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पुणे की जिस कंपनी के वर्क कल्चर पर उठे सवाल, कभी उसमें काम करते थे अश्नीर ग्रोवर, बताया कैसा था माहौल - Ashneer Grover on Toxic Work

Ashneer Grover on Toxic Work- पुणे की एक निजी कंपनी की चार्टर्ड अकाउंटेंट सुसाइड केस अभी काफी चर्चा में चल रही है. इसी बीच शार्क टैंक इंडिया के पूर्व जज और भारतपे के पूर्व सीईओ अशनीर ग्रोवर का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर फिर से सामने आया है, जिसमें ग्रोवर टॉक्सिक वर्क कल्चर के बारे में बात कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Ashneer Grover on Toxic Work
अशनीर ग्रोवर ने टॉक्सिक वर्क कल्चर पर बात की (Getty Image)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 20, 2024, 1:06 PM IST

नई दिल्ली : पुणे की एक निजी कंपनी की CA का सुसाइड केस काफी चर्चा में चल रहा है. CA की मां ने कंपनी के वर्कलोड को बेटी की मौत का कारण बताया है. 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट की मां के बयान पर काफी लोगों के रिएक्शन आ रहे हैं.

इसी बीच भारतपे के पूर्व सीईओ और शार्क टैंक इंडिया के पूर्व जज अशनीर ग्रोवर का एक पुराना वीडिया सोशल मीडिया पर खुब वायरल हो रहा है. अशनीर ग्रोवर वीडियों में टॉक्सिक वर्क कल्चर के बारे में बताते नजर आ रहे हैं. वीडियो में, शार्क टैंक इंडिया के पूर्व जज ने खुलासा किया कि 1 करोड़ रुपये के पैकेज के बावजूद उन्होंने एक दिन में उन्होंने इस निजी कंपनी को क्यों छोड़ दिया था.

अशनीर ग्रोवर का क्या कहना है?
अशनीर ग्रोवर का कहना है कि उन्होंने 1 करोड़ रुपये की सैलरी पर पुणे की एक निजी कंपनी जॉइन किया था. जब वे ऑफिस में दाखिल हुए और चारों ओर देखा, तो उन्होंने ऐसा व्यवहार किया जैसे उन्हें सीने में दर्द हो रहा हो. उन्होंने यह सब पहले दिन ही उस जगह से बाहर निकलने के लिए किया.

भारतपे के सह-संस्थापक बताते हैं कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें लगा कि ऑफिस का माहौल बहुत नीरस और जिंदा लाशों से भरा हुआ है.

उन्होंने आगे कहा कि सबसे अच्छा ऑफिस वह होता है जहां लोग लड़ते-झगड़ते हों, और कहा, जहां पे कोई बोल रहा है टॉक्सिक कल्चर है, बहुत सही ऑफिस है. उन्होंने आगे टिप्पणी की कि यही एकमात्र जगह है जहां काम होता है.

सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना
इस निजी कंपनी को सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जब कंपनी सदस्य चार्टर्ड अकाउंटेंट का 20 जुलाई को निधन हो गया. 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट की मां पुणे की एक निजी कंपनी के चेयरमैन को एक पत्र लिखकर कर्मचारियों की बेहतर कार्य स्थिति की अपील की.

उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने कंपनी में अथक परिश्रम किया था और वर्रलोड, नया वातावरण और लंबे समय तक काम करने के कारण उस पर शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से बुरा असर पड़ा.

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