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अनजाने में गलती, 2000 करोड़ रुपये खाते में ट्रांसफर, जानिए बैंक क्लर्क के साथ क्या हुआ - SMALL MISTAKE

bank clerk: एक बैंक कर्मचारी के काम के दौरान कीबोर्ड पर सो जाने के बाद गलती से करीब 2000 करोड़ रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर हो गए.

german bank clerk accidentally transferred 234 million dollar Know What happened next
प्रतीकात्मक तस्वीर (Getty Images)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 10, 2024, 4:07 PM IST

हैदराबाद: जर्मनी में साल 2012 में एक बैंक क्लर्क से अनजाने में हुई गलती के कारण एक व्यक्ति के खाते में 64.20 यूरो के बजाय 222 मिलियन यूरो ट्रांसफर हो गए थे. क्लर्क कार्य के दबाव की वजह से इतना थग गया था कि पैसे ट्रांसफर करने के दौरान उसे झपकी आ गई. कीबोर्ड पर उसकी उंगली से अनजाने में 64.20 यूरो के बजाय 222,222,222.22 यूरो दब गए. इन दिनों सोशल मीडिया पर इस घटना की चर्चा हो रही है.

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 234 मिलियन डॉलर (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) के ट्रांसफर की यह भारी गलती बैंक के दूसरे कर्मचारी ने समय रहते पकड़ ली और ट्रांजैक्शन पूरा होने से पहले ही इस गलती में सुधार कर दिया.

इस घटना के बाद बैंक ने सख्त उठाते हुए क्लर्क को नौकरी से निकाल दिया. लेकिन नौकरी से निकाले जाने से अंसतुष्ट क्लर्क ने बैंक के फैसले को कानूनी रूप से चुनौती दी और जर्मन श्रम न्यायालय में याचिका दायर की.

श्रम न्यायालय ने क्लर्क के हक में फैसला सुनाया
याचिका पर सुनवाई करते हुए श्रम न्यायालय ने नौकरी से निकाले गए क्लर्क के पक्ष में फैसला सुनाया. जर्मनी के हेस्से (Hesse) राज्य की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि क्लर्क की बर्खास्तगी अनुचित और कानून के खिलाफ थी. कोर्ट ने कहा कि भले ही उसने गलती को अनदेखा किया हो, लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए.

समय का बहुत अधिक दबाव था...
जजों ने इस बात पर विचार किया कि क्लर्क की जिम्मेदारी प्रतिदिन सैकड़ों लेनदेन की समीक्षा करनी थी, जिसमें समय का बहुत अधिक दबाव था. घटना वाले दिन, उसने लेनदेन के 812 दस्तावेजों की समीक्षा की थी, प्रत्येक के लिए मात्र कुछ सेकंड ही लिए थे. कार्य का दबाव इतना अधिक था कि लेनदेन की सावधानीपूर्वक समीक्षा के लिए उसके पास समय ही नहीं था.

घोर लापरवाही का कोई सबूत नहीं...
श्रम न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि क्लर्क की तरफ से दुर्भावनापूर्ण इरादे या घोर लापरवाही का कोई सबूत नहीं है. न्यायाधीशों ने निष्कर्ष निकाला कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय एक औपचारिक चेतावनी पर्याप्त होती. जजों ने क्लर्क को नौकरी पर बहाल करने का आदेश देते हुए तर्क दिया कि बैंक की अपेक्षाएं वास्तविक नहीं थीं और स्वचालित त्रुटि-पहचान प्रणाली (error-detection systems) को लागू करने में बैंक की विफलता के कारण यह समस्या पैदा हुई.

सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रिया
नेटिजन्स ने इस बात का माना कि इस घटना ने बैंक के भीतर प्रणालीगत खामियों को उजागर किया. उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में टिप्पणी की कि बेहतर सुरक्षा उपायों से ऐसी त्रुटियों को रोका जा सकता था. जैसे- स्वचालित फ्लैगिंग सिस्टम, असामान्य रूप से उच्च राशि के लेनदेन का पता लगा सकते थे. साथ ही अन्य स्तरों पर सत्यापन की व्यवस्था.

कुछ नेटिजन्स ने कहा कि बैंक की परिचालन प्राणाली और अन्य उपायों की कमी मानवीय त्रुटि के समान ही दोषी थी. कई यूजर्स ने कहा कि अन्य देशों में बैंकों को अक्सर अधिक राशि के ट्रांसफर के लिए मंजूरी की कई परतों की आवश्यकता होती है, इससे ऐसे घटनाएं टल सकती थीं.

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