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कौन हैं संत भोले बाबा; जिनके सत्संग में मची भगदड़, क्यों छोड़ी थी यूपी पुलिस की नौकरी - Hathras Stampede - HATHRAS STAMPEDE

जिन विश्व हरि भोले बाबा के सत्संग में यह हादसा हुआ, वह पहले पुलिस विभाग के एलआईयू में थे. नौकरी छोड़कर उन्होंने कथावाचक बनकर प्रवचन करना शुरू कर दिया था. उनके सत्संग में प्रदेश ही नहीं अन्य प्रदेशों से भी हजारों की संख्या में भक्त आते हैं.

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संत भोले बाबा अपनी पत्नी के साथ. (फोटो क्रेडिट; सोशल मीडिया)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 2, 2024, 7:02 PM IST

Updated : Jul 3, 2024, 10:00 AM IST

एटा: हाथरस में जिस सत्संग में भगदड़ मची और 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, उसमें संत भोले बाबा प्रवचन दे रहे थे. बाबा मूल रूप से कासगंज जिले की पटियाली के बहादुरनगर के रहने वाले हैं और उनका नाम साकार विश्व हरि है. बाबा बनने से पहले वह पुलिस के गुप्तचर विभाग में नौकरी करते थे.

बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और कथावाचक बनकर भक्तों की सेवा का काम शुरू किया. वह अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते हैं और पटियाली वाले साकार विश्व हरि बाबा के नाम से जाने जाते हैं. उनके सत्संग में हजारों की संख्या में लोग आते हैं.

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भगदड़ से पूरा प्रदेश क्षुब्द है. हादसे के बाद एटा के जिला अस्पताल में 27 शव पहुंचे हैं, जिनमें 23 महिलाओं के और दो बच्चों के शव हैं. वहीं घायलों का अनुमान नहीं लगाया जा सका है. मरने वालों का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है.

यह हादसा भोले बाबा के सत्संग में तब हुआ जब उनके प्रवचन कार्यक्रम का समापन चल रहा था. बताया जा रहा है कि आयोजकों ने जितनी भीड़ आने की बात प्रशासन को बताई थी, उससे ज्यादा लोग यहां पहुंच गए थे. समापन कार्यक्रम में भीड़ से कई लोगों को घुटन हुई, जिसके बाद मची भगदड़ में सैकड़ों लोग बेहोश हो गए. 100 से अधिक लोगों की जान जाने की आशंका जताई जा रही है.

कोरोना काल से चर्चा में आए बाबा: कोरोना के समय भी भोले बाबा का सत्संग कार्यक्रम विवादों में आया था. तब उन्होंने अपने सत्संग के लिए सिर्फ 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी. लेकिन, बाद में 50 हजार से ज्यादा लोग उनके सत्संग में आए थे. भारी भीड़ के चलते प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई थी. इस बार भी कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के लिए जितने लोगों के शामिल होने की बात प्रशासन को बताई गई थी, उससे ज्यादा लोग जुट गए थे.

यूपी के आलावा अन्य राज्यों में प्रभाव:भोले बाबा ने अपना वर्चस्व एटा, आगरा, मैनपुरी, शाहजहांपुर, हाथरस समेत कई जिलों में ही नहीं इसके अलावा पश्चिमी यूपी से सटे मध्य प्रदेश और राजस्थान, हरियाणा के कई जिलों में इनके समागम लगते हैं. भोले बाबा के ज्यादातर भक्त गरीब तबके हैं, जो लाखों की संख्या में सत्संग सुनने पहुंचते हैं. साकार विश्व हरि भले ही खुद को भगवान का सेवक कहते हैं, लेकिन उनके भक्त बाबा को भगवान का अवतार बताते हैं, हजारों की संख्या में बाबा के सेवा दार भी हैं, जो सत्संग की व्यवस्था स्वयं देखते हैं.

सत्संग में बांटा जाता है पानी:भोले बाबा के सत्संग में जो भी भक्त जाता है, उसे वहां पानी बांटा जाता है. बाबा के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि इस पानी को पीने से उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं. बाबा का पटियाली तहसील के बहादुर नगर गांव में स्थित आश्रम में भी दरबार लगता है. यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप भी है. दरबार के दौरान इस हैंडपंप का पानी पीने के लिए भी लंबी लाइन लगती है.

हाथरस की घटना ने कृपालु महाराज के आश्रम की घटना की याद दिलाई: उत्तर प्रदेश में तीर्थ स्थलों पर बढ़ती भीड़ अब पुलिस प्रशासन के लिए संभालना टेढ़ी खीर हो चुका है. हाथरस में आज हुए हादसे से पहले भी यूपी में अनेक बार धार्मिक स्थलों की भीड़ नहीं संभाली जा सकी. साल 2010 में धार्मिक स्थल की सबसे बड़ी दुर्घटना प्रतापगढ़ के कुंडा में हुई थी. जहां कृपालु महाराज के आश्रम मनगढ़ में भगदड़ की वजह से 63 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी.

यातायात के सुचारू साधनों के बढ़ने और धार्मिक स्थलों के अधिक से अधिक प्रचार होने की वजह से विशेष मौको पर भीड़ अनियंत्रित हो जाती है. इसी वजह से इस तरह के हादसे उत्तर प्रदेश में बढ़ते जा रहे हैं. फिलहाल पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था की ओर से ऐसी कोई सुधारण व्यवस्था अब तक नहीं की गई है, जिसके जरिए धार्मिक स्थलों में भीड़ को नियंत्रित करके श्रद्धालुओं को दर्शन कराया जा सकें.

मथुरा में भी भगदड़:मथुरा में 2022 में और उसके बाद 2024 में दो हादसे हुए. बरसाना की राधा रानी मंदिर में भगदड़ की वजह से लगभग 12 तीर्थ यात्री बेहोश हो गए थे. जबकि 2022 में लड्डू मार होली के अवसर पर बांके बिहारी मंदिर में दो लोगों की दम घुटने से मौत हो गई थी. वृंदावन में ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रंगभरी एकादशी की रंगीली होली की शुरुआत के एक दिन पहले भीड़ ऐसी बेकाबू हुई कि एक श्रद्धालु ने दम तोड़ दिया. जबकि एक की तबीयत बिगड़ गई. भारी भीड़ के दबाव में फंसी महिलाओं और बच्चों की चीखें निकलती रहीं और पुलिस की मुस्तैदी इस बात पर ज्यादा थी कि अति विशिष्टजनों की सेवा में कोई खलल न पड़े.

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Last Updated : Jul 3, 2024, 10:00 AM IST

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