नई दिल्ली :भारत में अंधेपन का तीसरा सबसे आम कारण ग्लूकोमा के 80 प्रतिशत मामलों का पता ही नहीं चल पाता है. विशेषज्ञों ने बुधवार को बताया कि ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है, जो ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करती है. जनवरी राष्ट्रीय ग्लूकोमा जागरूकता माह है, जो इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने का समय है. ग्लूकोमा को 'छुपे चोर' के रूप में भी जाना जाता है. इसके कोई प्रारंभिक लक्षण नहीं होते हैं. यह अपरिवर्तनीय अंधेपन का प्रमुख कारण भी है, जिससे दुनिया भर में 8 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हैं.
नई दिल्ली में दिल्ली आई सेंटर और सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ कॉर्निया, मोतियाबिंद और सर्जरी विशेषज्ञ इकेदा लाल ने न्यूज एजेंसी को बताया, ग्लूकोमा आंखों की स्थितियों का एक समूह है, जो ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है, जिससे धीरे-धीरे दृष्टि हानि होती है. यह आम तौर पर शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं दिखाता है, जिससे प्रारंभिक निदान के लिए नियमित आंखों की जांच महत्वपूर्ण हो जाती है.
उन्होंने आगे बताया कि जैसे-जैसे स्थिति बढ़ती है, व्यक्ति को धुंधली दृष्टि, कम रोशनी के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई और रोशनी के चारों ओर प्रभामंडल देखने का अनुभव हो सकता है। कुछ मरीजों को आंखों में दर्द और सिरदर्द का भी अनुभव हो सकता है. डॉक्टर ने कहा, 'यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो व्यापक नेत्र परीक्षण के लिए नेत्र चिकित्सक को दिखाना महत्वपूर्ण है.'