवाइयां से ठीक नहीं हो रहा है या लिवर में ट्यूमर बन रहा है या मरीज को खून की उल्टी बार-बार हो रही है, लिवर के खराब होने के बाद जब उसका इफेक्ट शरीर के अन्य अंग पर पड़ने लगता है. इस समय लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता है. ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर हो जाती है.
लिवर ट्रांसप्लांट के तरीकेः लिवर ट्रांसप्लांट दो तरीके से होता है. दो तरह के डोनर्स होते हैं जिसमें एक जिसमें ब्रेन स्टेम डेथ होता है. जिनके सिर में ऐसी चोट होती है कि जो ईरिवर्सिबल है. इस सिचुएशन में हर हॉस्पिटल में एक कमेटी होती है जो जांच करती है कि पेशेंट ब्रेन डेड है या नहीं. इसके बाद रिश्तेदारों से सलाह लिया जाता है. अंग डोनेट करना चाहते हैं तो किसी और की जान बचाने के लिए उसका इस्तेमाल हो सकता है.
"लिवर की हेल्थ के लिए डेली लाइफ स्टाइल में फिजिकल वर्क और हेल्दी डाइट बहुत मायने रखता है. इसके अलावा अल्कोहल और किसी भी प्रकार का नशा लिवर के सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है. इससे दूरी जरूरी है. हेल्दी लिवर के लिए लोगों को फिजिकल वर्क को डेली रूटीन में शामिल करना होगा."- डॉक्टर विनियेंद्र पमेचा, सर्जन
डोनर की उम्र कितनी होनी चाहिएः दूसरी स्थिति होती है कि यदि परिवार का कोई सदस्य लिवर डोनेट करने के लिए तैयार है. उसकी जांच होती है. डोनर की 18 से 55 वर्ष में उम्र होनी चाहिए और शरीर में कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए. उसके बाद मैचिंग किया जाता है. यदि मैचिंग होता है तो हेल्दी पर्सन से लिवर का एक हिस्सा काट करके बीमार व्यक्ति को ट्रांसप्लांट किया जाता है.
डोनर को भी सावधानी बरतनी चाहिएःडॉ विनियेंद्र पमेचा ने बताया कि डोनर को भी सावधानी बरतने की जरूरत होती है. यह बड़ी सर्जरी होती है. इसलिए इसमें रिस्क होता है. लेकिन सभी सेफ्टी मार्जिन लेकर सर्जरी की जाती है. ताकि आगे उसे दिक्कत ना हो. उन्होंने बताया कि आईएलबीएस में उन्होंने 1000 से अधिक लाइव डोनर्स की सर्जरी की है. इसमें लॉन्ग टर्म में उन्होंने कोई प्रॉब्लम नहीं देखा है.