नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कारण राजधानी दिल्ली में नई सरकार बनने जा रही है. आतिशी 21 सितंबर को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगी. इसके साथ ही वह दिल्ली में भाजपा की सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाली तीसरी महिला बन जाएंगी. आतिशी के अलावा पांच विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे. आइए जानते हैं दिल्ली की नई सरकार के बारे में...
- आतिशी पर केजरीवाल ने जताया भरोसा, चुनाव से पहले लंबित योजनाओं को जल्दी लागू करना होगा
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से ली शिक्षा: आतिशी को अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का विश्वास प्राप्त माना जाता है. इसके चलते ही उनका केजरीवाल का उत्तराधिकारी बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ. पिता का नाम विजय सिंह और माता का नाम तृप्ता वाही है. दोनों दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रह चुके हैं. आतिशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त कर अपने बैच में टॉप किया था. इतना ही नहीं, वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा और इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं.
2013 में राजनीति में रखा कदम: 2013 में AAP में शामिल हुईं और वह शिक्षा संबंधी नीतियों पर सरकार की सलाहकार के रूप में काम करती रहीं. 2019 में उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा. उन्होंने पूर्वी दिल्ली से भाजपा के गौतम गंभीर के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि तब वह असफल रही थीं. सक्रिय राजनीति में आने से पहले आतिशी ने अपना उपनाम मार्लेना (जो मार्क्स और लेनिन का प्रतीक था) हटा दिया था, क्योंकि वह चाहती थीं कि उनकी राजनीतिक संबद्धता को गलत तरीके से न समझा जाए. 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में वह कालकाजी से विधायक चुनी गईं.
तेजी से पूरी करनी होगी योजनाएं: आतिशी का शीर्ष पद पर पहुंचना आम आदमी पार्टी के सफर के अहम मोड़ पर हुआ है, जब पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी की तलाश कर रही है. ऐसे में उन्हें लोक कल्याण के लिए लंबित नीतियों और योजनाओं को तेजी से पूरा करना होगा, जिसमें मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना, इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 और सेवाओं की डोरस्टेप डिलीवरी जैसी योजनाएं शामिल हैं.
कर चुकी हैं प्रमुख विभागों का नेतृत्व: हालांकि, आतिशी के लिए ऐसी परिस्थितियों से जूझना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी वह तब कैबिनेट में शामिल हुई थीं, जब CBI ने शराब घोटाले में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद आतिशी, सौरभ भारद्वाज के साथ दिल्ली सरकार में शामिल हुई थीं. 43 वर्षीय आतिशी ने केजरीवाल सरकार में वित्त, राजस्व, शिक्षा और लोक निर्माण विभाग सहित 13 प्रमुख विभागों का नेतृत्व किया. मंगलवार को विधायक दल की बैठक के दौरान उन्हें सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता (मुख्यमंत्री) चुना गया था.
- कैलाश गहलोत: केजरीवाल के भरोसेमंद, एलजी सक्सेना के साथ मधुर संबंध
वर्तमान में कैलाश गहलोत के पास दिल्ली सरकार कई महत्वपूर्ण विभाग हैं. आतिशी के साथ वह भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक थे. 50 वर्षीय विधायक, ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और पार्टी के एक प्रमुख जाट नेता हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री पूरी करने वाले कैलाश गहलोत के पास परिवहन, महिला एवं बाल विकास, गृह और आईटी जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं. वहीं, उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ उनके अच्छे संबंध हैं. उन्हें ही केजरीवाल की अनुपस्थिति में स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए एलजी ने नामित किया था. जबकि, अरविंद केजरीवाल ने तिरंगा फहराने के लिए आतिशी के नाम की सिफारिश की थी. लेकिन एलजी ने कैलाश गहलोत को चुना था, क्योंकि उनके पास गृह विभाग है.
2015 में पहली बार जीते: उन्होंने 2015 और 2020 में नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दो बार जीत हासिल की. 2015 में जहां उन्होंने केवल 1,555 वोट से जीत हासिल की थी. वहीं, 2020 में उन्होंने न सिर्फ अपनी स्थिति मजबूत की, बल्कि जीत के अंतर को 6,231 वोटों तक बढ़ा दिया. साथ ही साथ लगातार दो बार सीट से जीतने का गौरव भी हासिल किया. 2017 में कपिल मिश्रा के इस्तीफे के बाद उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया था.
कई योजनाओं का जाता है श्रेय: उन्हें दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहन नीति और बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा के अलावा, फेसलेस परिवहन सेवाओं की शुरुआत सहित कई अन्य पहलों को शुरू करने का श्रेय दिया जाता है. साल 2023 में सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद कुछ समय के लिए उन्हें वित्त विभाग भी दिया गया था. यहां तक कि वह दिल्ली का 2023-24 का बजट भी पेश कर चुके हैं. कैलाश गहलोत को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है, जो राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और कीचड़ उछालने से दूर रहता है और अपने काम पर ध्यान केंद्रित रखता है.
- गोपाल राय: दिल्ली में नई AAP सरकार में पार्टी का पूर्वांचली चेहरा
बाबरपुर क्षेत्र से दो बार के विधायक गोपाल राय को आतिशी की अध्यक्षता वाली नई मंत्रिपरिषद में बरकरार रखा गया है. राय पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के लंबे समय से सहयोगी और AAP के संस्थापक सदस्य हैं. वह उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से हैं और पार्टी का पूर्वांचली चेहरा हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय से ली शिक्षा: गोपाल राय एक छात्र के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय से ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे. वह भ्रष्टाचार और अपराध के मुद्दों पर अभियान चला रहे थे. उन्हें गोली भी लगी, जिसके चलते उन्हें आंशिक पक्षाघात भी सामना करना पड़ा. 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और केजरीवाल के नेतृत्व में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में शामिल हुए. इसके बाद वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए.
2013 में लड़ा पहला चुनाव: अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करते हुए गोपाल राय ने 2013 के विधानसभा चुनावों में बाबरपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा, जिसमें वह जीत दर्ज करने में असफल रहे. वहीं, 2015 और 2020 में लगातार बाबरपुर सीट जीतकर वह केजरीवाल सरकार में शामिल हो गए. 2015 में वह पहली बार मंत्री बने, उन्हें परिवहन और श्रम विभाग का प्रभार दिया गया था. 2017 में उन्हें आम आदमी पार्टी दिल्ली इकाई का संयोजक नियुक्त किया गया था और तब से वह इसी पद पर हैं. वह 2020 में बनी निवर्तमान केजरीवाल सरकार में पर्यावरण एवं वन, विकास और सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री बने.
- सौरभ भारद्वाज: तीसरी बार होगी ताजपोशी
आम आदमी पार्टी नेता और ग्रेटर कैलाश सीट से तीन बार विधायक रहे सौरभ भारद्वाज को भी नई मंत्रिपरिषद में बरकरार रखा गया है. इंजीनियर से राजनेता बने भारद्वाज दिसंबर 2013 में 49 दिनों की अरविंद केजरीवाल सरकार में परिवहन और पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री थे. हालांकि, बाद में 2015 में आम आदमी पार्टी के सत्ता में वापस आने पर उन्हें हटा दिया गया था.
इंजीनियर और कानून में डिग्री: सौरभ भारद्वाज के पास इंजीनियरिंग और कानून की डिग्री है. 2005 में वह इंजीनियर की नौकरी छोड़कर सक्रिय रूप से सामाजिक कार्य में जुड़ गए थे. केजरीवाल और इंडिया अगेंस्ट करप्शन डेज के उनके सहयोगियों द्वारा पार्टी बनाने और 2013 में विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वह 'आप' में शामिल हो गए थे. 2013 में उन्होंने ग्रेटर कैलाश निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के दिग्गज वीके मल्होत्रा के बेटे को हराया था.
इसलिए लिया जाता है नाम: 44 वर्षीय नेता को पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में AAP का जोरदार बचाव करने और भाजपा पर तीखे हमलों के लिए जाना जाता है. उनकी प्रसिद्धि के दावे में 2017 में दिल्ली विधानसभा में एक डमी मशीन के माध्यम से ईवीएम में संभावित छेड़छाड़ को साबित करने की उनकी कोशिश भी शामिल है. 2020 के चुनावों में AAP की जीत के बाद केजरीवाल सरकार के तीसरे कार्यकाल में वह मार्च 2023 में फिर से मंत्री बने. वह केजरीवाल सरकार में स्वास्थ्य, शहरी विकास, पर्यटन, कला संस्कृति, उद्योग और बाढ़ नियंत्रण विभाग संभाल रहे थे, जिन्होंने मंगलवार को इस्तीफा दिया.
- मुकेश अहलावत: राजकुमार आनंद की जगह पार्टी का दलित चेहरा
पार्टी का नया दलित चेहरा: मुकेश अहलावत दिल्ली सरकार की कैबिनेट का नया चेहर होंगे. वह सुल्तानपुर माजरा से विधायक हैं. दलित वर्ग से आने वाले मुकेश अहलावत राजकुमार आनंद की जगह लेंगे. 44 वर्षीय मुकेश अहलावत दिल्ली सरकार में अब नए दलित चेहरे के रूप में कैबिनेट मंत्री बनेंगे. साल 2020 में वह पहली बार सुल्तानपुर माजरा विधानसभा सीट से विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे.
2008 में मंगोलपुरी से लड़ा चुनाव: मुकेश अहलावत ने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई की है. वह पेशे से व्यवसायी हैं और चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के अनुसार उन पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है. उनके पास 6,18,59,236 रुपए की कुल संपत्ति है. वर्ष 2008 में मंगोलपुरी विधानसभा सीट से जब वह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, तब उन्होंने कुल संपत्ति 2,53,09,260 बताई थी. इसके बाद 2013 में सुल्तानपुर माजरा सीट से बसपा के टिकट पर जब वह चुनाव लड़े, तब उनकी कुल संपत्ति 12,61,89,256 थी. 2020 में 'आप' के टिकट पर चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें जीत मिली थी. उन्हें दो बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, जबकि तीसरी बार वह आम आदमी पार्टी से विधायक बने.
- इमरान हुसैन: आतिशी नेतृत्व वाली दिल्ली कैबिनेट का मुस्लिम चेहरा
दिल्ली कैबिनेट में एकमात्र मुस्लिम चेहरा इमरान हुसैन, चांदनी चौक के बल्लीमारान निर्वाचन क्षेत्र से दो बार के विधायक हैं. 43 वर्षीय AAP नेता का आतिशी मंत्रिपरिषद का सदस्य बनना तय है. वे केजरीवाल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और चुनाव मंत्री पद संभाल चुके हैं.
बिजनेस स्टडीज की ली है डिग्री: दिल्ली में जन्मे और पले-बढ़े हुसैन राष्ट्रीय राजधानी के चारदीवारी वाले शहर इलाके से हैं. उन्होंने दरियागंज के क्रिसेंट स्कूल में पढ़ाई की और अपने परिवार के परिधान व्यवसाय में शामिल होने से पहले जामिया मिलिया इस्लामिया से बैचलर ऑफ बिजनेस स्टडीज की डिग्री हासिल की. हुसैन उन चार मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें आतिशी की नई कैबिनेट में बरकरार रखा जाएगा.
2015 में हुई चुनावी शुरुआत: उन्होंने 2015 में AAP के साथ चुनावी शुरुआत की और भाजपा के श्याम लाल मोरवाल को 33,877 वोटों के अंतर से हराया. इसके बाद 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की लता को 36,172 वोटों से हराने के बाद हुसैन फिर से निर्वाचित हुए. 'आप' में शामिल होने से पहले, हुसैन ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के हारून यूसुफ से हार गए. इससे पहले, अप्रैल 2012 में उन्होंने राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर बल्लीमारान से पार्षद सीट जीती थी.
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