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ट्रेन यात्रियों को गंदे और बदबूदार कंबल से मिलेगा छुटाकारा, अब इतने दिन में होगी धुलाई - INDIAN RAILWAY

ट्रेन में मिलने वाले कंबल को हर 45 मिनट में धोया जाता है. इन कंबलों को 80-90 डिग्री पर धोया जाता है.

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ट्रेन (IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 7 hours ago

नई दिल्ली: यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे ने एक बड़ा फैसला किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलवे अब ट्रेन के कंबलों को महीने में एक बार धोने के बजाय हर 15 दिन में धोएगा. यह कदम ग्राहकों द्वारा की गई कंबल गंदे होने की शिकायत के बाद उठाया गया है.

बता दें कि रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले साल हुए संसद के शीतकालीन सत्र में भी इस बात की जानकारी दी थी कि रेलवे महीने में कितनी बार कंबलों की धुलाई करता है? उन्होंने कांग्रेस सांसद कुलदीप इंदौरा के सवाल के जवाब में कहा कि ट्रेन में यात्रियों को मिलने वाले कंबल महीने में कम से कम एक बार धोए जाते हैं.

वैष्णव ने कहा कि धुले हुए लिनन की क्वावलिटी का आकलन करने के लिए व्हाइटोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है, और लिनन वस्तुओं के कोडल लाइफ को कम किया गया है, ताकि उसे फ्रेस सप्लाई के साथ तेजी से रिप्लेस किया जा सके.

छह लाख लिनन पैकेट का इस्तेमाल करता है रेलवे
उन्होंने कहा, "रेलमदद पोर्टल पर दर्ज शिकायतों की निगरानी और सोल्यूशन के लिए क्षेत्रीय और मंडल स्तर पर वॉर रूम स्थापित किए गए हैं, जिनमें लिनन और बेडरोल से संबंधित शिकायतें भी शामिल हैं."मंत्री कहा था कि रेलवे रोजाना लगभग छह लाख लिनन पैकेट का इस्तेमाल करता है, जिनमें से हर एक में दो बेडशीट, एक तकिया कवर, एक हाथ तौलिया और एक कंबल होता है.

45 मिनट धोया जाता है कंबल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हर कंबल को हर एक कंबल को 80-90 डिग्री पर 45 मिनट धोया जाता है. फिर इन कंबलों को पैक करके वापस भेज दिया जाता है. ट्रेन यात्रा के दौरान यात्रियों को दिए जाने वाले लिनेन को हर बार इस्तेमाल के बाद मशीनीकृत लॉन्ड्री/वाशिंग सुविधाओं में धोया जाता है.

ट्रेन के कंबल और बेडशीट धोने में कितना खर्च आता है?
रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेन के कंबल धोने में प्रति कंबल 23.59 रुपये का खर्च आता है, जबकि रेलवे के बेड रोल धोने में 23.58 रुपये का खर्च आता है. रेलवे प्रत्येक बेडशीट की चमक की जांच भी करता है.अगर किसी बेडशीट की चमक कम हो जाती है तो उसे हटा दिया जाता है.

जांच के दौरान बेडशीट की चनक कम से कम 82 प्रतिशत होनी चाहिए. रेलवे के तकिए और तौलिये करीब 9 महीने तक चलते हैं.रेलवे के पर्दे एक साल तक चलते हैं, जबकि कंबल 2 साल तक चलते हैं.

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