नई दिल्ली:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बोर्ड की बजट के बाद की परंपरागत बैठक में भाग लिया, जिसमें वित्त विधेयक 2024 में बैंकिंग से संबंधित उपायों और निर्णयों पर चर्चा की गई. यह बैठक लगभग दो सप्ताह बाद हुई है, जब वित्त मंत्री ने पिछले महीने संसद में अपना रिकॉर्ड 7वां लगातार केंद्रीय बजट पेश किया था.
बता दें, यह बैठक भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यालय में आयोजित की गई, जिसमें आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास और बैंक के अन्य निदेशक मंडल के सदस्यों ने भाग लिया. बैठक में बजट प्रावधानों और देश में व्याप्त आर्थिक स्थितियों पर चर्चा हुई. बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री ने संयुक्त रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया.
वित्त मंत्री ने क्या कहा?
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों को अपने कोर पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. बैंकों को अपने डिपॉजिट को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. बैंकों का सबसे महत्वपूर्ण काम है डिपॉजिट लेना और फिर लोगों को ऋण देना.
निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि अभी बैंकों का डिपॉजिट धीरे काम कर रहा है. ऐसे में बैंकों को कुछ इनोवेटिव और अट्रैक्टिव पोर्टफोलियो लाने के बारे में विचार करना चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग बैंकों में पैसे डिपॉजिट करें. सीतारमण ने कहा कि अभी लोगों को ज्यादा रिटर्न पाने के लिए कई रास्ते दिख रहे हैं, जिनमें से एक शेयर मार्केट भी है. यही कारण है कि शेयर मार्केट में खुदरा निवेश काफी बढ़ गया है. लोग बैंकों में पैसे डिपॉजिट करें, इसके लिए बैंकों को कुछ नया करने की जरूरत है.
हम बैंकिंग विनियमन संशोधन ला रहे हैं. संशोधन अधिनियम लाने के कई कारण हैं. यह कुछ समय से लंबित था, क्योंकि इसका लंबे समय से इंतजार था. सहकारी क्षेत्र के बैंकिंग क्षेत्र के संबंध में इसमें कुछ पुनर्गठन भी किए गए हैं और नामांकन उन चीजों में से एक है जो ग्राहक-अनुकूल कदम है. सीतारमण कहा कि मुझे लगता है कि ग्राहकों के लिए यह विकल्प होना महत्वपूर्ण है और यह भी सुनिश्चित करना है कि बाद में नॉमिनी को अपनी सही चीज का दावा करने में कोई कठिनाई न हो. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि यह सही है कि लेनदार डिजिटल प्रारूप के माध्यम से जा रहे हैं और कलेक्शन डिपॉजिटर्स कर रहे हैं.
गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्या कहा?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि नामांकन का मुद्दा लंबे समय से लंबित था और शुक्रवार को जारी की गई इस रिपोर्ट से बैंकों के लिए कारोबार करने में आसानी में सुधार हुआ है. जो तुलनात्मक रूप से यह अच्छा है. जहां तक दावा न किए गए जमाराशियों का सवाल है, पिछले साल हमने एक विशेष अभियान शुरू किया था, जिसके तहत हमने प्रत्येक बैंक को सलाह दी थी कि प्रत्येक शाखा को, उनके पास मौजूद दावा न किए गए जमाराशियों की संख्या के आधार पर, सक्रिय रूप से अपने स्तर पर आगे बढ़ना चाहिए. शीर्ष दस दावा न किए गए जमाराशियों की पहचान करने के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए और उन लोगों तक पहुंचना चाहिए. इस मामले में प्रगति संतोषजनक रही है.