बस्तर:छत्तीसगढ़ के बस्तर में विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के अलावा दूसरे सबसे अधिक 24 दिनों तक चलने वाले गोंचा पर्व की शुरुआत हो चुकी है. 22 जून को विधि-विधान से इस पर्व की शुरुआत की गई है. इस पर्व का अंत 17 जुलाई को बाहुड़ा गोंचा के साथ होगा. इस पर्व की पहली रस्म देवस्नान चंदन जात्रा विधि विधान से निभाई गई. इस साल गोंचा पर्व 26 दिनों तक मनाया जाएगा. इस दौरान कई रस्में निभाई जाएगी.
15 दिनों तक भगवान नहीं देंगे दर्शन:इस पर्व के बारे में 360 अरण्य ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खम्बारी ने कहा, "आज सबसे पहले आसना ग्राम से सालिक राम की मूर्ति लाकर स्थापित की है. इसके बाद सभी वर्ग के लोग बस्तर की जीवन दायिनी इंद्रावती नदी का जल लेकर मंदिर पहुंचे. मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना करने के बाद देव स्न्नान किया गया. फिर चंदन का लेप लगाया गया. जल, दूध और दही से नहलाया गया. इसके बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं. इस कारण वो दर्शन नहीं देंगे. 15 दिनों तक अनसनकाल में भगवान रहते हैं. 15 दिनों तक शालिग्राम भगवान का भक्त दर्शन कर सकेंगे. 15 दिनों तक उन्हें जड़ी बूटी काढ़ा बनाकर भोग लगाया जाता है. 15 दिनों के बाद भगवान ठीक होते हैं और उनकी आंखें खुलती है, जिसे नेत्र उत्सव रस्म कहा जाता है. इस रस्म के दिन भगवान का पूजा-पाठ किया जाता है. इसके अगले दिन रथ में सवार करके भगवान को भ्रमण करवाया जाता है, जिसे श्री गोंचा कहा जाता है."