देहरादून (नवीन उनियाल):उत्तराखंड में वन्यजीवों से भरपूर जंगल ना केवल पर्यटकों की पसंद रहे हैं, बल्कि तस्करों को भी यहां की जैव विविधता आकर्षित करती रही है. शायद यही कारण है कि समय-समय पर घुसपैठियों की मौजूदगी से जंगलों की शांति भंग हुई है. उधर ऐसे कई कारण हैं, जिसके चलते तस्करों के लिए उत्तराखंड सॉफ्ट टारगेट बनता दिखा है. हालांकि तस्करों की धरपकड़ के मामले में भी राज्य के आंकड़े काफी बेहतर दिखे हैं.
उत्तराखंड तस्करों ने लिए सॉफ्ट टारगेट:उत्तराखंड में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी कोई नई बात नहीं हैं. काफी समय से राज्य में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी होने की बात सामने आती रही है. हालांकि राज्य पुलिस के अलावा उत्तराखंड वन विभाग भी ऐसे तस्करों की धरपकड़ करता रहा है. लेकिन इसके बावजूद इन मामलों में फिलहाल कोई कमी आती नहीं दिख रही है, उल्टा राज्य में तस्करों के पकड़े जाने के आंकड़े बढ़ते क्रम में दिखे हैं.
इतने शिकारियों की हुई गिरफ्तारी:वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau) से मिले आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन सालों के दौरान उत्तराखंड में वन और पुलिस विभाग द्वारा अब तक 31 तस्कर पकड़े गए हैं. पकड़े गए शिकारी का यह नंबर हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड को दूसरे स्थान पर लाता है. हिमालयी राज्यों में पिछले तीन सालों के दौरान सबसे ज्यादा शिकारी की धरपकड़ असम में हुई है. यहां पकड़े गए शिकारियों का आंकड़ा 40 के करीब है. उधर राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो पूरे देश में इतने ही समय में 1037 तस्करों की गिरफ्तारी हुई है.
साल दर साल बढ़ रहा आंकड़ा:राष्ट्रीय स्तर पर वैसे तो अधिकतर राज्य ऐसे हैं, जहां वन्यजीव, वनस्पतियों की तस्करी को लेकर की गई गिरफ्तारियों की संख्या कम हुई है. लेकिन उत्तराखंड में पिछले तीन सालों में साल दर साल आंकड़े बढ़े हैं. उत्तराखंड में साल 2022 में 4 शिकारियों को पकड़ा गया, साल 2023 में शिकारियों की गिरफ्तारी का यह आंकड़ा 10 तक पहुंच गया. जबकि साल 2024 में तस्करी करते 17 शिकारी पकड़े गए.