नई दिल्ली: भारत सरकार देश के बाजार नियामक द्वारा अनिवार्य सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों का पालन करने के लिए चार सरकारी बैंकों में अल्पमत हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है. एक सरकारी सूत्र ने रॉयटर्स को बताया है. सूत्र ने कहा कि वित्त मंत्रालय आने वाले महीनों में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक में हिस्सेदारी कम करने के लिए संघीय कैबिनेट की मंजूरी मांग सकता है.
बीएसई की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के अंत तक भारत सरकार के पास सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93 फीसदी से अधिक, इंडियन ओवरसीज बैंक में 96.4 फीसदी, यूको बैंक में 95.4 फीसदी और पंजाब एंड सिंध बैंक में 98.3 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है. सूत्र ने कहा कि विचाराधीन योजना खुले बाजार में बिक्री के लिए प्रस्ताव के माध्यम से हिस्सेदारी बेचने की है.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार सूचीबद्ध कंपनियों को 25 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता बनाए रखना आवश्यक है. लेकिन उसने सरकारी स्वामित्व वाली फर्मों को अगस्त 2026 तक इन मानदंडों को पूरा करने से छूट दी है.
सूत्र ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की कि क्या सरकार नियामक की समयसीमा को पूरा कर पाएगी या वह आगे विस्तार की मांग करेगी. अधिकारी ने कहा कि बिक्री का समय और मात्रा बाजार की स्थितियों के आधार पर तय की जाएगी.
इससे पहले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पूंजी जुटाने के लिए योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (क्यूआईपी) शुरू किया है, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम हुई है. पंजाब नेशनल बैंक ने सितंबर में क्यूआईपी के माध्यम से 50 अरब रुपये जुटाए, जबकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने अक्टूबर में 35 अरब रुपये जुटाए.