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वाल्मीकि कॉरपोरेशन घोटाला मामला, 18 जुलाई तक ईडी हिरासत में भेजे गए पूर्व मंत्री बी नागेंद्र - Valmiki Corporation Scam

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 13, 2024, 6:47 PM IST

Valmiki Corporation Scam: कर्नाटक के पूर्व मंत्री बी नागेंद्र को कथित कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है. स्पेशल कोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें 18 जुलाई तक ईडी की हिरासत में रखा जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

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बेंगलुरु:स्पेशल कोर्ट ने शनिवार को बेल्लारी से विधायक बी नागेंद्र को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छह दिन की हिरासत में भेज दिया है. कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (केएमवीएसटीडीसी) से जुड़े कथित घोटाले के संबंध में पूर्व मंत्री बी नागेंद्र को 18 जुलाई तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया गया है. यह आदेश शुक्रवार सुबह बेंगलुरु के डॉलर्स कॉलोनी स्थित उनके आवास से नागेंद्र की गिरफ्तारी के बाद विशेष जन अदालत के न्यायाधीश द्वारा जारी किया गया था.

ईडी अधिकारियों ने नागेंद्र को हिरासत में लिया और शुक्रवार को रात तक गहन पूछताछ की. शनिवार की सुबह मेडिकल जांच के बाद उन्हें संपीगेहल्ली स्थित जन प्रतिनिधियों की विशेष अदालत में न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया. ईडी ने आगे की जांच के लिए 14 दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन अदालत ने 18 जुलाई तक ही हिरासत में रखने की अनुमति दी.

अपनी गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए नागेंद्र ने वाल्मीकि निगम की कथित अवैध गतिविधियों में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया. उन्होंने कहा कि वाल्मीकि निगम में अवैध गतिविधियों में मेरी कोई भूमिका नहीं है. मुझे नहीं पता कि ईडी अधिकारियों ने मुझे क्यों गिरफ्तार किया है. बेंगलुरु के शांतिनगर में ईडी कार्यालय पहुंचने पर नागेंद्र ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि वाल्मीकि निगम की अवैधता से मेरा कोई लेना-देना नहीं है.

नागेंद्र, जो अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री रह चुके हैं, उन्होंने KMVSTDC में चल रहे घोटाले के बीच 6 जून को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. विवाद सामने आने के बाद से ही बल्लारी ग्रामीण से कांग्रेस विधायक जांच के घेरे में हैं, जिसके चलते उन्हें ईडी ने आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है. ईडी की जांच निगम के भीतर कथित बहु-करोड़ रुपये के गबन से जुड़े आरोपों से उपजी है, जो शुरू में 26 मई को निगम से जुड़े एक अकाउंटेंट चंद्रशेखरन की दुखद आत्महत्या से प्रकाश में आया था.

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