लखनऊ :तीन वर्ष से खाली पड़े उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष के पद पर हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता और सीतापुर लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे राजेश वर्मा को नियुक्त किया गया है. राजेश वर्मा भाजपा में बड़े कुर्मी नेता के रूप में पहचाने जाते हैं. ऐसे समय में जब देश में जातीय जनगणना की मांग जोर पकड़ रही है, तब पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति यह बताती है कि सरकार इसे लेकर काफी गंभीर है और वह सबसे बड़े वोट बैंक को साधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती. हमने पिछड़ा वर्ग आयोग के नव नियुक्त अध्यक्ष राजेश वर्मा से विभिन्न विषयों पर बात की. देखें पूरा साक्षात्कार...
प्रश्न :आपको इस जिम्मेदारी के लिए बहुत बधाई. इस समय जातीय जनगणना को लेकर देश में एक बहस चल रही है. इसे लेकर आपका और आपकी पार्टी का क्या रुख है?
उत्तर :देखिए जातीय जनगणना को लेकर कोई बहस नहीं चल रही है. यह एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के तहत जो हमारी विरोधी हैं, वह एक नेरेटिव बनाने का प्रयास कर रहे हैं. हमारी पार्टी इस विषय को लेकर गंभीर है और इस पर चर्चा हो रही है. हमने कल पदभार ग्रहण किया है. हमारे दोनों उपाध्यक्षों ने भी पदभार ग्रहण कर लिया है. बोर्ड की बैठक में हम लोग इस पर चर्चा करेंगे. ओबीसी समाज का कहीं से कोई अहित न हो हम इसका ध्यान रखेंगे. जहां तक जातिगत जनगणना का विषय है, उसे लेकर हमारी सरकार गंभीर है और पार्टी के भीतर इसे लेकर बातचीत चल रही है. हमारी पार्टी इसका खुलासा नहीं करती, लेकिन विपक्षी एक धारणा बनाकर वोट की राजनीति के लिए शिगूफा छोड़ रहे हैं.
प्रश्न : पिछले दिनों केरल में हुए एक बैठक में संघ पदाधिकारी ने कहा कि था कि यदि जरूरी है, तो जातीय जनगणना होनी चाहिए, लेकिन यह सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए. यदि गरीबों और पिछड़ों को जातीय जनगणना का लाभ मिल सकता है, तो इसे करने में कोई हर्ज नहीं है. आप क्या मानते हैं?
उत्तर :विपक्षी पार्टियां सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए यह मुद्दा उठा रही हैं. हमारी पार्टी इस मुद्दे पर गंभीर है और गंभीरता से ही बड़ा निर्णय लेगी. यह निर्णय कैसे होगा, आने वाले समय में लोगों को पता चल जाएगा.
प्रश्न :लोकसभा के मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस विषय को जोर-जोर से उठाया था. तब भारतीय जनता पार्टी ने इसे लेकर कोई आश्वासन तक नहीं दिया था. हालांकि आप कह रहे हैं कि पार्टी के भीतर विचार चल रहा है!
उत्तर :राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बने हैं. बहुत परिश्रम करने के बाद उनकी 99 सीटें आई हैं. इतने अहम पद पर होने के बावजूद वह संसद में गैर जिम्मेदाराना बयान देते रहते हैं. देश के लिए यह अच्छे संकेत नहीं हैं. संसद में प्रधानमंत्री जी के भाषण के दौरान लगातार विपक्षी नेता आपत्तिजनक नारे लगाते रहे. क्या ऐसा संसद में होना चाहिए. हम आपकी बात सुनते हैं, लेकिन आप किसी और की बात सुनना ही नहीं चाहते. जनता इसे कब तक बर्दाश्त करेगी.
प्रश्न :आप भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और चार बार सांसद रहे हैं. आपने लंबा राजनीतिक जीवन की देखा है. पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के परिणाम आप लोगों के लिए भी अप्रत्याशित रहे होंगे. इस पराजय का क्या कारण मानते हैं आप?
उत्तर :जो झूठा नेरेटिव विपक्षी दलों ने बनाया था कि साढ़े आठ हजार रुपये लोगों के खाते में आएंगे, फार्म भर कर आएंगे हस्ताक्षर कराए गए. संविधान बदलने का मुद्दा उठाया गया. मैं कहता हूं कि संविधान की मूल भावना बचाने के लिए जितना हमारी पार्टी ने किया है, शायद किसी भी दल ने नहीं किया. भाजपा सरकार में 25 करो़ड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं. यह संविधान की ही तो रक्षा है. बाबा साहेब अंबेडकर ने यही सपना तो देखा था. चुनाव में जो नुकसान हुआ है, वह सिर्फ उत्तर प्रदेश में हुआ है.
प्रश्न :आप जो झूठ नेरेटिव की बात कर रहे हैं, वह भी तो कहीं न कहीं आपकी पार्टी की विफलता है. भाजपा क्यों नहीं इसका खंडन पुरजोर तरीके से कर पाई?
उत्तर :तीसरे चरण तक के चुनाव में यह स्थिति नहीं थी. यह जुमले एक सप्ताह के अंदर शुरू हुए और सरकार ने बताने का प्रयास भी किया, लेकिन इतने कम समय में लोगों को समझना कठिन होता है. मैं फिर कहता हूं कि जिस मतदाता ने भाजपा को वोट नहीं दिया है, वह आज पछता रहा है कि उसने गलत दल को वोट दिया है.