गुवाहाटी: असम सरकार ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में अतिक्रमण के खिलाफ बेदखली अभियान शुरू किया है. इसी क्रम में गुवाहाटी के पास सोनापुर के कचुटोली इलाके में चलाए गए बेदखली अभियान के दौरान गुरुवार को हिंसा भड़क गई. कथित तौर पर कई अतिक्रमणकारियों ने बेदखली अभियान के लिए मौजूद सरकारी टीम पर हमला किया.
इस हमले में एक डीएसपी और एक सर्किल अधिकारी समेत कम से कम 22 सरकारी अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए. प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस की टीम ने किसी तरह उस हिंसा में अपनी जान बचाई. साथ ही स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हवा में फायरिंग भी की, जिसमें दो प्रदर्शनकारियों की गोली लगने से मौत हो गई और उनमें से 13 घायल हो गए. असम के डीजीपी जीपी सिंह ने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट के जरिए यह जानकारी साझा की.
आदिवासी क्षेत्र में अतिक्रमण के खिलाफ बेदखली
बता दें कि सोनापुर का कछटोली इलाका आदिवासी क्षेत्र है, इसलिए वहां सिर्फ आदिवासी लोगों को ही रहने की अनुमति है, लेकिन कुछ संदिग्ध लोगों ने अवैध रूप से जमीन पर कब्जा कर लिया है और वहां रह रहे हैं. उन्हें नोटिस जारी करने के बाद 9 सितंबर से वहां बेदखली अभियान चलाया जा रहा है.
पहले तीन दिन वहां बेदखली का काम शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था, लेकिन चौथे दिन जब सरकारी टीम कछटोली पहुंची तो कुछ लोग लाठी-डंडे और धारदार हथियार लेकर आ गए और टीम पर हमला कर दिया. उन्होंने पुलिस और अन्य अधिकारियों पर पत्थरबाजी भी की. इसके बाद सरकारी टीम अपनी जान बचाने के लिए पीछे हट गई, लेकिन हमले में ड्यूटी पर तैनात कम से कम 22 सरकारी कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
डीजीपी ने कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए
इस बीच असम के डीजीपी जीपी सिंह ने घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि अपराधियों के खिलाफ कानूनी कदम उठाए जाएंगे. अपने एक्स हैंडल पर डीजीपी सिंह ने लिखा, ''सोनापुर, कामरूप मेट्रो में ड्यूटी पर तैनात सरकारी अधिकारी कामरूप मेट्रो के राजस्व अधिकारी 9 सितंबर 2024 से कामरूप मेट्रो के सोनापुर राजस्व सर्कल के अधिसूचित आदिवासी क्षेत्र में सरकारी भूमि से बेदखली की कार्यवाही कर रहे हैं. इस प्रक्रिया के दौरान, आदिवासी क्षेत्र में 237 अवैध रूप से निर्मित संरचनाओं को हटाकर 248 बीघा सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया है. ये स्ट्रक्चर ऐसे लोगों द्वारा बनाई गई थीं, जिन्हें इन्हें बनाने का अधिकार नहीं था.''