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2030 तक बिजली क्षमता व गैर-जीवाश्म ईंधन का योगदान 65 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा: ऊर्जा मंत्री

देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने पर केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है और यह दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही है. इस बारे में शुक्रवार को बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने जानकारी दी. उन्होंने कहा कि साल 2030 तक बिजली क्षमता में 65 फीसदी का योगदान गैर-जीवाश्म ईंधन का होने की संभावना है.

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बिजली क्षमता

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 20, 2024, 1:23 AM IST

नई दिल्ली: बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने शुक्रवार को कहा कि देश की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही है और 2030 तक बिजली क्षमता में 65 फीसदी का योगदान गैर-जीवाश्म ईंधन का होने की संभावना है.

मंत्री ने कहा कि भारत एक ऐसे देश के रूप में उभरा है जो ऊर्जा परिवर्तन में सबसे आगे है. सिंह राष्ट्रीय राजधानी में एक मीडिया कार्यक्रम में कहा, 'हमने प्रतिज्ञा की थी कि 2030 तक हम अपनी 40 प्रतिशत क्षमता गैर-जीवाश्म-ईंधन से प्राप्त करेंगे, और आज, हमारी 44% क्षमता गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से है. हमने अब अपना लक्ष्य बढ़ा दिया है और हालाँकि हमने 2030 तक अपनी क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से प्राप्त करने का वादा किया है, लेकिन हम 2030 तक अपनी क्षमता का 65 प्रतिशत गैर-जीवाश्म-स्रोतों से प्राप्त करेंगे.'

उन्होंने कहा कि देश पहले ही 187 गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता स्थापित कर चुका है.मंत्री ने उद्योग को सूचित किया कि पिछले नौ वर्षों में बिजली क्षेत्र में किया गया कुल निवेश लगभग 17 लाख करोड़ रुपये है, और निर्माणाधीन क्षमता में 17.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश शामिल है.

सिंह ने बताया, 'हमारे पास लगभग 99 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता निर्माणाधीन है और लगभग 32 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा बोली चरण के तहत है. हम हर साल लगभग 40-50 गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता की बोली लगाएंगे. थर्मल क्षमता में, हमारे पास लगभग 27 गीगावॉट निर्माणाधीन है, हमने अतिरिक्त 12 गीगावॉट की बोली लगाई है, 21 गीगावॉट से अधिक सर्वेक्षण और जांच के तहत और 22 गीगावॉट प्रारंभिक चरणों के तहत है. हमारे पास 47 गीगावॉट जलविद्युत क्षमता स्थापित है, 18 गीगावॉट निर्माणाधीन है और 13 गीगावॉट सर्वेक्षण और जांच के विभिन्न चरणों में है.'

बढ़ती बिजली मांग के बारे में बोलते हुए मंत्री ने बताया कि 2014 में, अधिकतम मांग 130 गीगावॉट के आसपास थी, जबकि आज यह 243 गीगावॉट है. उन्होंने कहा, '2030 तक बिजली की चरम मांग 400 गीगावॉट को पार करने की संभावना है, जो अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि का संकेत है. पिछले साल मांग नौ प्रतिशत की दर से बढ़ी और इस साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. दैनिक आधार पर, मांग पिछले वर्ष के समान दिन की तुलना में 8-10 गीगावॉट अधिक है. हमारे जितना बड़ा और तेजी से बढ़ने वाला कोई दूसरा बाजार नहीं है.'

सिंह ने कहा कि देश इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त क्षमता जोड़ेगा. उन्होंने कहा, 'हम 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता को पार कर जाएंगे. हमारे पास पहले से ही 70 लाख टन हरित हाइड्रोजन विनिर्माण की योजना है.' उन्होंने बताया कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी है क्योंकि कुछ देशों द्वारा सब्सिडी और संरक्षणवादी उपाय अपनाए जाने के बावजूद नवीकरणीय ऊर्जा की लागत दुनिया में सबसे कम है.

उन्होंने कहा, 'हम ऊर्जा भंडारण क्षमता भी जोड़ रहे हैं. हमारे पास लगभग 35 गीगावॉट पंप भंडारण परियोजनाओं की क्षमता है. हम बैटरी भंडारण क्षमता का भी निर्माण कर रहे हैं, हालांकि यह फिलहाल महंगी है. जब तक हमारे पास वॉल्यूम नहीं होगा, कीमत कम नहीं होगी.' मंत्री ने कहा कि सरकार ग्रिड-स्केल भंडारण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना ला रही है जिससे भंडारण की कीमत में और कमी आएगी.

मंत्री ने कहा, 'सौर मॉड्यूल और सेल पर कस्टम ड्यूटी के साथ-साथ मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची जैसे हस्तक्षेपों के कारण, शुद्ध परिणाम यह हुआ है कि मॉड्यूल निर्माण की क्षमता लगभग 20 गीगावॉट से बढ़कर अब लगभग 50 गीगावॉट हो गई है. वर्ष 2030 तक, हमारे पास लगभग 24 गीगावॉट पॉलीसिलिकॉन से लेकर मॉड्यूल निर्माण क्षमता होगी.'

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