नई दिल्ली:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में सोने पर सीमा शुल्क घटाने की घोषणा ने पूरे भारत में इस कीमती मेटल में नई दिलचस्पी जगाई है. इस कदम से देश में सोने की कीमत में संभावित रूप से कमी आ सकती है. पिछले पांच सालों में सोने ने रिटर्न के मामले में शेयरों से बेहतर प्रदर्शन किया है. निफ्टी 50 ने सोने के 16.21 फीसदी की तुलना में 13.95 फीसदी का रिटर्न दिया है. ऐतिहासिक रूप से, शेयरों ने 20 साल तक की अवधि में बेहतर रिटर्न दिखाया है. फिलहाल निवेशकों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि मौजूदा आर्थिक माहौल में सोने या शेयर बाजार कौन-सा बेहतर होगा?
सोने की कीमत में उछाल की उम्मीद
निवेश विशेषज्ञों को 2024 की दूसरी छमाही में दोनों एसेट के लिए स्थिर बढ़ोतरी की उम्मीद है. एक रिपोर्ट के मुताबिक निफ्टी 50 25,600 और 26,000 के बीच हो सकता है. जबकि सोने की कीमत साल के अंत तक 81,500 रुपये प्रति 10 ग्राम तक बढ़ सकती है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वीपी कमोडिटीज राहुल कलंत्री ने संभावित अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती के बाद सोने की कीमतों में और बढ़ोतरी की उम्मीदों के बीच सोने में निवेश बढ़ाने के लिए पोर्टफोलियो को समायोजित करने का सुझाव दिया है. वर्तमान में, शेयर और सोना दोनों ही रिकॉर्ड ऊंचाई हासिल कर रहे हैं, दोनों ही अलग-अलग निवेश उद्देश्यों की पूरा कर रहे हैं.
- शेयर लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को पीछे छोड़ते हुए हाई रिटर्न देने की अपनी क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं.
- इसके विपरीत, आर्थिक अनिश्चितता के समय में सोने को एक सुरक्षित एसेट के रूप में महत्व दिया जाता है.