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आंधी: रिलीज के 20 हफ्तों बाद बैन हुई थी संजीव-सुचित्रा की पॉलीटिकल-ड्रामा, आपातकाल के बाद बनी ब्लॉकबस्टर - 50 YEARS OF AANDHI

गुलजार की पॉलिटिकल-ड्रामा आंधी (1975) को लीड कैरेक्टर के इंदिरा गांधी से समानता के कारण विवाद का सामना करना पड़ा और टेंपररी बैन होना पड़ा.

Aandhi
आंधी (Film Poster)

By ETV Bharat Entertainment Team

Published : Feb 13, 2025, 8:02 PM IST

हैदराबाद:गुलजार की 1975 में रिलीज हुई सदाबहार क्लासिक फिल्म 'आंधी' पॉलीटिकल-लव स्टोरी थी. जिसे विवादों का सामना करना पड़ा. इसमें संजीव कुमार और सुचित्रा सेन ने लीड रोल प्ले किया था. 50 साल पहले 13 फरवरी को रिलीज के बाद लोगों ने पाया कि यह फिल्म तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित थी. फिल्म के कुछ पोस्टरों में भी इस चीज को देखा जा सकता है. यहां तक कि साउथ इंडिया में एक पोस्टर पर लिखा था, 'अपने प्रधानमंत्री को स्क्रीन पर देखें'.

इंदिरा गांधी से थी समानता

फिल्म के निर्देशक और स्क्रीनप्ले राइटर गुलजार ने इस बात पर जोर दिया था कि फिल्म के लीड कैरेक्टर आरती देवी और इंदिरा गांधी के बीच कोई समानता नहीं है और फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. लेकिन इसके बाद भी अफवाहों का बाजार गर्म रहा. दरअसल लीड रोल में एक्ट्रेस के कपड़े पहनने का तरीका, व्हाईट बाल, व्हाईट साड़ी और तेज चलने की स्टाइल ये सब मिलते-जुलते थे. वहीं फिल्म को 20 हफ्ते थिएटर में चलने के बाद इसे बैन किया गया.

गुलजार ने बहुत बाद में सबा महमूद बशीर द्वारा लिखित 'गुलजार की आंधी: इनसाइट्स इनटू द फिल्म' में बताया कि वे एक मॉडर्न पॉलीटिकल लीडर के बारे में फिल्म बनाना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने इंदिरा गांधी का रेफरेंस लिया. उन्होंने कहा था, 'उस समय यह इंदिरा गांधी के जीवन पर कोई कहानी नहीं थी. लेकिन आज भी, उनके जैसा कोई नहीं है, इसलिए उन्हें ध्यान में रखना जरुरी था. जिस तरह से वह चलती थी, जिस तरह से वह सीढ़ियों से उतरती थी, जिस तरह से वह हेलीकॉप्टर से उतरती थी. हमने उनकी स्टाइल को रेफरेंस के तौर पर लिया.

आपातकाल के समय लगा फिल्म पर प्रतिबंध

आंधी की कहानी एक सुचित्रा सेन और संजीव कुमार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो कई सालों के बाद अचानक से मिलते हैं, जब पत्नी, जो अब एक पॉलिटिशियन है अपने पति की एक होटल में रहने आती है. 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया था जो 21 महीने तक चला. उसी समय गुलजार मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गए थे उन्हें स्क्रीनिंग से पहले फिल्म की बैन की खबर मिली. उन्हें यह भी बताया गया कि फिल्म के प्रमोशनल पोस्टर उतार दिए जाएं और प्रिंट वापस भेज दिए जाएं.

बैन के पीछे थी राजनीति ?

फिल्म को रिलीज होने के 26 हफ्ते बाद बैन कर दिया गया था. इसका कारण था आरती देवी को शराब पीते और धूम्रपान करते दिखाना. ऐसा माना जा रहा था कि ऐसा दिखाने से इंदिरा गांधी और कांग्रेस की छवि खराब हो सकती है. हालांकि फिल्म इतिहासकार, आईएफएफआई गोवा के पूर्व सीईओ और फिल्म मेकर मनोज श्रीवास्तव कहते है कि, 'इस फिल्म के पीछे कोई राजनीति नहीं थी'.

इमरजेंसी के बाद रिलीज हुई फिल्म

1977 में आपातकाल हटने और नई सरकार जनता पार्टी के चुने जाने के बाद यह फिल्म फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हुई. फिल्म ने अपनी शानदार स्टोरी, जबरदस्त एक्टिंग और आर डी बर्मन के म्यूजिक साथ ही 'तेरे बिना जिंदगी से शिकवा', 'इस मोड़ से जाते हैं' और 'तुम आ गए हो' जैसे गानों के अच्छे कलेक्शन के चलते खूब चर्चा बटोरी और इसने बॉक्स ऑफिस पर भी शानदार प्रदर्शन किया. संजीव कुमार के किरदार को श्रीमती गांधी के पति की झलक दिखने की भी खूब चर्चा थी. विवाद के दौरान गुलजार ने इंदिरा गांधी के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया, लेकिन 1977 में जब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय चुनाव हार गईं और जनता पार्टी सत्ता में आई, तभी उन्होंने स्वीकार किया और कहा, 'हां, फिल्म इंदिरा गांधी को ध्यान में रखकर बनाई गई थी'. वहीं संजीव कुमार ने कहा था, 'केवल उनका किरदार फिरोज गांधी पर आधारित था.'

दिलचस्प बात यह है कि साल 1975 गुलजार के लिए सबसे सफल साबित हुआ. इसी साल जीतेन्द्र-हेमा मालिनी स्टारर खुशबू भी 1975 में रिलीज हुई, जो गुलजार के करियर की सबसे सफल फिल्मों में से एक रही.

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