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झारखंड में माओवादियों के दो टॉप कमांडर हुए अलग, अंदरूनी दरार या ये है असली वजह... - Internal rift in Maoists

Internal rift in Maoists. झारखंड और छत्तीसगढ़ सीमा से सटे बूढ़ापहाड़ सारंडा कॉरिडोर पर माओवादी दो हिस्सों में बंटे गए हैं. लेवी के लिए माओवादी रीजनल कमांडर छोटू खरवार और जोनल कमांडर मृत्युंजय भुइयां का दस्ता अलग हो गया है.

Internal rift in Maoists
ईटीवी भारत डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 15, 2024, 1:23 PM IST

Updated : Jun 15, 2024, 2:05 PM IST

पलामू: झारखंड में सुरक्षा बलों ने माओवादियों की कमर तोड़ दी है. अब राज्य में कुछ ही इलाके बचे हैं जहां नक्सली अभी भी डेरा जमाए हुए हैं. बूढ़ापहाड़ सारंडा कॉरिडोर नक्सलियों का ऐसा ही एक इलाका है. माओवादियों के कमजोर पड़ने के पीछे एक वजह सुरक्षा बलों की कार्रवाई तो है ही, लेकिन दूसरी बड़ी वजह उनके बीच अंदरूनी दरार भी है.

जानकारी मिली है कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का दस्ता दो हिस्सों में बंट गया है. 15 लाख रुपये का इनामी माओवादी रीजनल कमांडर छोटू खरवार और जोनल कमांडर मृत्युंजय भुइयां का दस्ता अलग हो गया है. अलग होने के बाद छोटू खरवार ने लातेहार, गुमला और छत्तीसगढ़ सीमा को अपना ठिकाना बनाया है, जबकि मृत्युंजय भुइयां ने बूढ़ापहाड़ से सटे छत्तीसगढ़ इलाके को अपना ठिकाना बनाया है.

इनके अलग होने की भनक पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को भी लग चुकी है. माओवादियों के दोनों शीर्ष कमांडर बिहार के सारंडा, बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा कॉरिडोर के टॉप फाइव कमांडरों में शामिल हैं. दोनों कमांडर पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा के इलाके में सक्रिय रहे हैं. माओवादियों के दस्ते जिस इलाके से अलग हुए हैं, वहां से माओवादी झारखंड-बिहार-छत्तीसगढ़ और ओडिशा में अपनी गतिविधियों को प्रभावित करते हैं. छोटू खरवार का दस्ता झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ के माओवादियों के बीच मजबूत कड़ी है.

नक्सली संगठन भाकपा लातेहार, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा के इलाकों से बीड़ी पत्ता के कारोबार से लाखों की लेवी वसूलता है. पिछले दो साल में माओवादियों को बड़ा झटका लगा है और बूढ़ापहाड़ सारंडा कॉरिडोर पर सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया है. अप्रैल से जून के अंत तक बीड़ी पत्ता का कारोबार होता है. माओवादी सबसे ज्यादा लेवी बीड़ी पत्ता से वसूलते हैं.

लेवी के लिए हुए अलग

नाम नहीं बताने की शर्त पर एक पूर्व माओवादी ने बताया कि पहली नजर में ऐसा लगता है कि लेवी को लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ और वे अलग हो गए. लेकिन ऐसी भी संभावना है कि ज्यादा से ज्यादा लेवी वसूलने के लिए दोनों कमांडर अलग हो गए हों. उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में बूढ़ापहाड़ में माओवादियों के कमजोर पड़ने के बाद छोटू खरवार कोयल शंख जोन का टॉप कमांडर बन गया है. बूढ़ापहाड़ से भागकर मृत्युंजय छोटू खरवार के दस्ते में शामिल हो गया था. छोटू खरवार लेवी से लेकर सभी तरह के निर्णय खुद से लेता है.

आपस में बैठक करना चाहते थे माओवादी

लोकसभा चुनाव से पहले खबर आई थी कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के शीर्ष कमांडर आपस में बैठक करना चाहते हैं. सारंडा, बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा से जुड़े शीर्ष कमांडर एक दूसरे से मिलना चाहते थे. लेकिन सुरक्षा बलों के अभियान के कारण वे सभी एक दूसरे से नहीं मिल सके. लातेहार एसपी का कहना है कि पुलिस की नजर माओवादियों की सभी गतिविधियों पर है.

"नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के खिलाफ सभी गतिविधियों पर पुलिस की नजर है. चाहे छोटू खरवार हो या मृत्युंजय भुइयां, सबके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है."- अंजनी अंजन, एसपी लातेहार

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Last Updated : Jun 15, 2024, 2:05 PM IST

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