करनाल/लुधियाना :भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां बड़े स्तर पर कृषि की जाती है. कुछ फसलें ऐसी भी हैं जो सिर्फ भारत ही नहीं विश्व के सैकड़ों देशों में निर्यात होती है, उनमें से बासमती चावल भी एक है, क्योंकि भारत में उत्तम किस्म की बासमती लगाई जाती है. भारत के बासमती चावल की सुगंध विदेश से व्यापारियों को यहां खींच लाती है जिसके चलते भारत का बासमती चावल विदेश में काफी मशहूर है. लेकिन इन दिनों भारत सरकार के एक फैसले के चलते दुनिया में पाकिस्तानी बासमती की डिमांड बढ़ गई है
विदेशों में हरियाणा के बासमती की डिमांड :भारत की बात करें तो वैसे तो देश के कई राज्यों में बासमती चावल लगाया जाता है, लेकिन हरियाणा और पंजाब बासमती चावल के लिए मशहूर है. हरियाणा में बासमती चावल करनाल जिले के आसपास लगाया जाता है. इसकी खास बात ये है कि ये आकार में लंबा पतला और इससे आने वाली सुगंध अपने आप में इसे खास बनाती है और इसी के चलते करनाल को धान का कटोरा भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर बड़े स्तर पर बासमती चावल की खेती की जाती है. हरियाणा के किसान इसको बड़ी मात्रा में लगाते हैं क्योंकि किसान बासमती चावल से अच्छा मुनाफा कमाते हैं. हरियाणा के करनाल के आसपास लगाए जाने वाले बासमती चावल की डिमांड विदेश में भी है. वहीं बासमती चावल को विदेश में निर्यात करने के लिए सरकार ने 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) लगाया हुआ है, जो एक निर्धारित मूल्य है और इससे कम भाव में इसे विदेश में एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकता. हालांकि MEP को लेकर सरकार और एक्सपोर्टर्स में काफी विवाद भी हुआ क्योंकि इसे पहले 1200 डॉलर प्रति टन फिक्स कर दिया गया था जिसका काफी ज्यादा विरोध देखने को मिला. फिर बाद में इसे घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया गया था, जो अब भी चल रहा है. वहीं पाकिस्तान इससे कम कीमत पर अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में बासमती चावल बेच रहा है जिसके चलते उसके चावल की डिमांड बढ़ गई है.
"आर्थिक मजबूरी में कम कीमत पर बेच रहा पाकिस्तान" :पाकिस्तान के कम कीमत पर बासमती चावल बेचने के मामले में बोलते हुए करनाल के तरावड़ी राइस मील और डीलर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राकेश कहते हैं कि पाकिस्तान में आर्थिक तंगी चल रही है, ऐसे में उनके लिए विदेशी डॉलर ज्यादा से ज्यादा मात्रा में हासिल करने की मजबूरी है. वहां के क्या हालात है, सबको मालूम है, ऐसे में अगर वे कम कीमत पर बासमती बेच रहे हैं तो ये उनकी मजबूरी है. जहां तक भारतीय बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर असर की बात है तो हमारा चावल विदेश में पहले भी लोकप्रिय था और आगे भी रहेगा. हालांकि वे सरकार से 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाने की मांग जरूर कर रहे हैं जिससे किसानों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा मिल सके. वहीं स्थानीय कमीशन एजेंट सुल्तान सिंह का कहना है कि पाकिस्तान के कम दाम में बेचने से कोई ख़ास असर नहीं पड़ने वाला है क्योंकि हमारे चावल की गुणवत्ता पाकिस्तान के चावल से काफी बेहतर है और लोग भारत का ही बासमती चावल खाना पसंद करते हैं.
"ब्रांडिंग पर फोकस करें किसान" :वहीं पंजाब की बात करें तो यहां लगभग 32 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई होती है जिसमें 16% हिस्सा बासमती चावल की खेती का होता है. यहां भी किसान निर्यात ड्यूटी को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. राइस मिलर बिंट्टा ने कहा कि पाकिस्तान की करेंसी में भी फर्क है और वहां पर इस बार बंपर फसल भी हुई है, जिस वजह से पाकिस्तान बड़ी तादाद में धान की फसल को एक्सपोर्ट कर रहा है. दूसरी ओर पूरे मामले पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू ने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से पिछले दिनों 14 फसलों की एमएसपी में वृद्धि की गई है, उससे किसानों को बड़ी राहत मिली है. पाकिस्तान की ओर से ज्यादा चावल के निर्यात को लेकर उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बाहर हमारे देश से बासमती या बाकी चावल निर्यात करने पर भारत की ब्रांडिंग होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे किसानों से ये अपील भी करेंगे कि जब तक वे अपने उपज की ब्रांडिंग नहीं करेंगे, अपनी पैकेजिंग नहीं करेंगे, तब तक उनकी आय में समुचित वृद्धि नहीं होगी. बिट्टू ने कहा कि हम इस क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं और उनको उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसके बेहतर नतीजे भी जरूर देखने को मिलेंगे.