हैदराबाद: ईरान और इजराइल के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से भारतीय शेयर बाजारों, सोने और कच्चे तेल की कीमतों पर काफी असर पड़ा है. इसके साथ ही भारत से ईरान को बासमती और चाय के निर्यात पर भी असर पड़ने की संभावना है. दरअसल, ईरान और इजराइल के बीच भू-राजनीतिक तनाव के कारण सोमवार को भारतीय इक्विटी बेंचमार्क में भारी गिरावट देखी गई. असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स लिमिटेड ने कहा कि 15 अप्रैल को निफ्टी ने नकारात्मक क्षेत्र 22,273 पर क्लोज हुआ.
वहीं, निफ्टी बैंक इंडेक्स दिन भर नकारात्मक क्षेत्र में लगभग 47,773 के स्तर पर बंद हुआ. बैंक निफ्टी के लिए अल्पकालिक समर्थन स्तर 47,000 और 46,400 पर देखा गया, जो प्रतिरोध स्तर 48,000 और 49,060 पर है. इस भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि के बीच, COMEX सोने की कीमतों में लगातार चौथे सप्ताह बढ़ोतरी हुई, बता दें, पिछले सप्ताह के दौरान यह 2448.8 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी.
बाजार के विशेषज्ञ भी इजराइल पर ईरानी हमले के प्रभाव का अनुमान लगा रहे हैं, उन्हें डर है कि यह एक पूर्ण क्षेत्रीय युद्ध के विस्फोट का प्रतीक होगा. भले ही सप्ताहांत के दौरान हमले को इजराइल के सहयोगियों की मदद से नाकाम कर दिया गया था. लेकिन, बाजार के विशेषज्ञ जवाबी कार्रवाई के जोखिम का अनुमान लगा रहे हैं. इधर, बाजार के विशेषज्ञ के द्वारा इस सप्ताह के दौरान अमेरिकी खुदरा बिक्री और औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ कई चीनी डेटा और एफओएमसी सदस्यों के भाषणों पर नजर रखी जाएगी.
हालांकि, पीली धातु (सोने ) की बढ़ती कीमतों से संकेत लेते हुए 10 मई को पड़ने वाली अक्षय तृतीया से पहले भारत में सोने की कीमत 73,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है. इससे ग्राहकों का मूड खराब हो गया है और वे सोने की खरीद से कतरा रहे हैं.
इधर, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण तेल की कीमतें फिलहाल ऊंची हैं. संभावित ईरानी हमले के लिए इजराइल की तैयारी की खबर ने बाजार को डरा दिया है, जिससे तेल आपूर्ति में संभावित व्यवधान और कीमतें ऊंची रहने की चिंता पैदा हो गई है. ईरानी हमलों से पहले, तेल की कीमतें पहले से ही आपूर्ति में गिरावट के जोखिम से 5-10 डॉलर प्रति बैरल जोखिम प्रीमियम को दर्शाती थीं. पिछले दो वर्षों में, ईरान का कच्चे तेल का उत्पादन लगभग 20 फीसदी बढ़कर 3.4 मिलियन बैरल प्रति दिन या विश्व आपूर्ति का लगभग 3.3 फीसदी बढ़ गया है.