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कौन हैं अतुल लिमये? जिनकी रणनीति से महायुति को मिली प्रचंड जीत

लगभग तीन दशक पहले एक मल्टी नेशनल कंपनी छोड़ आरएसएस में शामिल होने वाले नासिक के एक इंजीनियर लिमये फुलटाइम प्रचारक हैं.

कौन हैं RSS के रणनीतिकार अतुल लिमये?
कौन हैं RSS के रणनीतिकार अतुल लिमये? (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 24, 2024, 7:43 PM IST

मुंबई:आरएसएस के 54 वर्षीय संयुक्त महासचिव अतुल लिमये महायुति गठबंधन की भारी चुनावी जीत के बाद चर्चा का विषय बन गए हैं. लिमये की रणनीति और सोची-समझी सोशल इंजीनियरिंग और असंतुष्ट सामाजिक ग्रुप के नेताओं तक पहुंच ने कथित तौर पर एनडीए को सत्ता विरोधी लहर से निपटने में बड़ी भूमिका निभाई.

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की जीत के लिए लिमये ने भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दिल्ली के टॉप बीजेपी नेताओं के साथ मिलकर काम किया.

अतुल लिमये कौन हैं?
लगभग तीन दशक पहले एक मल्टी नेशनल कंपनी छोड़ आरएसएस में शामिल होने वाले नासिक के एक इंजीनियर लिमये फुलटाइम प्रचारक हैं. उन्होंने नए संघ रणनीतिकार ने शुरुआत में रायगढ़ और कोंकण जैसे पश्चिमी महाराष्ट्र के क्षेत्रों में काम किया. बाद में वह मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र क्षेत्रों में सह प्रांत प्रचारक बन गए.

2014 में जब भाजपा ने राज्य में सत्ता हासिल की थी, तब लिमये महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा सहित पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र के प्रभारी रहे. सह प्रांत प्रचारक के रूप में लिमये के कार्यकाल ने उन्हें राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था और क्षेत्र की सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता का सामना करने वाले मुद्दों को समझने में मदद की.

पश्चिमी क्षेत्र के प्रमुख के रूप में लिमये ने महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य की गहरी समझ हासिल की, जिसमें भाजपा नेताओं और विपक्ष की ताकत और कमजोरियां शामिल थीं. इन भूमिकाओं के बाद लिमये ने विभिन्न रिसर्च टीम, स्टडी ग्रुप और थिंक टैंक बनाए, जिन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों की जनसांख्यिकी से लेकर सरकारी ढांचे के भीतर नीति-निर्माण तक विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.

अतुल लिमये ने महायुति की किस तरह मदद की?
इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव के विपरीत, जब आरएसएस ने भाजपा को समर्थन देने में सक्रिय भूमिका निभाने का फैसला किया, तो लिमये के लिए यह काम आसान हो गया. संयुक्त महासचिव के रूप में, लिमये ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर काम किया, जिनमें नितिन गडकरी, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दिल्ली के कई शीर्ष भाजपा नेता भी शामिल हैं.

जिस समय जरांगे पाटिल के मराठा आरक्षण आंदोलन ने राज्य के सामाजिक परिदृश्य को हिलाकर रख दिया, उसी वक्त लिमये ने विभिन्न मराठा नेताओं से संपर्क किया और उन्हें आश्वासन दिया कि भाजपा मराठा समुदाय को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किए बिना उनके लिए आरक्षण का वास्तव में समर्थन करती है.

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