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जन्नत से कम नहीं फूलों की घाटी, प्रकृति प्रेमी और सैलानी 1 जून से कर सकेंगे रंग-बिरंगे फूलों का दीदार - Uttarakhand Valley of Flowers

Uttarakhand Chamoli Valley of Flowers विश्व धरोहर फूलों की घाटी का पर्यटक 1 जून से दीदार कर सकते हैं. जहां इन दिनों कई प्रकार के रंग बिरंगे फूल खिले हुए हैं. जिसका सैलानी नजदीकी से दीदार कर सकेंगे. फूलों की घाटी ट्रैकिंग में रुचि रखने वालों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रहती है.

Uttarakhand valley of flowers
उत्तराखंड फूलों की घाटी (फोटो- सूचना विभाग)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 18, 2024, 3:23 PM IST

चमोली (उत्तराखंड): उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी ट्रेक 1 जून से पर्यटकों के लिए खोल दी जाएगी. फूलों की घाटी ट्रेक अपने फूलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. फूलों की घाटी दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है और जैव विविधता का अनुपम खजाना है. यहां 500 से अधिक प्रजाति के रंग बिरंगी फूल खिलते हैं.

फूलों की घाटी में खिले फूल (फोटो- सूचना विभाग)

30 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी घाटी:प्रकृति प्रेमियों के लिए फूलों की घाटी से टिपरा ग्लेशियर, रताबन चोटी, गौरी और नीलगिरी पर्वत के बिहंगम नजारे भी देखने को मिलते हैं. फूलों की घाटी 30 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी. उप वन संरक्षक बीबी मर्तोलिया ने बताया कि फूलों की घाटी के लिए पर्यटकों का पहला दल 1 जून को घांघरिया बेस कैंप से रवाना किया जाएगा. पर्यटकों को फूलों की घाटी का ट्रैक करने के बाद उसी दिन बेस कैंप घांघरिया वापस आना होगा.

फूलों की घाटी को देखने हर साल पहुंचते हैं सैलानी (फोटो- सूचना विभाग)

देशी और विदेशी नागरिकों से शुल्क: बेस कैंप घांघरिया में पर्यटकों के ठहरने की समुचित व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि वैली ऑफ फ्लावर ट्रैकिंग के लिए देशी नागरिकों को 200 रुपए तथा विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपए ईको ट्रेक शुल्क निर्धारित किया गया है. ट्रैक को सुगम और सुविधाजनक बनाया गया है. फूलों की घाटी के लिए बेस कैंप घांघरिया से टूरिस्ट गाइड की सुविधा भी रहेगी.

फूलों की घाटी में खिले रंग-बिरंगे फूल (फोटो- सूचना विभाग)

ब्रिटिश पर्वतारोहियों ने की थी खोज: फूलों की घाटी की खोज ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ व उनके साथी आरएल होल्ड्सवर्थ ने की थी. साल 1931 में दोनों अपने अभियान से लौट रहे थे तभी उन्हें फूलों की घाटी देखने को मिली.

सैलानियों को आकर्षित करती है वैली ऑफ फ्लावर्स (फोटो- सूचना विभाग)

जहां की खूबसूरती और रंग बिरंगे फूलों को देख कर वो इतने अचंभित और प्रभावित हुए कि कुछ समय उन्होंने यहीं पर बिताया. साथ ही जाने के बाद एक बार फिर से 1937 में वापस लौटे. उन्होंने फूलों की घाटी से लौटते के बाद एक किताब भी लिखी, जिसका नाम वैली ऑफ फ्लावर रखा.

जुलाई-अगस्त में आना होगा बेहतर: बता दें कि फूलों की घाटी चमोली जिले में स्थित हैं. जो करीब 3 किलोमीटर लंबी और लगभग आधा किलोमीटर चौड़ी है. इस खूबसूरत जगह पर आने के लिए जुलाई, अगस्त और सितंबर का महीना सबसे अच्छा रहता है. यदि आप चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं तो बदरीनाथ धाम जाने से पहले आप फूलों की घाटी का दीदार कर सकते हैं. वहीं प्रदेश सरकार की तरफ से गोविंदघाट में रुकने की व्यवस्था है, लेकिन आप यहां पर रात नहीं बिता सकते हैं. वहीं आपको शाम ढलने से पहले पार्क से लौटना पड़ेगा.

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