नई दिल्ली: बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन व्यापक हिंसा में बदल गया है. इस बीच सोमवार को शेख हसीना ने ढाका छोड़ना पड़ा और वह भारत पहुंच गई, जबकि प्रदर्शनकारी छात्र गणभवन (बांग्लादेश का पीएम आवास) में घुस गए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वहां तोड़फोड़ और जमकर लूटपाट की.
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमानने अंतरिम सराकर बनाने की ऐलान कर दिया है. हालांकि, शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक संकट गहरा गया है. वैसे यह पहला मौका नहीं है, जहां भारत के किसी पड़ोसी देश में राजनीति संकट देखने को मिला हो बांग्लादेश से पहले भी कई देशों में अस्थिरता हो चुकी है. इनमें नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान शामिल हैं.
श्रीलंका में इकोनॉमिक क्राइसिस
बांग्लादेश से पहले श्रीलंका में उस समय राजनीतिक उथल-पुथल मच गई थी, जब 2022 में आर्थिक संकट राजनीतिक संकट में बदल गया. इस दौरान श्रीलंका ने सात दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना किया. बिगड़ते आर्थिक संकट के कारण लोग सरकार के खिलाफ उतर आए और तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे आधिकारिक निवास में घुस गए. इसके चलते राजपक्षे को जुलाई 2022 में अपने आधिकारिक निवास से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.
इससे पहले 22 मिलियन की आबादी वाला द्वीप राष्ट्र अपने सबसे दर्दनाक आर्थिक संकट में कई महीनों तक लंबे समय तक ब्लैकआउट, भोजन और ईंधन की भारी कमी और मुद्रास्फीति को झेलता रहा. 2022 में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण खाद्य, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का आयात करने में श्रीलंकाई सरकार असमर्थ हो गई. इसकी वजह से देश ने अपने 46 बिलियन डॉलर के विदेशी ऋण का भुगतान नहीं किया. आर्थिक संकट के चरम पर श्रीलंका ने महीनों तक नागरिक अशांति देखी, जिसकी अंत राजपक्षे को पद से हटाने के साथ हुआ.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पिछले साल मार्च में श्रीलंका को 2.9 बिलियन डॉलर के चार वर्षीय बेलआउट ऋण की पहली किश्त जारी की थी, जिसमें टैक्स में वृद्धि और कीमतों में तेजी से वृद्धि देखी गई थी. राष्ट्रपति ने फरवरी 2024 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए भाषण में कहा कि नकदी की कमी से जूझ रहा श्रीलंका आईएमएफ बेलआउट की मितव्ययिता के बाद अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से धीरे-धीरे उभर रहा है.
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता
पाकिस्तान में वित्तीय संकट के बीच पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान को अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटा दिया गया था. इसके बाद शहबाज शरीफअप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री बने. नवंबर 2022 में पंजाब प्रांत के वजीराबाद के अल्लाहवाला चौक के पास उनके विरोध मार्च के दौरान उन्हें ले जा रहे कंटेनर-माउंटेड ट्रक पर एक बंदूकधारी ने फायरिंग कर दी. खान के पैरों में तीन गोलियां लगीं.