नई दिल्ली:भारत का केंद्रीय बजट सरकार द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण वार्षिक दस्तावेज है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के लिए नियोजित रेवेन्यू और खर्च की रूपरेखा प्रस्तुत करता है. यह आर्थिक नीतियों, प्राथमिकताओं और विकास की रणनीतियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है. शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचा, रक्षा और सामाजिक कल्याण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संसाधनों के आवंटन को निर्देशित करता है.
बजट में रेवेन्यू के सोर्स को भी बताया जाता है, मुख्य रूप से टैक्स के माध्यम से, और राजकोषीय नीति और घाटे के प्रबंधन के लिए रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की जाती है. इस प्रकार यह निवेशकों के विश्वास और बाजार की प्रतिक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है. जिससे व्यापार वृद्धि, वित्तीय बाजार और यहां तक कि अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है.
बजट में सामाजिक कल्याण योजनाओं, सब्सिडी और सार्वजनिक सेवाओं के लिए किए गए आवंटन का लाखों नागरिकों की आजीविका पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे गरीबी, बेरोजगारी और असमानता दूर होती है. बजट महंगाई और ब्याज दरों को भी प्रभावित करता है, जो जीवन यापन और उधार लेने की लागत को प्रभावित करता है.