जोधपुर.अबूझ सावे के तौर पर बाल विवाह करवाए जाने की कुप्रथा से जुड़ा आखातीज यानी अक्षय तृतीया पर्व सुगंधा (परिवर्तित नाम) के लिए जीत की खुशियां लेकर आया. आखातीज के मौके पर सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी व पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती के संबल से सुगंधा का बाल विवाह निरस्त हो गया. जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या दो ने सुगंधा के महज 10 साल की उम्र में हुए बाल विवाह को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसके लिए खुद डॉ. कृति ने पांच माह तक न्यायालय में पैरवी की थी. बता दें कि डॉ. कृति भारती अब तक कुल 51 बाल विवाह निरस्त करवा चुकी हैं. वहीं, इस बार आखातीज पर बाल विवाह निरस्त करवाकर वो हैट्रिक लगाने में सफल रही है.
10 साल में हुई शादी और अब 17 की उम्र में मिली मुक्ति :जोधपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र निवासी कमठा मजदूर की बेटी 17 वर्षीय सुगंधा का महज 10 साल की उम्र में बाल विवाह हो गया था. सुगंधा 7 साल तक बाल विवाह का दंश झेलती रही. उसे गौना करवाकर 16 साल की उम्र में ससुराल भी भेज दिया गया था, जहां उसके साथ गलत बर्ताव किया जा रहा था.
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बाल विवाह से मुक्ति को कोर्ट में लगाई गुहार :इस बीच सुगंधा को वर्ल्ड टॉप 10 एक्टिविस्ट और बीबीसी 100 इंस्पिरेशनल वूमन की सूची में शुमार जोधपुर की सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी व पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती की बाल विवाह निरस्त की मुहिम के बारे में महिला पुलिस से जानकारी मिली. सुगंधा ने डॉ. कृति से मुलाकात कर उन्हें उसकी पीड़ा से अवगत कराया. इसके बाद डॉ. कृति ने करीब पांच माह पहले सुगंधा के बाल विवाह निरस्त का वाद जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 में दायर किया था.