नई दिल्ली:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी.इस वर्ष के बजट में प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक रक्षा क्षेत्र होगा. क्योंकि दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश और एक प्रमुख सैन्य शक्ति है. भारत का रक्षा खर्च न केवल आम जनता और नीति निर्माताओं के लिए बल्कि दुनिया भर के रक्षा और रणनीतिक विशेषज्ञों के लिए भी दिलचस्प है.
भारत के रक्षा बजट को समझें
भारत दो शत्रु पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन से घिरा हुआ है. साल 1947 में आजादी के बाद से उनके साथ कई युद्ध लड़े हैं, जिसमें मई-जून 2020 में लद्दाख क्षेत्र में अपने उत्तरी पड़ोसी चीन के साथ आखिरी बड़ी सीमा झड़प भी शामिल है. इसमें 20 भारतीय सेना के जवान मारे गए थे. देश सीमावर्ती राज्यों और मध्य भारत में आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से भी जूझ रहा है, जहां वामपंथी चरमपंथी सक्रिय हैं.
इन सभी वजहों के कारण केंद्र सरकार को देश की सीमाओं, इसके विशेष आर्थिक क्षेत्रों को सुरक्षित करने और आंतरिक शांति और सुरक्षा बनाए रखने पर भारी धनराशि खर्च करने की आवश्यकता होती है. परिणामस्वरूप, भारत के रक्षा बजट में पिछले कुछ वर्षों में लगातार वृद्धि देखी गई है.
उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत का रक्षा बजट 3.66 लाख करोड़ रुपये से अधिक था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले वित्तीय वर्ष के लिए 3.85 लाख करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किया था ( वित्तीय वर्ष 2022-23).
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्री थीं. हालांकि, पिछले साल प्रस्तुत संशोधित अनुमान के अनुसार, भारत का रक्षा बजट रिकॉर्ड 4.10 लाख करोड़ तक पहुंच गया.
इसी तरह, चालू वित्त वर्ष के लिए, भारत की सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, निर्मला सीतारमण ने रक्षा बजट के लिए आवंटन 3.85 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर लगभग 4.32 लाख करोड़ रुपये कर दिया. हालांकि, संशोधित अनुमान के मुताबिक, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को चालू वित्त वर्ष के लिए वोट ऑन अकाउंट पेश करेंगी तो इस आंकड़े में भी बढ़ोतरी दर्ज होने की उम्मीद है.
रक्षा बजट को चार भाग में बांटा गया
भारत के रक्षा बजट को चार श्रेणियों में व्यवस्थित किया गया है. रक्षा मंत्रालय का नागरिक खर्च, रक्षा सेवा (राजस्व) खर्च, रक्षा सेवाओं पर पूंजीगत आउटले या रक्षा क्षेत्र और रक्षा पेंशन पर पूंजीगत खर्च है. चालू वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2023-24) के लिए रक्षा मंत्रालय (नागरिक) खर्च लगभग 46,000 करोड़ रुपये अनुमानित किया गया है. इस श्रेणी के तहत पूंजीगत खर्च लगभग 8850 करोड़ रुपये आंका गया है, 37,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जाएंगे राजस्व खर्च के रूप में है. चालू वित्त वर्ष में 4.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा बजट का सबसे बड़ा घटक राजस्व खर्च (रक्षा सेवा राजस्व) के रूप में खर्च किया जाएगा.