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वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी फिर से हासिल करेगा भारत : DPIIT सचिव - DPIIT Secretary

DPIIT Secretary : भारत की जीडीपी का आकार वर्तमान में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद 5वें स्थान पर है. 2022 में इसने यूके को पीछे छोड़ दिया था. ठीक एक दशक पहले, भारतीय जीडीपी दुनिया में ग्यारहवीं सबसे बड़ी थी. दो-तीन वर्षों में तीसरे स्थान पर पहुंचने की अनुमान लगाया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

DPIIT Secretary
DPIIT सचिव (IANS)

By IANS

Published : May 18, 2024, 4:26 PM IST

नई दिल्ली : विश्व जीडीपी रैंकिंग में 2012 में भारत 11वें स्थान पर था और आज पांचवें स्थान पर है. एक दशक में देश छह स्थान आगे बढ़ा है. उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने शनिवार को कहा कि दो-तीन वर्षों में जीडीपी के मामले में भारत दुनिया में पांचवें से तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा.

राष्ट्रीय राजधानी में 'सीआईआई वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2024' के दूसरे दिन एक सत्र में राजेश कुमार सिंह ने कहा कि विकास दर में तेजी के आधार पर देश दुनिया के व्यापार और निवेश में अपनी ऐतिहासिक हिस्सेदारी फिर से हासिल करने में सफल होगा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का उद्देश्य 'रणनीतिक स्वायत्तता' सुनिश्चित करना और 'असुरक्षित आपूर्ति श्रृंखलाओं' पर निर्भरता कम करना है.

सिंह ने कहा कि पीएलआई की वजह से रोजगार में वृद्धि हुई। खासकर महिलाओं के लिए नौकरियाें का सृजन अधिक हुआ. विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने एक अलग सत्र के दौरान कहा कि आज व्यापार को और अधिक एकीकृत तरीके से देखा जाना चाहिए . रवि ने कहा कि वस्तुएं, निवेश, सेवाएं, उद्योग और विनिर्माण सभी एकीकृत हैं .

हम यह भी देखना शुरू कर रहे हैं कि जिस तरह से हम व्यापार को विकसित होते देख रहे हैं, उसमें वित्त, प्रौद्योगिकी और ई-कॉमर्स भी बहुत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने श्रोताओं से कहा कि व्यापार को अधिक समग्र और एकीकृत आर्थिक गतिविधि के रूप में देखा जाना चाहिए. श्रम मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा ने एक सत्र में कहा कि अब तक 29 श्रम-संबंधित अधिनियमों को चार नए कोड में समेकित किया गया है.

उन्होंने बताया कि व्यवसाय करने में आसानी, सरलीकरण और अनुपालन बोझ में कमी, गैर-अपराधीकरण और निर्बाध विवाद समाधान, श्रम बाजार लचीलेपन को बढ़ावा देने, महिला भागीदारी को बढ़ाने, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर अर्थव्यवस्था की कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने को ध्यान में रखते हुए श्रम सुधार किए गए हैं.

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