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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा खूंटी से हारे, जानिए कालीचरण के फेवर में काम किए कौन से फैक्टर - Lok Sabha Election Results

Khunti Lok Sabha Seat Result. झारखंड में बीजेपी के बड़े आदिवासी चेहरा माने जाने वाले अर्जुन मुंडा को मुंह की खानी पड़ी है. उन्हें कांग्रेस के कालीचरण मुंडा ने बड़े मार्जिन से मात दी है. कौन से फैक्टर अर्जुन मुंडा के विरोध में गए, कहां कालीचरण मुंडा ने बाजी मारी इस रिपोर्ट में जानिए.

Khunti Lok Sabha Seat Result
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 4, 2024, 8:02 PM IST

Updated : Jun 4, 2024, 10:48 PM IST

रांची:झारखंड की खूंटी लोकसभा सीट पर बीजेपी को बहुत बड़ा झटका लगा है. केंद्रीय मंत्री और झारखंड के बड़े आदिवासी चेहरा माने जाने वाले अर्जुन मुंडा को हार का सामना करना पड़ा है. खूंटी लोकसभा की फाइनल गणना के बाद 149675 मतों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा ने बड़ी जीत दर्ज की है. पोस्टल बैलेट और 16 राउंड की मतगणना के अनुसार कांग्रेस को कुल 511647 मत मिले और भाजपा प्रत्यासी अर्जुन मुंडा को 361972 मत मिले. निर्वाची पदाधिकारी सह उपायुक्त लोकेश मिश्रा ने प्रमाण पत्र देकर कालीचरण मुंडा को विजयी घोषित किया.

खूंटी से कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा की जीत (ईटीवी भारत)

खूंटी सीट पर लगातार दूसरी बार अर्जुन मुंडा चुनाव लड़ रहे थे, यहां 2019 में उन्होंने कड़े मुकाबले में जीत हासिल की थी. राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी में अर्जुन मुंडा का कद पिछले पांच सालों में बढ़ा है, बीजेपी उन्हें देश में एक बड़े आदिवासी नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही थी. उनके पास जनजातीय मंत्रालय तो था ही साथ में उन्हें कृषि मंत्रालय का जिम्मा भी दिया गया. उनकी हार से बीजेपी को झारखंड में बड़ा झटका लगा है. चुनाव शुरू होने से कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खूंटी दौरे पर आए थे, जहां से उन्होंने कई योजना की शुरुआत की थी. जिसका असर चुनाव परिणाम पर नहीं दिखा.

कालीचरण मुंडा के साथ संवाददाता सोनू अंसरी की बातचीत (ईटीवी भारत)

खूंटी परंपरागत तौर पर बीजेपी की सीट रही है, यहां से करिया मुंडा ने 8 बार जीत दर्ज की थी, वहीं उन्हें तीन पर इस सीट पर हार का भी सामना करना पड़ा है. जहां तक पिछले चुनाव की बात है, यहां पर काफी कड़ा मुकाबला रहा. अर्जुन मुंडा 2019 चुनाव से पहले जमशेदपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़े थे. 2019 में उन्हें खूंटी से चुनाव मैदान में उतारा गया. तब अर्जुन मुंडा कड़े मुकाबले में 1,445 वोट के अंतर से जीत गए थे. पिछले चुनाव में भी खूंटी से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर कालीचरण मुंडा ही चुनाव मैदान में थे. तब उन्हें 8,80,468 वोट मिले थे, जबकि अर्जुन मुंडा को 3,81,566 वोट मिले थे.

झारखंड की राजनीति पर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार नीरज सिन्हा का मानना है कि झारखंड में आदिवासियों के बीच विश्वास कायम करने में बीजेपी विफल रही है. साथ ही हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा के बाद जेएमएम कैडर और आदिवासियों की गोलबंदी का भी यह असर है. इसे ‘बैकफायर’ कह सकते हैं. साथ ही कल्पना सोरेन ने जेएमएम के साथ इंडिया ब्लॉक को जिस तरीके से लामबंद किया, वह प्रभावी होता दिख रहा है. खूंटी सीट पर कांग्रेस और जेएमएम ने समन्वय और रणनीतिक सूझबूझ के साथ चुनाव लड़ा है. वैसे भी 2019 के चुनाव में अर्जुन मुंडा महज 1445 वोटों से जीते थे. अर्जुन मुंडा को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ा है. इस नतीजे के संकेत हैं कि आदिवासियों के सवाल और जज्बात को भी वे समझने में नाकामयाब रहे हैं.

जीत का सर्टिफिकेट लेते कालीचरण मुंडा (ईटीवी भारत)

झारखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्र में बीजेपी का हार को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रजत गुप्ता कहते हैं कि यहां पर हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से आदिवासी समुदाय नाराज हुआ है, वहीं, ऊपर से सरना धर्म कोड का भी असर हुआ है.

जानकारों का मानना है कि खूंटी में आदिवासियों का झुकाव कांग्रेस की ओर रहा. इस इलाके में मिशनरीज का प्रभाव अधिक है, जो अर्जुन मुंडा के खिलाफ गए हैं. वहीं अगर मुंडा जनजाति की बात करें तो, अर्जुन मुंडा जिस उपजाति से आते हैं उनकी संख्या काफी कम हैं, वहीं कालीचरण मुंडा जनजाति के जिस उपजाति से आते हैं उनकी संख्या अधिक है. जिसका फायदा उन्हें मिला है. वहीं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी भी यहां पर एक बड़ा फैक्टर रहा.

अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

अर्जुन मुंडा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. 1995 में झामुमो की टिकट पर खरसावां विधानसभा सीट जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे. इसके बाद भाजपा में लौटे तो अलग-अलग समय पर तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे. झारखंड में पहले सीएम रहे बाबूलाल मरांडी के कैबिनेट में बतौर समाज कल्याण मंत्री बनकर अपना दबदबा बनाया और आगे चलकर सिर्फ 35 वर्ष की उम्र की राज्य के मुख्यमंत्री बन गये. एक दौर ऐसा भी आया जब अर्जुन मुंडा जमशेदपुर के सांसद बन गये. 2014 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद बैकफुट पर चले गए थे, फिर उन्हें बीजेपी ने 2019 में खूंटी से चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की. फिर उन्हें केंद्र में मंत्री भी बनाया गया.

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Last Updated : Jun 4, 2024, 10:48 PM IST

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