हैदराबादः ऑनलाइन वित्तीय लेन-देन के बढ़ते प्रचलन के साथ-साथ ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. इसके शिकार सिर्फ आम लोग ही नहीं, शिक्षक, प्रोफेसर, पुलिस अधिकारी तक हो जा रहे हैं. दिवाली जैसे त्योहारी मौसम में इस तरह के मामले बढ़ जाते हैं. इसको ध्यान में रखकर भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) की ओर से ऑनलाइन फ्रॉड स्कैम के लिए अपनाये जा रहे नये तरीके के बारे में अगाह किया है. सतर्कता पहली जरूरत है. इसके बाद भी अगर आपको लगता है आप फ्रॉड को शिकार हो चुके हैं या या प्रयास किया गया है तो अविलंब कदम उठाएं. सबसे पहले राष्ट्रीय साइबर रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें. मदद के लिए टॉल फ्री नंबर 1930 पर कॉल कर मदद या शिकायत दर्ज कराएं. इसके साथ स्थानीय साइबर थाना और अपने बैंकिंग पार्टनर से समस्या को साझा करें.
इन तरीको से आप हो सकते हैं साइबर फ्रॉड के शिकार
- फिशिंग घोटाले:सरकारी संस्थाओं, बैंकिंग, नियामक एजेंसी, पुलिस-प्रशासन, इनकम टैक्स सहित अन्य एजेंसी का लोगो, फर्जी वेबसाइट के माध्यम से बैंक खाता धारकों को डराकर या गुमराह कर तुरंत पैसे का डिमांड करते हैं.
- लॉटरी और पुरस्कार घोटालेःलॉटरी या पुरस्कार में मोटी रकम का सपना दिखाकर आम लोगों को दिगभ्रमित करते हैं. फिर खर्च/रजिस्ट्रेशन व अन्य नाम पर पैसे का डिमांड करते हैं.
- भावनात्मक हेरफेर घोटालेः सोशल साइट्स पर फर्जी एकाउंट बनाकर बनाकर दोस्ती, प्यार और भरोसे के जाल में फंसा कर मेडिकल इमरजेंसी, हादसा व अन्य बहाना बनाकर पैसा ठगने का धंधा जोरों पर है.
- नौकरी घोटालाःनौकरी के नाम बेरोजगार आसानी से ठगों के झांसे में आ जाते हैं. नौकरी के लालच में बेरोजगार युवा आ जाते हैं. फ्रॉड करने वाले इसका फायदा उठाकर सुरक्षा शुल्क, आवेदन शुल्क, ट्रेनिंग मेटेरियल शुल्क और बैकग्राउंड शुल्क के नाम पर पर कभी किश्तों में कभी एक मुश्त पैसा ठगते हैं.
- सपोर्ट के नाम पर ठगीःकभी बैंक का प्रतिनिधि बनकर तो कभी सरकारी कार्यालय से तो कभी इंटरनेट या सिस्टम में खराबी के दूर करने के नाम सपोर्ट की आर में पर्सनल डाटा चुराते हैं. कभी-कभी मदद के आर में मोबाइल या सिस्टम में अनावश्यक सॉफ्टवेयर डाल देते हैं.
- निवेश के नाम पर ठगीः ठगी करने वाले गिरोह सोशल मीडिया के माध्यम से रकम दोगुना करने, ज्यादा ब्याज सहित अन्य ऑफर का लोभ देकर लगातार मोटी रकम का ठगी करते हैं.
- कैश ऑन डिलीवरी (CoD) घोटालाः ई-कामर्स कंपनियों के नाम फर्जीवाड़ा कर आमलोगों से कई तरह की ठगी करते हैं. इनमें से प्रचलित तरीका है कि लोगों को बताया जाता है कि आपका पार्सल आया है. जब संबंधित व्यक्ति इससे इनकार करते हैं तो बताया जाता है कि कैंसिल करना है तो ओटीपी बताइए. ओटीपी बताते ही अकाउंट खाली हो जाता है.
- नकली चैरिटी अपील घोटालाः सोशल मीडिया पर मरीज, गरीब, बेसहारा, शिक्षा, पशु के क्षेत्र में काम करने एनजीओ बताकर आम लोगों से ठगी करते हैं.
- गलत तरीके से पैसे ट्रांसफर करने का घोटालाः हाल के समय में स्कैम का यह तरीका काफी प्रचलित होता दिख रहा है. फर्जीवाड़ा करने वाला व्यक्ति पहले खाते में कुछ रुपये भेज देता है. फिर कॉल कर वापस करने के लिए कहते हैं. इस दौरान कभी ओटीपी के माध्यम से कभी बैंकिग जानकारी लेकर ठगी करते हैं.
- डिजिटल गिरफ्तारीः अनजान वीडिया/ऑडियो कॉल कर गलत तरीके से न्यूड वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करते हैं. इसके बदले में मोटी रकम वसूलते हैं. इस दौरान कई केस में फंसने, बैंकिंग फ्रॉड, सैक्स स्कैंडल सहित मामलों का भय दिखाकर रुपये ठगते हैं.
- फोन स्कैमःबैंक, आयकर विभाग, सरकारी एजेंसी, ट्राई, संचार मंत्रालय, मोबाइल सर्विस प्रदाता कंपनी कभी भी व्यक्तिगत जानकारी जैसे बैंक डिटेल, जन्म तिथि, आधार नंबर साझा करने के लिए नहीं कहती है. खासकर फोन, ईमेल, व्हाट्सएप, के माध्यम से ओटीपी नहीं मांगता है. अगर ऐसी सूचनाएं मांगता है तो निश्चित रूप से आपको फर्जीवाड़े का शिकार करने का प्रयास किय जा रहा है.
- पार्सल स्कैमः इसमें में आम लोगों को फोन, ईमेल, मैसेज, व्हाट्सएप काल के माध्यम से बताया जाता है कि आपके पार्सल को सीज कर लिया गया है. आपके पैकेट में ड्रग्स, फेक करेंसी आदि पाया गया है. आपको केस, पुलिस और जेल से बचना है तो जल्द ऑनलाइन पैसा भेजें. यह फर्जीवाड़ा है.
- लोन स्कैमःत्योहारों, साल-सप्ताह-माह के पहले या आखिरी दिन पर ऑफर का प्रलोभन दिया जा रहा है. आज आपको मार्केट रेट से आधे दर लोन मिलेगा. बस वेरिफिकेशन के लिए एडवांस फीस और अपने पर्सनल डिटेल भेजिए. यह फर्जीवाड़ा करने का नया तरीका है.
- QR कोड घोटालाः हाल में देखा गया है QR कोड बनाकर व्हाट्सएप कॉल पर भेज देते हैं. इस पर मदद, ऑफर के लिए एडवांस की मांग करते हैं. कई बार लोग उस पर क्लीक कर देते हैं और भेजने वाले के पास आपकी गोपनीय जानकारी चली जाती है. इसके साथ आपके के साथ बैंकिंग फ्रॉड हो सकता है.
- AI कॉल के माध्यम ठगीः AI कॉल की माध्यम से ठगी करने का नया पैटर्न चला है. इसमें एआई बोट्स के माध्यम से कॉल किया जाता है. कॉलर का नंबर गूगल या अन्य टेक्नीकल एजेंसी के मूल कॉल नंबर की तरह ही प्रतीत होता है. कॉलर की ओर से पहले संबंधित व्यक्ति को लोकेशन, नाम, जन्मतिथि व अन्य जानकारी के बारे में विश्वास दिलाया जाता है. इसके बाद ईमेल व अन्य जानकारी आपसे मांगते हैं. इस जानकारी से फर्जीवाड़े को अंजाम देते हैं.
इन बातों का रखें ख्याल, साइबर फ्रॉड से रह सकते हैं सुरक्षित
- कॉल करने वाले की पहचान का सत्यापन करें. भारत में कोई भी कानून प्रवर्तन एजेंसी यानि पुलिस-प्रशासन, विजलेंस सीबीआई, ईडी या न्यायालय की ओर से वीडियो कॉल कर पैसे की मांग नहीं की जाती है. वहीं कोई भी सरकारी एजेंसी वाट्सएप, स्काइप या किसी अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से आधिकारिक संपर्क नहीं करती है.
- किसी भी अनजान कॉलर के कॉल पर परिवार या किसी नजदीकी सदस्य के बारे में हादसा, अपराध में फंसने या अन्य इमरजेंसी की सूचना पर पैनिक न हों. प्रतिक्रिया से पहले शांत होकर धैर्यपूर्वक मामले को सत्यापन अपने सोर्स से करें.
- व्यक्तिगत सूचना शेयर नहीं करें. खासकर किसी भी अनजान व्यक्ति को मोबाइल या वीडियो कॉल पर शेयर नहीं करें.
- अपने मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप या डेस्कटॉप, आईपैड में रिमोर्ट एक्सेस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल न करें.
- दवाब में पैसा ट्रांसफर नहीं करें. कोई भी नियामक एजेंसी, सुरक्षा एजेंसी या न्यायालय की ओर से अविलंब पैसे की मांग नहीं की जाती है. अगर फोन कॉल, वीडियो कॉल या मैसेज, ईमेल इस तरह का कोई भी डिमांड करता है तो निश्चचित रूप से फ्रॉड/स्कैम है.
- साइबर फ्रॉड या स्कैम से बचने या सुरक्षित रहने के लिए सतर्क सबसे बेहतर विकल्प है.
- संदिग्ध गतिविधियों को रिपोर्ट करेंः अगर आपको लग रहा है कि आप साइबर फ्रॉड या स्कैम के शिकार हो रहे हैं तो इसे तुरंत रिपोर्ट करें. अगर आपको लगे कि आपने सेंसेटिव जानकारी को साझा कर दिया है तो पैनिक न हों. अपने पासवर्ड को रिसेट करें. साथ पुलिस, साइबर सुरक्षा एजेंसी और अपने बैंक को अविलंब सूचित करें.
- अनजान लिंक या अटैचमेंट को भूलकर भी क्लिक न करें. लिंक और ई-मेल की सत्यता के सत्यापन के बाद ही रिस्पांड करें. फर्जीवारा जांचने के लिए वेबसाइट, यूआरएल Spelling और grammatical Error, भेजने या शेयर करने वाले की पहचान को जांचे. संस्थान या बैंकों के यूआरएल को डायरेक्ट लिखने या कहीं से कॉपी करने के बजाय यूआरएल को बुकमार्क कर रख लें.
- अगर वेबसाइट HTTPS (Encryption) का उपयोग नहीं कर रहा है तो सावधान हो जाएं. इस वेबसाइट का उपयोग खतरनाक हो सकता है.
- किसी अनजान या जो व्यक्ति विश्वस्त नहीं है तो उनकी ओर शेयर एप को शेयर न करें.
- अपना मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रानिक गैजेट किसी अनजान व्यक्ति के साथ शेयर न करें.
- अगर किसी व्यक्ति के साथ अपना मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रानिक गैजेट शेयर करते हैं तुरंत उसमें कॉल ट्रांसफर व अन्य सुरक्षा मानकों का सत्यापन करें.
- नियमित रूप से अपने बैंक, क्रेडिट कार्ड व यूपीआई एप के स्टेटमैंट को जांचे. इस दौरान कोई भी संदिग्ध लेनदेन या हेर दिखे तो तुरंत बैंक व पुलिस को रिपोर्ट करें.
- नौकरी के नाम पर पैसे की भुगतान न करें. नौकरी के लिए आवेदन से पहले एजेंसी या वेबसाइट का सत्यापन कर लें. इसके बाद ही पर्सनल जानकारी को शेयर करें.
- दोस्तों या रिश्तेदारों की ओर से तुरंत पैसा ट्रांसफर करने के अनुरोध का पहले सत्यान करें.
- हर वक्त ध्यान दें पैसा मंगाने या पैसा पाने के लिए यूपीआई पिन या ओटीपी की जरूरत नहीं है.
- यूपीआई या QR स्कैनर से पैसा भेजने या भुगतान से पहले पैसा पाने वाले का नाम जांच लें.
- बैंक से एप से लोन लेने से पहले ब्याज दर, लोन की अवधि, अन्य चार्ज के बारे में सत्यापन कर संतुष्ट हो लें.
- अपने इलेक्ट्रानिक गैजेट में हर समय अपडेट सॉफ्टवेयर का उपयोग करें.
- साइबर सिक्युरिटी एजेंसी, बैंक और आरबीआई के एडवाइजरी पर नजर बनाए रखें.