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कैंसर को दी मात... NEET में सफलता हासिल की, मधुरिमा के संघर्ष की कहानी सभी के लिए प्रेरणास्रोत - MADHURIMA DATTA STORY

मधुरिमा दत्ता ने स्टेज 3 कैंसर को मात देने के साथ NEET परीक्षा में भी सफलता हासिल की. उसे त्रिपुरा में 295 रैंक मिली.

Tripura Madhurima Dutta Journey from Battling Cancer to NEET Success
कैंसर को मात दिया... NEET में सफलता हासिल की, मधुरिमा के संघर्ष की कहानी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 28, 2024, 8:02 PM IST

Updated : Dec 28, 2024, 9:32 PM IST

अगरतला: त्रिपुरा के गोमती जिले की रहने वाली 20 वर्षीय मधुरिमा दत्ता ने चुनौतियों से लड़ने के लिए दृढ़ संकल्प की मिसाल पेश की है. उनका संकल्प विपरीत परिस्थितियों के आगे डगमगाया नहीं और स्टेज 3 कैंसर को मात देने के साथ-साथ मेडिकल प्रवेश के लिए NEET परीक्षा में भी सफलता हासिल की. मधुरिमा की नीट में राष्ट्रीय स्तर पर रैंक 2,79,066 और राज्य स्तर पर रैंक 295 है.

2016 में, मधुरिमा जब महज 12 साल की थी और ब्रिलियंट स्टार स्कूल में कक्षा 6 की छात्रा थी, तब उसे नॉन-हॉजकिन लिंफोमा कैंसर का पता चला. रोग-निदान के दौरान वह एक कठिन संघर्ष के दौर से गुजरी, जिसने उनकी ताकत और उनके परिवार के अटूट समर्थन का परीक्षण किया.

उस कठिन दौर को याद करते हुए मधुरिमा की मां रत्ना दत्ता ने ईटीवी भारत को बताया, "यह एक अशांत समय था. हम इलाज के लिए मुंबई चले गए और पांच साल तक वहीं रहे. शुरू में, हमें उसकी स्थिति की गंभीरता का पूरी तरह से अंदाजा नहीं था. मेरी बड़ी बेटी हृतुरिमा अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अपने पिता के साथ त्रिपुरा में ही रही, जबकि मैं मधुरिमा के साथ मुंबई में रही. शुरू में मेरा भाई हमारे साथ था, लेकिन आखिरकार मुझे अकेले ही सब कुछ सहना पड़ा."

परिवार के साथ मधुरिमा दत्ता (ETV Bharat)

मधुरिमा ने कीमोथेरेपी, रेडिएशन और बोन मैरो ट्रांसप्लांट सहित कई दौर के उपचार करवाए. मधुरिमा की बड़ी बहन हृतुरिमा बोन मैरो डोनर बनीं. इन प्रयासों के बावजूद, कैंसर कई बार फिर से उभर आया, जिसके लिए नए उपचार की जरूरत थी. टाटा मेमोरियल अस्पताल और जसलोक अस्पताल के डॉक्टरों ने एक अभूतपूर्व अमेरिकी दवा दी - जो भारत में किसी बच्चे को दी जाने वाली अपनी तरह की पहली दवा थी.

रत्ना दत्ता कहती हैं, "वित्तीय बोझ बहुत अधिक था, लेकिन डॉक्टरों और अस्पतालों ने हर कदम पर हमारा साथ दिया."

डॉक्टर बनने के सपने को कभी नहीं छोड़ा
कैंसर के उपचार के दौरान, मधुरिमा ने डॉक्टर बनने के अपने सपने को कभी नहीं छोड़ा. ब्रिलियंट स्टार स्कूल ने उसकी शैक्षणिक आकांक्षाओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मधुरिमा ने ऑनलाइन कक्षाओं के जरिये NEET की तैयारी में उनके समर्थन के लिए एलन करियर इंस्टीट्यूट को भी श्रेय दिया.

मधुरिमा ने कहा, "NEET अपने आप में किसी भी छात्र के लिए एक चुनौती है, लेकिन मेरे लिए यह दोगुना कठिन था. कई वर्षों तक इलाज के कारण मेरा शरीर कमजोर हो गया था और तैयारी के दौरान मुझे बार-बार संक्रमण, खांसी, जुकाम और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ा.

NEET की तैयारी करने वालों के लिए संदेश
मधुरिमा ने NEET की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए भी संदेश साझा किया. उन्होंने कहा, "तनाव को अपने ऊपर हावी न होने दें. शांत रहें और जो आपके पास है, उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर ध्यान केंद्रित करें. NEET ज्ञान के साथ-साथ धैर्य और दृढ़ता की भी परीक्षा है."

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Last Updated : Dec 28, 2024, 9:32 PM IST

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