रांचीः नक्सलवाद से देश के कई राज्य जूझ रहे हैं. हालांकि केंद्र और राज्य के ज्वाइंट ऑपरेशन के कारण कई इलाकों को नक्सलवाद से मुक्त कराया गया. इसके अलावा कई इलाकों में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लगातार इसकी समीक्षा की जाती है. सोमवार 7 अक्टूबर गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के सीएम के साथ बैठक की.
सोमवार को दिल्ली में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ रक्षात्मक कार्रवाई के बजाय आक्रामक अभियान चला रहे हैं और हाल के दिनों में बड़ी सफलताएं हासिल की हैं. इस मीटिंग में अमित शाह ने हाल के दिनों में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सुरक्षा बलों को मिली सफलता का भी जिक्र किया.
अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा बल अब रक्षात्मक अभियानों के बजाय आक्रामक अभियान चला रहे हैं. उन्होंने नक्सलियों को विकास में सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि वे सबसे बड़े मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता हैं, जो 8 करोड़ से अधिक लोगों को विकास और बुनियादी कल्याण के अवसरों से वंचित कर रहे हैं. नक्सल प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं. मोदी सरकार की रणनीति के कारण वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) हिंसा में 72 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि 2010 की तुलना में 2023 में मौतों में 86 प्रतिशत की कमी आई है.
झारखंड में खात्मे की ओर नक्सलवाद!
झारखंड में भी नक्सलवाद का मायाजाल टूटने के कगार पर पहुंच गया है. नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पिछले चार साल के दौरान झारखंड पुलिस ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है. प्रशांत बोस जैसे बड़े नेताओं की गिरफ्तारी, महाराज जैसे दर्जन पर इनामी कमांडरों का सरेंडर और 50 से अधिक नक्सलियों की इनकाउंटर में मौत ने नक्सलवाद पर कड़ा प्रहार किया है.
नक्सलियों ने भी माना कि उनको हो रहा भारी नुकसान
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता कहते हैं कि अब झारखंड में मात्र 10 प्रतिशत ही नक्सलवाद बचा हुआ है. उसे भी खत्म करने के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. जिसका असर सबको जल्द दिखेगा. झारखंड में नक्सली कमजोर हो चुके हैं ये सिर्फ पुलिस ही नहीं कह रही बल्कि हाल के दिनों में नक्सली संगठनों के प्रवक्ताओं के द्वारा जारी किए गए पत्र भी यह प्रमाणित करते हैं कि पिछले 3 साल में नक्सलियों को भारी जानमाल का नुकसान हुआ है. नक्सली यह भी मानते हैं कि सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें झारखंड में हुआ है.
नक्सलियों को नहीं मिल रहा जन समर्थन
झारखंड के नक्सली इतिहास में पिछले 3 साल पुलिस के लिए कामयाबी भरे रहे हैं. ताबड़तोड़ अभियानों की वजह से नक्सलियों की जमीन झारखंड से लगभग खिसक ही गई है. पिछले साल और इस साल माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के द्वारा जारी किए गए पत्रों में इस बात का जिक्र है कि भाकपा माओवादियों को सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में उठाना पड़ा है. आलम यह है कि नक्सलियों को ना तो लोकल सपोर्ट मिल रहा है और ना ही बाहरी मदद.
माओवादी सेंट्रल कमेटी अपने पत्र में लगातार नक्सली समाज के बुद्धिजीवियों और ग्रामीणों से जन समर्थन की मांग कर रहे है. लेकिन कई पत्र जारी करने के बावजूद नक्सलियों को जन समर्थन न के बराबर मिल रहा है. इसके ठीक उलट झारखंड पुलिस के द्वारा जारी किए गए इनामी नक्सलियों के पोस्टर और लोकल भाषाओं में नक्सलियों के बारे में दी गई जानकारी की वजह से नक्सली पकड़े जा रहे हैं और एनकाउंटर में मारे जा रहे हैं. इसका मतलब साफ है कल तक जो जन समर्थन नक्सलियों के पास था अब वह खिसक कर पुलिस के पास चला गया है.
शहीद सप्ताह के दौरान 23 पन्ने का पत्र लिखा
माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के द्वारा हाल में ही शहीद सप्ताह को लेकर एक लंबा चौड़ा पत्र जारी किया गया. 23 पन्नों के उस पत्र में पिछले एक साल के दौरान जिन जिन नक्सलियों की मौत एनकाउंटर में हुई है या फिर बीमारी से सभी की जानकारी साझा की गई. सेंट्रल कमेटी के पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि उन्हें सामरिक रूप से सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में हुआ है. पत्र में इस बात का जिक्र है कि सबसे ज्यादा जान का नुकसान दण्डकारण्य में हुआ है. एक साल के भीतर देशभर में कुल 160 के करीब कॉमरेड शहीद हुए हैं. जिसमें झारखंड में 20, तेलंगाना में 09, दंडकारण्य में 68, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ स्पेशल जोन में पांच, आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा पर 3, ओडिशा में 09, आंध्र प्रदेश में 01, पश्चिमी घाटियों में एक और पश्चिम बंगाल में एक कॉमरेड शामिल है.
38 महिला नक्सली मारी गईं
नक्सलियों के पत्र में एक चौंकाने वाली जानकारी भी दी गई है. इस पत्र के अनुसार सबसे ज्यादा शहीद होने वाली महिला कॉमरेड हैं, इनकी संख्या 38 है. झारखंड में भी पिछले 1 साल में चार महिला नक्सली एनकाउंटर में मारी गई हैं जबकि तीन के करीब गिरफ्तार की गईं.
नक्सलियों को उठाना पड़ा है नुकसान