नई दिल्ली:रतन टाटा के निधन के बाद उनकी वसीयत से जुड़े कई जानकारी पहले ही सामने आ चुकी है. रतन टाटा ने अपने भाई-बहनों के लिए एक हिस्सा छोड़ा है. साथ ही उन्होंने अपनी वसीयत में अपने कुत्ते, रसोइए और असिस्टेंट को भी हिस्सा आवंटित किया है.
उन्होंने अपनी वसीयत यह भी लिखा है कि रतन टाटा की निजी संपत्ति को एक नए 'रतन टाटा एंडाउमेंट ट्रस्ट' को दान कर दिया जाएगा. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि टाटा ग्रुप काम कैसे करता है और टाटा ग्रुप और टाटा ट्रस्ट्स कैसे अलग हैं? इतना ही नहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें एयरलाइंस से लेकर कार, लग्जरी होटल, सॉफ्टवेयर, रिटेल जैसे कई सेक्टर्स में काम करने वाले टाटा ग्रुप को लेकर अक्सर कंफ्यूजन रहता है.
ऐसे में आपके मन में भी सवाल है कि इसका मालिक कौन है और टाटा ग्रुप और टाटा परिवार में टाटा ट्रस्ट्स की क्या अहमियत है? तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं. बता दें कि रतन टाटा का निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल नवल टाटा को टाटा ट्रस्ट् का चेयरमैन बनाया गया हैं. ऐसा माना जाता है कि टाटा ग्रुप में जो भी शख्स टाटा ट्रस्ट्स को हेड करता है, वही कंपनी का मालिक होता है.
टाटा ट्रस्ट्स के काम
जमशेदजी टाटा ने टाटा ग्रुप की शुरुआत की. उनके दो बेटे थे सर रतन टाटा और सर दोराबजी टाटा. इन दोनों की संपत्ति के लिए एक-एक ट्रस्ट बना दिया गया. इसके चलते 1919 में सर रतन टाटा ट्रस्ट और 1932 में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट वजूद में आए.