नई दिल्ली:भारत के लिए सबसे पसंदीदा राष्ट्र (MFN) का दर्जा निलंबित करने के स्विटजरलैंड के हालिया फैसले से आईटी, फार्मा और वित्तीय सेवाओं में भारतीय निवेशकों पर असर पड़ सकता है. यह कदम ट्रेड फ्रेमवर्क को बाधित करता है जिसका भारत को पहले विश्व व्यापार संगठन (WTO) के MFN के तहत लाभ मिला था. भारतीय निवेशकों पर क्या पड़ेगा असर?
क्या है मामला?
स्विट्जरलैंड सरकार ने भारत और स्विटजरलैंड के बीच डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) में सबसे पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा (MFN) सेक्शन निलंबित कर दिया है. इससे भारत में स्विस निवेश पर संभावित रूप से असर पड़ सकता है और यूरोपीय राष्ट्र में काम करने वाली भारतीय कंपनियों पर अधिक टैक्स लग सकता है. कंपनियों को अब लाभांश और अन्य इनकम पर 10 फीसदी कर देना होगा, जो पहले 5 फीसदी था. ये 1 जनवरी, 2025 से प्रभावी होगा.
स्विस सरकार ने यह कदम पिछले साल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद उठाया गया है. इसमें कहा गया था कि अगर कोई देश OECD में शामिल होने से पहले भारत सरकार ने उस देश के साथ टैक्स ट्रीटी पर साइन किए हैं, तो MFN सेक्शन ऑटोमेटिक लागू नहीं होता है.
- भारत-स्विट्जरलैंड डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट पर 2 नवंबर, 1994 को हस्ताक्षर किए गए थे और बाद में 2000 और 2010 में इसमें संशोधन किया गया था.
MFN दर्जा क्या है?
WTO नियमों के तहत MFN दर्जा वैश्विक व्यापार की आधारशिला है. यह अनिवार्य करता है कि देश सभी व्यापारिक साझेदारों के साथ समान व्यवहार करें, यह सुनिश्चित करें कि सबसे पसंदीदा साझेदार पर समान व्यापार शुल्क, कोटा और विनियमन लागू हों.