कोप्पल:कर्नाटक के कोप्पल, रायचूर, बेल्लारी, विजयनगर जिलों के 9.65 लाख एकड़ और आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के 3.5 लाख एकड़ समेत कुल 12 लाख एकड़ क्षेत्र को पानी उपलब्ध कराने वाले तुंगभद्रा बांध का 19वां क्रेस्ट गेट बह गया है. इसकी मरम्मत के लिए जलाशय का आधा पानी निकालना पड़ेगा. जलाशय के पानी के भरोसे खेती करने वाले किसान अब चिंतित हैं. पिछले कुछ सालों से पर्याप्त बारिश न होने के कारण जलाशय नहीं भर पाता था. जिस कारण किसान केवल एक फसल ही उगा पाते थे.
इस साल अच्छी बारिश से जलाशय भर गया है, लेकिन तुंगभद्रा बांध का 19वां क्रेस्ट गेट टूटने से पानी बह रहा है, जिससे इस क्षेत्र के किसान चिंतित हैं. इस साल तुंगभद्रा बेसिन में अच्छी बारिश होने के कारण जलाशय सीजन से पहले भर गया था. इससे तीन राज्यों (कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) के किसान इस बार दो फसल उगाने की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन अब उन्हें झटका लगा है.
बांध से 60 टीएमसी पानी छोड़ना होगा
तुंगभद्रा बांध में वर्तमान में 100 टीएमसी पानी का भंडारण है. लेकिन 19वें गेट के लिए एक नया गेट लगाने के लिए जल स्तर को कम से कम 20 फीट कम करना होगा. इसका मतलब है कि बांध से 60 टीएमसी पानी छोड़ना होगा. कुल 33 गेटों के माध्यम से प्रतिदिन 10 टीएमसी पानी नदी बेसिन से बाहर निकलेगा, जबकि छह दिनों में 60 टीएमसी पानी बांध से बाहर निकल जाएगा. छठे दिन के बाद, नए गेट को लगाने की स्थिति देखना संभव होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि नय गेट लगाने के लिए कम से कम छह दिन और इंतजार करना होगा.
3.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने पर बाढ़ का खतरा
फिलहाल एक लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. अगर 2.25 लाख क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा गया तो नदी के निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है और कराटगी तालुक के गांवों के खेतों में पानी घुस जाएगा. अनेगुंडी में स्थित प्रसिद्ध हम्पी स्मारक और कांपली पुल डूब जाएगा. अगर 3.5 लाख क्यूसेक पानी और नदी में छोड़ा गया तो हम्पी के स्मारक, ऋषिमुख पर्वत, नववृंदावन और नदी बेसिन के अन्य स्मारक पूरी तरह डूब जाएंगे और कुछ गांवों को बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ेगा.
नदी बेसिन में जाने पर रोक
बांध में पानी का प्रवाह बढ़ गया है और नदी बेसिन में पानी तेजी से बह रहा है. जिसके मद्देनजर कोप्पल जिला कलेक्टर ने नदी के किनारे बसे गांवों के लोगों को नदी तट के 100 मीटर के दायरे में न जाने के लिए निषेधाज्ञा जारी की है.
मुंबई और हैदराबाद के विशेषज्ञों से चर्चा
तुंगभद्रा बांध के गेट के टूटने के बाद तुंगभद्रा बोर्ड के अधिकारियों ने सिंचाई विभाग के सबसे कुशल विशेषज्ञों से चर्चा की. जानकारी मिली है कि हैदराबाद और मुंबई के विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए हैं. इसके अलावा कुछ विशेषज्ञों को बांध स्थल पर बुलाया गया है.
क्रेस्ट गेट देखने आ रहे किसान
वहीं कोप्पला, विजयनगर, रायचूर समेत कई इलाकों से किसान बांध देखने के लिए मुनीराबाद आ रहे हैं. अधिकारियों ने किसी को भी जलाशय के पास न जाने देने का निर्देश दिया है. किसानों का कहना है कि हमें खुशी थी कि जलाशय भर गया, हमने उसी हिसाब से धान की रोपाई की थी. अब क्रेस्ट गेट टूट गया है, भारी मात्रा में पानी नदी में बह रहा है. लेकिन अब पहली फसल को पानी मिलेगा या नहीं, इस पर भी संशय है. बांध को लेकर किसान अपनी चिंता जाहिर करते हैं.
चार से पांच दिन में मरम्मत होगी...
वहीं, बेंगलुरू में सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि हम तुंगभद्रा जलाशय के गेट की टूटी हुई चेन को चार से पांच दिन में ठीक कर देंगे. डरने की कोई जरूरत नहीं है. कल मुख्यमंत्री भी आ रहे हैं. हमने तकनीकी टीम भेजी है. 70 साल में ऐसा पहली बार हुआ है. दूसरी तरफ, दो विकल्प हैं. यहां एक ही चेन थी. उन्होंने कहा, "हमारे लिए सभी बांध एक समान हैं."
उन्होंने आगे कहा कि तुंगभद्रा बांध में 50 से 60 टीएमसी पानी बचाया जा रहा है. नया गेट तुरंत बनाने का आदेश दिया गया है. मैंने जेडब्ल्यू कंपनी से बात की है. हमने पहले डिजाइन बनाने वालों को डिजाइन दिया. उन्होंने इसे चार से पांच दिनों में तैयार करने का वादा किया है. हम एक विशेषज्ञ समिति बनाएंगे. समिति सभी बांधों का दौरा करेगी. सुरक्षा की जांच की जाएगी डीके शिवकुमार ने तुंगभद्रा बोर्ड को नए गेट लगाने का निर्देश दिया है. यह गेट 24 फीट चौड़ा, 21 फीट ऊंचा और 48 टन वजनी है.
पांच साल पहले भी टूटा था गेट
2019 में भी तुंगभद्रा लेफ्ट बैंक अपर कैनाल (मुनीराबाद) के पास एक गेट टूट गया था. तब भी चार दिनों तक भारी मात्रा में पानी बहता रहा. तब विभिन्न विशेषज्ञों की टीम ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और 10 दिनों तक समस्या के समाधान के लिए संघर्ष किया. अब 19वें गेट की चेन लिंक कटना जलाशय के इतिहास में पहली बड़ी क्षति है.
यह भी पढ़ें-'कर्नाटक में 1200 किसानों की आत्महत्या पर चुप क्यों हैं राहुल गांधी', भाजपा का सवाल