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पैसे बचाने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर हैं भारतीय, जानिए कौन है नंबर 1 पर - INDIA RANKS FOURTH IN SAVINGS

भारत में बचत की संस्कृति है जिसने भारत को बचत के मामले दुनिया में चौथे स्थान पर पहुंचा दिया है.

India Ranks Fourth Globally In Savings
प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 13 hours ago

नई दिल्ली: भारत ने लंबे समय से बचत की संस्कृति को बनाए रखा है. एक परंपरा जो आधुनिक वित्तीय बदलावों के बावजूद भी फल-फूल रही है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश की बचत दर 30.2 फीसदी है, जो वैश्विक औसत 28.2 फीसदी से अधिक है. यह भारत को वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा बचतकर्ता बनाता है, जो केवल चीन (46.6 फीसदी), इंडोनेशिया (38.1 फीसदी) और रूस (31.7 फीसदी) से पीछे है.

एसबीआई की रिपोर्ट जो कि इसकी इकोरैप सीरीजका हिस्सा है. इसने देश में बचत की आदतों के विकास को रेखांकित किया है, जिसमें वित्तीय समावेशन की ओर उल्लेखनीय बदलाव देखा गया है. इसमें 80 फीसदी से अधिक एडल्ट अब औपचारिक वित्तीय खातों का उपयोग कर रहे हैं. जबकि 2011 में यह आंकड़ा केवल 50 फीसदी था. यह ट्रेंड वित्तीय सेवाओं की बढ़ती पहुंच और औपचारिक अर्थव्यवस्था में जनसंख्या की बढ़ती भागीदारी को उजागर करती है.

जबकि पारंपरिक बचत मेथड, जैसे कि बैंक जमा और नकद होल्डिंग्स, अभी भी वित्तीय परिदृश्य में एक भूमिका निभाती हैं. नए निवेश साधनों ने महत्वपूर्ण गति प्राप्त की है. म्यूचुअल फंड और इक्विटी जैसे साधनों के लिए प्राथमिकता बढ़ रही है, वित्त वर्ष 2018 से सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) पंजीकरण में चार गुना वृद्धि देखी गई है, जो कुल 4.8 करोड़ SIP खातों तक पहुंच गया है.

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नई दिल्ली: भारत ने लंबे समय से बचत की संस्कृति को बनाए रखा है. एक परंपरा जो आधुनिक वित्तीय बदलावों के बावजूद भी फल-फूल रही है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश की बचत दर 30.2 फीसदी है, जो वैश्विक औसत 28.2 फीसदी से अधिक है. यह भारत को वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा बचतकर्ता बनाता है, जो केवल चीन (46.6 फीसदी), इंडोनेशिया (38.1 फीसदी) और रूस (31.7 फीसदी) से पीछे है.

एसबीआई की रिपोर्ट जो कि इसकी इकोरैप सीरीजका हिस्सा है. इसने देश में बचत की आदतों के विकास को रेखांकित किया है, जिसमें वित्तीय समावेशन की ओर उल्लेखनीय बदलाव देखा गया है. इसमें 80 फीसदी से अधिक एडल्ट अब औपचारिक वित्तीय खातों का उपयोग कर रहे हैं. जबकि 2011 में यह आंकड़ा केवल 50 फीसदी था. यह ट्रेंड वित्तीय सेवाओं की बढ़ती पहुंच और औपचारिक अर्थव्यवस्था में जनसंख्या की बढ़ती भागीदारी को उजागर करती है.

जबकि पारंपरिक बचत मेथड, जैसे कि बैंक जमा और नकद होल्डिंग्स, अभी भी वित्तीय परिदृश्य में एक भूमिका निभाती हैं. नए निवेश साधनों ने महत्वपूर्ण गति प्राप्त की है. म्यूचुअल फंड और इक्विटी जैसे साधनों के लिए प्राथमिकता बढ़ रही है, वित्त वर्ष 2018 से सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) पंजीकरण में चार गुना वृद्धि देखी गई है, जो कुल 4.8 करोड़ SIP खातों तक पहुंच गया है.

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