देहरादून (नवीन उनियाल): देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन से पूरा देश गमगीन है. पूर्व पीएम की याद में उनके पुराने फैसलों और देश के प्रति उनकी भूमिका का भी स्मरण किया जा रहा है. वहीं, इस महान अर्थशास्त्री के परिजन भी उनके उन फैसलों को दोहराते दिख रहे हैं, जो किसी के लिए भी एक प्रेरणा बन सकते हैं और जिसकी बदौलत डॉ मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री बनने तक का सफर तय किया.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भले ही आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके फैसले और देश के विकास में उनकी भूमिका हर किसी की जुबान पर है. दरअसल, डॉ मनमोहन सिंह को एक प्रधानमंत्री के रूप में देश और दुनिया ने जाना, लेकिन उनके यहां तक पहुंचाने का संघर्ष कम ही लोगों को पता है.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के संघर्षों को आज उनके परिवार के सदस्य याद कर रहे हैं. साथ ही उन निर्णयों पर भी परिजनों को नाज है जिसने डॉ मनमोहन सिंह को देश में एक अलग पहचान दिलाई. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह वैसे तो पेशावर (अब पाकिस्तान का हिस्सा) में पैदा हुए थे, लेकिन देश का विभाजन होने के बाद सिंह का परिवार अमृतसर आ गया था.
पिता के कारोबार को नहीं चुना:मनमोहन सिंह के पिता व्यवसाय करते थे और उन्होंने अपने बेटे के लिए भी व्यवसाय को ही चुना था. ड्राई फ्रूट्स का व्यापार करने वाले उनके पिता ने डॉक्टर मनमोहन सिंह की स्कूलिंग पूरी होने के बाद उन्हें इस व्यवसाय से जोड़ने की कोशिश की, लेकिन तब डॉक्टर मनमोहन सिंह के वह कुछ शब्द उन्हें उस ऊंचाई पर ले गए, जिसकी बदौलत आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में उन्हें याद किया जा रहा है.
जब पिता को कहा- तराजू नहीं तोलूंगा:पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को जब पारिवारिक व्यवसाय करने के लिए कहा गया तो उन्होंने अपने पिता को साफ कह दिया कि वो तराजू अपने हाथ में नहीं लेंगे. बस उनका यही निर्णय उनके प्रधानमंत्री बनने तक की बुनियाद बना. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का पूरा ध्यान पढ़ाई पर था और किताबों की इसी अच्छी आदत ने उन्हें देश में महान अर्थशास्त्री का तमगा दिलवाया.
बचपन में ही सिर से उठ गया था मां का साया: पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉ मनमोहन सिंह के चचेरे भाई अमरजीत कोहली बताते हैं कि उनका यह सफर इतना आसान नहीं था, उनके जन्म लेने के साथ ही उनकी माता का निधन हो गया. यहां से उनकी परेशानियां शुरू हो गई.