जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 55वें सत्र के अंत में जिनेवा में इजरायल विरोधी प्रस्ताव अपनाया गया. इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र ने गाजा संकट को लेकर इजरायल की कड़ी निंदा की है. हालांकि इस प्रस्ताव में 7 अक्टूबर को हमास या उसके अपराधों का इसमें कोई उल्लेख नहीं किया गया है. सूत्रों के मुताबिक इजरायल ने गाजा में जिस तरीके का संकट पैदा किया है उसको लेकर संयुक्त राष्ट्र ने कड़ा रूख अख्तियार किया है. जो कि इजरायल के लिए उसके रक्षा करने के अधिकार के खिलाफ है. सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि इजरायल के खिलाफ इस प्रस्ताव के अपनाए जाने के बाद जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत मीरव इलोन शाहर इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए हॉल छोड़कर बाहर चले गए. जानकारी के मुताबिक इजरायल विरोधी प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका ने मतदान किया. इसी तरह जर्मनी, अर्जेंटीना, पैराग्वे, बुल्गारिया और मलावी ने भी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. खबरों के मुताबिक परिषद द्वारा तीन और इजरायल विरोधी प्रस्तावों को अपनाये जाने की उम्मीद है. वहीं अमेरिका उन सभी प्रस्तावों के खिलाफ मतदान कर सकता है.
इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव, राजदूत हुए नाराज
इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव अपनाए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि मीरव इलोन शाहर ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि, इस परिषद के कई सदस्य सिर्फ इजरायल की निंदा करना जानते हैं. उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों हमास जैसे आतंकवादी संगठन का बचाव किया जा रहा है जो इजरायल को नष्ट करना और उसे नुकसान पहुंचाना चाहता है. उन्होंने आगे कहा कि, अपनाये गए प्रस्ताव सामान्य रूप से संयुक्त राष्ट्र और विशेष तौर से मानवाधिकार परिषद पर एक धब्बा है. उन्होंने आगे कहा कि, यह अपमानजनक है कि परिषद ने एक ऐसा प्रस्ताव अपनाया है जिसमें हमास या उसके 7 अक्टूबर के क्रूर आतंकवादी हमलों का उल्लेख तक नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि हमास ने उनके 1 हजार 200 से अधिक नागरिकों की हत्या की. 240 पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और शिशुओं का अपहरण किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने इसकी निंदा तक नहीं की.