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'शाही या साही' शब्द को लेकर महाकाल मंदिर के पुजारी का बड़ा बयान, कहा-शंकराचार्य की मानी जाएगी बात - Shahi or Sahi Word Big Statement

शाही शब्द को लेकर महाकाल मंदिर के पुजारी का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि शंकराचार्य ने शाही शब्द को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है और सनातन धर्म का नेतृत्व करने के कारण उनकी ही बात मानी जाएगी.

Ujjain Shahi Word Controversy
शाही शब्द को लेकर महाकाल मंदिर के पुजारी का बड़ा बयान (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 8, 2024, 1:36 PM IST

उज्जैन:महाकाल मंदिर की 'शाही सवारी' और कुंभ मेले के 'शाही स्नान' में शाही शब्द को लेकर उठे सवाल के बीच महाकाल मंदिर के महेश पुजारी का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का नेतृत्व केवल शंकराचार्य करते हैं और उन्होंने इस शब्द को लेकर स्पष्ट कर दिया है. ऐसे में उनकी ही बात मानी जाएगी.

शाही शब्द को लेकर महाकाल मंदिर के पुजारी का बड़ा बयान (ETV Bharat)

'शाही या साही' को लेकर दिया बयान

महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "शंकराचार्यजी ने स्पष्ट कर दिया है कि 'साही' शब्द है और उन्होंने इसे परिभाषित भी किया है कि कैसे यह 'साही' से 'शाही' हो गया. यह शब्द अभ्रंश हो गया है. साही का अर्थ होता है शेष और सवारी का अर्थ होता है वारी और वारी का अर्थ होता है गंगा यानि जिस गंगा और शेष को लेकर महाकाल चलते हैं वो है साही सवारी. इस प्रकार जब शंकराचार्यजी ने स्पष्ट कर दिया है तो अब इस पर देश में भ्रम नहीं रहना चाहिए और किसी को भ्रम नहीं फैलाना चाहिए."

'संस्कृत और व्याकरण की नहीं है समझ'

महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और कुछ साधु-संतों को 'अज्ञानी' बताते हुए कहा है कि "उन्हें संस्कृत और व्याकरण की सही समझ नहीं है. शब्दों का अनुभव कम है इसलिए वह इस प्रकार के शब्दों को उठाते हैं इसलिए वे इस प्रकार की बात करते हैं. ये अनुचित है. ये शब्द सनातन धर्म के मूल से ही जुड़े हैं. शंकराचार्यजी ने स्पष्ट कर दिया है कि इसे बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है तो इसे सभी को मानना चाहिए."

'साही सवारी के रूप में ही निकले महाकाल की सवारी'

महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि "बाबा महाकाल की सवारी भी इसी नाम से निकलेगी और इसे इसी रूप में माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि शब्द की बात आई है तो जिसने इसे उठाया तो वो तो सतयुग से नहा रहे हैं और उनके ज्ञान चक्षु अब तक क्यों नहीं खुले. वो तो अब तक शाही स्नान ही बताते आ रहे हैं. उन्होंने पेशवाई शब्द पर भी आपत्ति जताई. महाकाल मंदिर को लेकर सभी बोल देते हैं. सनातन धर्म का नेतृत्व केवल शंकराचार्य ही करते हैं और महाकाल मंदिर की परंपराओं पर उनके अलावा किसी की राय मान्य नहीं होनी चाहिए. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और अन्य साधु-संतों को सलाह दी है कि वे महाकाल मंदिर की परंपराओं पर बोलने से पहले शाही मस्जिद और इमामबाड़े जैसे मुद्दों पर भी अपनी राय रखें. देश में गुलामी की प्रतीक तो बहुत सी चीजें हैं तो पहले उसे ठीक होना चाहिए."

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शाही शब्द को बताया था गुलामी का प्रतीक

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र पुरी महाराज ने 13 अखाड़ों के कई संतों से बात करने के बाद 'शाही' शब्द को गुलामी का प्रतीक बताते हुए इसे हिंदू धार्मिक आयोजनों से हटाने की बात कही थी. इसके बाद कुछ विद्वानों और साधु-संतों ने 'शाही' शब्द को इस्लामिक बताते हुए इसके बदलाव की मांग की थी. इसके बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने महाकाल की शाही सवारी को 'राजसी सवारी' नाम दे दिया.

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