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अगालेगा द्वीप समूह भारत के लिए सामरिक महत्व का क्यों है?

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 1, 2024, 9:14 AM IST

Agalega Islands Strategic Importance For India : मॉरीशस के अगालेगा द्वीप समूह में एक हवाई पट्टी और एक जेट्टी के उद्घाटन के साथ, भारत ने पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में एक मजबूत समुद्री पकड़ हासिल कर ली है. पढ़ें ईटीवी भारत के लिए अरूनिम भुइयां की रिपोर्ट...

Agalega Islands Strategic Importance For India
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मॉरीशस समकक्ष प्रविंद जुगनौथ ने गुरुवार, 29 फरवरी, 2024 को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मॉरीशस के अगालेगा द्वीप में कई भारत-सहायता प्राप्त विकास परियोजनाओं का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया. (आईएएनएस/पीआईबी)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मॉरीशस समकक्ष प्रविंद जुगनौथ की ओर से गुरुवार को वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मॉरीशस के अगालेगा द्वीप समूह में कई परियोजनाओं का उद्घाटन करने के साथ, भारत अब पश्चिमी हिंद महासागर में अपनी समुद्री सुरक्षा फुटप्रिंट और नौसैनिक उपस्थिति का विस्तार करने में सक्षम होगा.

जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया उनमें एक नई हवाई पट्टी और सेंट जेम्स जेट्टी के साथ-साथ छह सामुदायिक विकास परियोजनाएं शामिल हैं. प्रधान मंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार इन परियोजनाओं का उद्घाटन भारत और मॉरीशस के बीच मजबूत और दशकों पुरानी विकास साझेदारी का प्रमाण है. बयान में कहा गया कि इन परियोजनाओं से मॉरीशस की मुख्य भूमि और अगालेगा के बीच बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत पूरी होगी. इसके अलावा इन परियोजनाओं से समुद्री सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मॉरीशस समकक्ष प्रविंद जुगनौथ ने गुरुवार, 29 फरवरी, 2024 को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मॉरीशस के अगालेगा द्वीप में कई भारत-सहायता प्राप्त विकास परियोजनाओं का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया. (आईएएनएस/पीआईबी)

हालांकि, परियोजनाओं के उद्घाटन को भारत और मॉरीशस के बीच मजबूत विकास साझेदारी के प्रमाण के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन असली बात यह है कि नई दिल्ली को अब पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में एक रणनीतिक समुद्री गढ़ मिल गया है. इस अवसर पर मोदी ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में कई पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियां उभर रही हैं.

उन्होंने कहा कि ये सभी चुनौतियां हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं. इनसे निपटने के लिए, भारत और मॉरीशस समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में स्वाभाविक भागीदार हैं. हम हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि दोनों देश मॉरीशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) की निगरानी, संयुक्त गश्त, हाइड्रोग्राफी और मानवीय सहायता और आपदा राहत जैसे सभी क्षेत्रों में मिलकर सहयोग कर रहे हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि आज, अगालेगा में हवाई पट्टी और जेटी का उद्घाटन हमारे सहयोग को और बढ़ाएगा. इससे मॉरीशस में समुद्री अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी. अगालेगा मॉरीशस द्वीप से लगभग 1,050 किमी उत्तर में हिंद महासागर में स्थित दो बाहरी द्वीपों में से एक है. मॉरीशस के संविधान के तहत, अगालेगा मॉरीशस गणराज्य का एक घटक द्वीप है.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मॉरीशस समकक्ष प्रविंद जुगनौथ ने गुरुवार, 29 फरवरी, 2024 को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मॉरीशस के अगालेगा द्वीप में कई भारत-सहायता प्राप्त विकास परियोजनाओं का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया. (आईएएनएस/पीआईबी)

सेंट ब्रैंडन जैसे अन्य मॉरीशस द्वीपों की तरह, अगालेगा को मॉरीशस के प्रधान मंत्री की ओर से सीधे बाहरी द्वीप विकास निगम (ओआईडीसी) के माध्यम से चलाया जाता है. बाहरी द्वीप विकास निगम (ओआईडीसी) प्रधान मंत्री कार्यालय के अंतर्गत काम करता है. जुलाई 2022 में आयोजित मॉरीशस की जनगणना में कहा गया है अगालेगा द्वीप समूह पर कुल जनसंख्या 330 है.

2015 में, भारत और मॉरीशस ने सैन्य सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. अगालेगा में नए हवाई अड्डे और जेटी के खुलने से भारत अब हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा सकता है. रिपोर्टों के मुताबिक, हवाई पट्टी बोइंग पी-81 मल्टी-मिशन विमान को संभाल सकती है जबकि भारतीय नौसेना का एक विध्वंसक या फ्रिगेट जेट्टी पर डॉक कर सकता है.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मॉरीशस समकक्ष प्रविंद जुगनौथ ने गुरुवार, 29 फरवरी, 2024 को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मॉरीशस के अगालेगा द्वीप में कई भारत-सहायता प्राप्त विकास परियोजनाओं का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया. (आईएएनएस/पीआईबी)

प्लेटफॉर्म/उपकरण, क्षमता निर्माण, संयुक्त गश्त और हाइड्रोलॉजिकल सेवाएं प्राप्त करने के लिए भारत मॉरीशस का पसंदीदा रक्षा भागीदार है. भारतीय रक्षा अधिकारियों को मॉरीशस रक्षा बलों में प्रतिनियुक्त किया जाता है. एक भारतीय नौसेना अधिकारी मॉरीशस नेशनल कोस्ट गार्ड का प्रमुख होता है, एक भारतीय वायु सेना अधिकारी पुलिस हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन का नेतृत्व करता है और एक भारतीय नौसेना अधिकारी मॉरीशस हाइड्रोग्राफी सेवाओं का प्रमुख होता है.

भारतीय रक्षा बलों के लगभग 20 अधिकारी मॉरीशस सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं. भारत ने मॉरीशस के सात सेवारत हेलीकॉप्टरों में से छह, सभी पांच जहाजों, सभी तीन विमानों और सभी 10 फास्ट इंटरसेप्टर नौकाओं की आपूर्ति की है. भारत ने तटीय निगरानी रडार प्रणाली स्थापित करने में भी मदद की थी जिसे वर्तमान में जापानी अनुदान के माध्यम से बदला जा रहा है.

मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की सलाहकार और अफ्रीका की विशेषज्ञ रुचिता बेरी ने ईटीवी भारत को बताया कि क्षेत्र में हिंद महासागर के तटीय देशों में मॉरीशस भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार है. पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने मॉरीशस के साथ घनिष्ठ आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा साझेदारी विकसित की है. आज के उद्घाटन से भारत और मॉरीशस के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ेगा.

उन्होंने कहा कि गुरुवार का घटनाक्रम हिंद महासागर क्षेत्र और अफ्रीका में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (एसएजीएआर) के भारत के दृष्टिकोण में फिट बैठता है. बेरी ने कहा कि इससे क्षेत्र में चीनी घुसपैठ का मुकाबला करने में मदद मिलेगी. साथ ही समुद्री आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए मॉरीशस की क्षमता को भी बढ़ावा मिलेगा.

उन्होंने कहा कि हवाई पट्टी और जेट्टी के खुलने से क्षेत्र में भारत की उपस्थिति में सुधार होगा. हमें हिंद महासागर क्षेत्र में अस्थिरता का मुकाबला करने में मदद मिलेगी. बेरी ने कहा कि इससे मॉरीशस की रक्षा और समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी और क्षेत्र में स्थिरता में योगदान मिलेगा.

एशियन कॉन्फ्लुएंस थिंक टैंक के फेलो और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर हो रही राजनीति में रुचि रखने वाले योहोम ने बताया कि अगालेगा द्वीप समूह हिंद महासागर के ठीक केंद्र में स्थित है. इसलिए, ये द्वीप भारत के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में हो रही हलचलों के प्रति जागरूकता के लिए एक बहुत ही रणनीतिक सुविधाजनक स्थान है.

उन्होंने कहा कि हिंद महासागर विशेष रूप से बढ़ती चीनी उपस्थिति के कारण रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है. यहां यह उल्लेखनीय है कि चीन ने हॉर्न ऑफ अफ्रीका में जिबूती में एक रणनीतिक बंदरगाह बनाया है. यह बंदरगाह हिंद महासागर क्षेत्र में बीजिंग की रणनीति का हिस्सा है. वह कई बदंरगाहों पर अपनी स्थिति मजबूत बना कर इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है जिसमें श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह और पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह भी शामिल है.

भारत भी क्वाड का हिस्सा है, जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं, जो जापान के पूर्वी तट से लेकर अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैले क्षेत्र में चीनी आधिपत्य के खिलाफ एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए काम कर रहा है. योहोम के अनुसार, अगालेगा द्वीप समूह में भारत की उपस्थिति नई दिल्ली को हिंद महासागर में समुद्री गतिविधियों पर नजर रखने और सुरक्षा खतरों की निगरानी करने के लिए एक आधार प्रदान करती है.

उन्होंने कहा कि मॉरीशस में अपनी उपस्थिति बढ़ाकर, भारत ने एक मजबूत संदेश दिया है कि उसके पास हिंद महासागर के एक बड़े क्षेत्र को कवर करने की समुद्री क्षमता है. यह भी ध्यान देने योग्य है कि गुरुवार को मॉरीशस में परियोजनाओं का उद्घाटन ऐसे समय में हुआ है जब भारत और मालदीव के बीच संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं. मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने पदभार संभालने के बाद एक स्पष्ट चीन समर्थक और भारत विरोधी विदेश नीति अपनाई है.

मुइज्जू ने पिछले साल का राष्ट्रपति चुनाव भारत विरोधी मुद्दे पर जीता था. उन्होंने 'इंडिया आउट' अभियान चलाया जिसमें उन्होंने अपने देश में तैनात कुछ भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने का आह्वान किया. 100 से कम संख्या वाले ये कर्मी मुख्य रूप से हिंद महासागर द्वीपसमूह राष्ट्र में मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों में शामिल हैं.

हालांकि, पद संभालने के बाद, मुइज्जू ने भारत से इन कर्मियों को वापस लेने का औपचारिक अनुरोध किया. इन सैन्य कर्मियों के स्थान पर भारत के लोक सेवकों को मॉरीशस भेजा जा रहा है. इसी के आलोक में गुरुवार को मॉरीशस के अगालेगा द्वीप समूह में हवाई पट्टी और जेट्टी का उद्घाटन भी महत्व रखता है.

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