पटना:1 फरवरी से इंटर की परीक्षाहै. परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों में अच्छे नंबर लाने की होड़ मची रहती है, जिसके चलते वे बिना खाए पिए बिना सोए दिन रात पढ़ाई करते रहते हैं. वहीं कई अभिभावक भी बच्चों को बेहतर अंक लाने के लिए दबाव बनाते हैं. बच्चे तनाव में दिन रात पढ़ाई कर रहे हैं और इसका दुष्प्रभाव उनके सेहत पर पड़ रहा है.
एक्जाम के दौरान कैसे कम करें तनाव?: बिहार के समाज कल्याण विभाग के मनोचिकित्सक डॉक्टर मनोज कुमार ने बताया कि बोर्ड परीक्षाओं के समय यह घटनाएं सामान्य है. उनके पास कई बच्चों की समस्याएं अभिभावक लेकर पहुंच रहे हैं. समाज में बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट को एक उपलब्धि के तौर पर लोग मानते हैं. ऐसे में बच्चे बेहतर अंक लाने के लिए और अपने पीयर ग्रुप में सबसे बेहतर करने के लिए परेशान नजर आ रहे हैं.
"यह बच्चे दिन-रात जागकर पढ़ाई कर रहे हैं और इस प्रकार जितना पढ़ाई कर रहे हैं, उतना कंफ्यूज हो रहे हैं. साइकोलॉजी के टर्म में इसे हाइपर अराउजल की स्थिति कहा जाता है. हाइपर अराउजल की स्थिति में शरीर में ज्ञानेंद्रिय को स्थिर होने का मौका नहीं मिलता है. इस कारण शरीर में बेचैनी बढ़ने लगती है."- डॉ मनोज कुमार, मनोचिकित्सक
हाइपर अराउजल की स्थिति क्या होती है?: डॉ मनोज कुमार ने कहा किहाइपर अराउजल की स्थिति में हाथ पांव से पसीना निकलने लगता है. तनाव के माहौल में भोजन पचाने में भी परेशानी होती है. ज्ञानेंद्रिय जब स्थिर नहीं होती तो कंसंट्रेशन लेवल कमजोर हो जाता है.
'8 घंटे की नींद है जरूरी'- मनोचिकित्सक: मनोचिकित्सक ने कहा कि यही कारण है कि कई बार बच्चे दिन-रात पढ़कर परीक्षा हॉल में जाते हैं और सवाल देखते ही वह सब कुछ भूल जाते हैं जबकि परीक्षा हॉल से निकलने के बाद उन्हें सब याद आ जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में परीक्षा से पहले 8 घंटे की अच्छी नींद बच्चों के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि यदि हमारे सेंस ऑर्गन रिलैक्स नहीं होंगे तो जो भी पढ़े होंगे वह भूल जाते हैं.
बच्चों के डिप्रेशन में जाने के चांसेस ज्यादा: डॉ मनोज कुमार ने बताया कि यदि दिन रात जागकर पढ़ाई कर रहे हैं तो डायरिया और डिहाइड्रेशन के चांसेस बढ़ जाते हैं. इसके अलावा सर में दर्द, पेट में दर्द की शिकायत भी बढ़ जाती है. शरीर की मांसपेशियां जकड़ने लगती है. जो बार-बार पढ़ते हैं वह याद नहीं होता है क्योंकि सेंस ऑर्गन रिलैक्स नहीं होते हैं. इस स्थिति में बच्चों के मन में यह भावना बैठ जाती है कि उनकी परीक्षा अच्छी नहीं जाएगी और डिप्रेशन में चले जाने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती है.